श्रद्धा ?
क्या बला ये श्रद्धा
इसके पीछे हमेशा ही भोले भाले और नादान लोगों की माल तो माल,
कभी कभी जानें भी जाती हैं.
उफ़ !2013 का केदारनाथ, 10000 का क़ीमती मानव जीवन.
श्रद्धा सैकड़ों रचनात्मक कामों को छोड़ कर अरचनात्मकता के नज़र होती है.
श्रद्धा भी एक तरह से विलासता का प्रतीक है.
इस पर ख़र्च होने वाले पैसे को अगर स्वच्छ भारत अभियान को दे दिया जाए
तो एक साल में भारत आईना जैसा साफ़ बन सकता है.
हज और तीर्थ के श्रद्धालु ख़ुद तो अराचनात्मक होते ही है,
इनकी सेवा में लगे सेवक भी अरचनात्मकता के शिकार होते हैं.
इनके लिए सरकारी फौज फाटे भी ज़ाया होते है.
मज़े की बात तो यह है कि इनको शहीद करने वाले सफ़र भी
आस्था पर श्रद्धा का प्रतीक माने जाते हैं की मुसाफिर स्वर्ग सिधारा.
सरकारें श्रद्धा का विशुद्ध व्यापार करती हैं.
क्या बला ये श्रद्धा
इसके पीछे हमेशा ही भोले भाले और नादान लोगों की माल तो माल,
कभी कभी जानें भी जाती हैं.
उफ़ !2013 का केदारनाथ, 10000 का क़ीमती मानव जीवन.
श्रद्धा सैकड़ों रचनात्मक कामों को छोड़ कर अरचनात्मकता के नज़र होती है.
श्रद्धा भी एक तरह से विलासता का प्रतीक है.
इस पर ख़र्च होने वाले पैसे को अगर स्वच्छ भारत अभियान को दे दिया जाए
तो एक साल में भारत आईना जैसा साफ़ बन सकता है.
हज और तीर्थ के श्रद्धालु ख़ुद तो अराचनात्मक होते ही है,
इनकी सेवा में लगे सेवक भी अरचनात्मकता के शिकार होते हैं.
इनके लिए सरकारी फौज फाटे भी ज़ाया होते है.
मज़े की बात तो यह है कि इनको शहीद करने वाले सफ़र भी
आस्था पर श्रद्धा का प्रतीक माने जाते हैं की मुसाफिर स्वर्ग सिधारा.
सरकारें श्रद्धा का विशुद्ध व्यापार करती हैं.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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