Wednesday 11 March 2020

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (34)

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (34)

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
> इनमें (इंसानों में) जो परम ज्ञानी हैं 
और शुद्ध भक्ति में लगा रहता है, 
वह सर्व श्रेष्ट है 
क्योंकि मैं उसे अत्यंत प्रिय हूँ 
और वह मुझे प्रिय है.  
**अल्प बुद्धि वाले व्यक्ति देवताओं की पूजा करते हैं 
और उन्हें प्राप्त होने वाले फल सीमित एवं क्षणिक होते हैं. 
देवताओं की पूजा करने वाले देव लोक को जाते हैं, 
किन्तु मेरे भक्त अंततः मेरे परम धाम को प्राप्त होते हैं.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -7  - श्लोक -17 +23 
'भक्ति' 
आने वाले समय में समाज की गाली बन जाएगी, 
भक्त पशुओं की श्रेणी में माना जाएगा.  
भक्ति दासता से बढ़ कर ऐसी मानसिकता है जो इंसान के व्यक्तिव को नष्ट करके दासता को अपनाने का हुक्म देती है. 
इसे मुस्लिम परिवेश में मुरीदी कहते हैं जिसका ह्कवारा कोई पीर हुवा करता है. मेरे परचित एक मुरीद ने बतलाया कि उसका अल्लाह और उस रसूल, 
उसका पीर है, मैं उसके लिए समर्पित हूँ, 
वह मेरे आकबत (परलोक) का निगहबान है. 
भक्ति भाव रखने वाले भेड़ और बकरियां से अधिक और हुछ भी नहीं , 
भारत भूमि का खासकर हिन्दू समूह इस चरागाह में चरना ज्यादा पसंद करते हैं. इस चरागाह के हक्वारे इतने स्वार्थी होते हैं कि प्रचलित देवी देवताओं को भी किनारे लगाने में संकोच नहीं करते.
भगवान् कृष्ण कहते हैं कि 
अल्प बुद्धी वाले व्यक्ति देवताओं की पूजा करते हैं 
और उन्हें प्राप्त होने वाले फल सीमित एवं क्षणिक होते हैं. 
देवताओं की पूजा करने वाले देव लोक को जाते हैं, 
किन्तु मेरे भक्त अंततः मेरे परम धाम को प्राप्त होते हैं.
 यानी अब देवताओं की माया से निकलो और मेरे शरण में आओ.
और क़ुरआन कहता है - - - 
''और अगर आप देखें जब ये दोज़ख के पास खड़े किए जाएँगे 
तो कहेंगे है कितनी अच्छी बात होती कि हम वापस भेज दिए जाएं
 और हम अपने रब की बातों को झूटा न बतलाएं और हम ईमान वालों में हो जाएं''
सूरह अनआम -६-७वाँ पारा आयत (२7)
आगे ऐसी ही बचकानी बातें मुहम्मद करते हैं कि लोग इस पर यकीन कर के इस्लाम कुबूल करें. ऐसी बचकाना बातों पर जब तलवार की धारों से सैक़ल किया गया तो यह ईमान बनती चली गईं. तलवारें थकीं तो मरदूद आलिमों की ज़बान इसे धार देने लगीं.
***


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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