वक़्त आ गया है - - -
वक़्त आ गया है,सारी दुन्या के लिए और ख़ास कर भारत के लिए
कि हम धार्मिता के ज़हर को त्यागें और मानव धर्म को स्वीकारें.
धर्म की दुन्या कोरोना के आगे ध्वस्त हो चुकी है.
धर्मो को छोड़ कोरोना निदान की तलाश में जुट गई है.
आस्तिकता पूरी तरह से मूर्खता है, तो नास्तिकता अधूरा सत्य है,
वास्तविकता (वस्तु स्थिति) सत्य की सीढ़ी का पहला ज़ीना है.
इस पर चढ़ते रहना कायनात के राज़ों को जानते रहना ही वस्तु स्थिति है.
रेत का पहाड़ आज यहाँ, कल वहां और परसों न जाने कहाँ,
यह कुदरत की चंचलता है.
और पृथ्वी करोड़ों साल से, अपनी धुरी पर घूमती हुई सूर्य की परिक्रमा निर्धारित एक साल में करती है, जिसमे एक सेकेण्ड का फ़र्क़ भी नहीं होता
तो कुदरत कितनी संजीदा और कितनी बड़ी गणितज्ञ है.
इसी वास्तविकता (वस्तु स्थिति) की सीढ़ी पर चढ़ते हुए हम एक हर मरज़ की दवा तलाश कर सकते है.
एक दिन हम मानव से महा मानव बन सकते हैं.
Timing And Dezining को समझना ज़रा मुश्किल है,
भाग्य का लिखा हुआ बहुत आसान है.
हमारे लोक तंत्र का दुर्भाग्य ये है कि आज हमारे रहनुमा ऐसे है जो जाहिलों भी बदतर.
CM अपनी गायों को मास्क लगाता करोना से बचाने के लिए,
शिव लिंग और पत्थर के भगवान भी मास्क पहने देखे जा सकते है.
सत्य की सीढ़ी पर क़दम रखिए और धर्म के आडम्बरों को मौत से पहले त्यागिए. आज दुन्या ख़त्म होने के कगार पर है,
सभी भगवान, अल्लाह और Gods करोना के सामने घुटने टेक चुके हैं.
आप हैं क्या ?
आप इस धरती के लिए बहुत कुछ हैं
अगर आपकी आँखें अब भी खुल जाएं.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
No comments:
Post a Comment