Wednesday 25 March 2020

खेद है कि यह वेद है (38)

खेद  है  कि  यह  वेद  है  (38)

हे अस्वनी कुमारो ! 
तुम दोनों होटों के सामान मधुर वचन बोलो, 
दो स्तनों के सामान हमारे जीवन रक्षा के लिए दूध पिलाओ, 
नासिका के दोनों छिद्रों के सामान हमारे शरीर रक्षक बनो. 
एवं कानो के सामान हमारी बात सुनो.  
द्वतीय मंडल सूक्त 39(6)

पंडित जी महाराज दोनों होटों से ही कटु वचन भी बोले जाते है. 
कब तक स्तनों के दूध पीते रहोगे ? अब बड़े भी हो जाओ.
हाथ, पैर, आँखें और अंडकोष भी दो दो होते हैं इनको भी अपने मंतर में लाओ. 
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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