Monday 30 March 2020

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (43)

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (43)

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
>अपने मन को मेरे नित्य चिंतन में लगाओ, 
मेरे भक्त बनो, मुझे नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो. 
इस प्रकार मुझ में पूर्णतया तल्लीन होने पर 
तुम निश्चित रूप से मुझे प्राप्त करोगे. 
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -9  श्लोक -34 
>भगवान् को प्राप्त करने के बाद साधक को क्या मिलता है ?
गूंगे को गुड का स्वाद ? जिसे वह बयान नहीं कर पाता. 
या अंधे की कल्पना जिसमे डूब कर वह हमेशा मुस्कुराया करता है ? 
क्या गीता लोगों को अँधा और गूंगा बनती है ? 
परम सुख है औरों को सुख देना और भगवान् स्वयं सुख पाने का पाठ पढ़ा रहे हैं.
और क़ुरआन कहता है - - - 
>''ऐ ईमान वालो! 
अगर तुम अल्लाह से डरते रहोगे तो, वह तुम को एक फैसले की चीज़ देगा और तुम से तुम्हारे गुनाह दूर क़र देगा और तुम को बख्श देगा और अल्लाह बड़ा फ़ज़ल वाला है.''
सूरह -इंफाल - ८ नौवाँ परा आयत ( २९ )
अल्लाह के एजेंट बने मुहम्मद उसकी बख्शी हुई रियायतें बतला रहे हैं. 
पहले उसके बन्दों को समझा दिया कि उनका जीना ही गुनाह है, 
वह पैदा ही जहन्नम में झोंके जाने के लिए हुए हैं, 
इलाज सिर्फ़ यह है कि मुसलमान होकर मुहम्मद और उनके कुरैशियों को टेक्स दें और उनके लिए जेहाद करके दूसरों को लूटें मारें जब तक कि वह भी उनके साथ जेहादी न बन जाएँ.
ना करदा गुनाहों के लिए बख्शाइश का अनूठा फार्मूला जो मुसलमानों को धरातल की तरफ खींचता रहेगा.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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