ब्रहमांड से बाबा बर्फानी तक
आज से पचास पहले हिदी की नई नई शब्दावली गढ़ी जा रही थी,
रेलवे स्टेशन को भकभक अड्डा और रेल पटरी को लौह पद गामिनी किया गया था, तो अंड़े का शुद्धि करण करते हुए इसे शाकाहार बनाया गया
और नाम दिया गया, पखेरू गंड फल.
कुछ ऐसा ही नाम ब्रहमांड का मालूम पड़ता है.
ब्रह्मा का अंडा.
ज़ाहिर है ब्रह्म देव नर ही थे योनि विहीन.
बच्चा देने से रहे, अंडा वैसे ही दिया होगा जैसे पखेरू,
अर्थात यह ब्रहमांड ब्रह्मा गंड फल हुवा.
हमें वैदिक हिंदुत्व भी बतलाता है कि समस्त मानव प्राणी
ब्रह्मा के शरीर से निर्मित हुए, सर, बाज़ू , पेट और पैरों निर्मित चार जातियां हुईं.
मुझे अकसर कहा जाता है कि मैं हिन्दू धर्म की गहराइयों में जा कर देखूं
कि इस में कितना दम है ?
इस का आभास मुझे ब्रहमांड से शरू होता है,
मैं कर बध्य होकर पांडित्य के सामने बैठता हूँ,
उनकी गायकी और उबाऊ कथा के आगे.
मेरे हर कौतूहल के जवाब में इन का सन्दर्भ और संगर्भ आ जाता है,
सुनते सुनते रत बीत जाती है,
सन्दर्भ और संगर्भ का सिलसिला ख़त्म होने का नाम नहीं लेता.
मुझे ख़ामोश रह कर इन सनातनी दास्तानों को सुननी पड़ती है,
ब्रह्मा शरीर से निर्मित, सुवर पुत्र, या मेढकी से जन्मित अथवा जल से निकसित
विष्णु द्वारा संचालित सृष्टि की गाथा से लेकर, महेश यानी शिव जी के तांडव तक जाने में हमारी ज़िन्दगी 2 अरब 50 करोर वर्ष समाप्त हो जाते हैं,
मै बोझिल हो कर पूछता हूँ , पंडित जी महाराज !
आप की गाथा ख़त्म हुई?
और वह कहते हैं ,
वत्स अभी तो वैदिक गर्भ का एक काल ख़त्म हुवा है,
अभी तो असंख्य काल शेष हैं, आस्था के साथ सुन.
ब्रह्मा की चार सरों वाली तस्वीर मुस्लिम मोलवी छाप जैसी है.
मेरे अनुमान के हिसाब से यह तस्वीर मुस्लिम, ईसाई और यहूदियों में
मुश्तरका मूल पुरुष अब्राम जो अब्राहम हुए फिर इब्राहीम हुए,
उसके बाद बराहम हुए, आर्यों ने उनको ब्रह्मा बना दिया.
अभी पिछले दिनों इस बात पुष्टि हो गई है कि यहूदियों और ब्रह्मनो का
DNA टेस्ट से मालूम हुवा है कि दोनों में 98% यकसानियत है.
अब्राहम साढ़े तीन हज़ार साल पहले इराक में पैदा हुआ जिसका वहाँ के मानव इतिहास में पहला वरदान है.
इनको बाबा ए अक़वाम भी कहा जाता है.
इनकी प्रसिद्धि इनके पड़ पोते युसूफ़ की वजह से और हुई
जो मिस्र के फ़िरअना का मंत्री था, बाद में ऐतिहासिक आइकान बना.
शिव जी जो अभी चंद सौ साल पहले उत्तर भारत में हुए
जिनको कश्मीरी मुसलमान बर्फानी बाबा कहते हैं,
अभी कुछ साल पहले उनकी लाठी किसी मुस्लिम ने तलाश करके
नई दुन्या को दिया जिसे छड़ी मुबारक नाम दिया.
यही बाबा बर्फ़ानी आस्था वानो के ज्ञान का श्रोत्र हैं जो ब्रह्मा के साथ मिल कर 2500000000 वर्षों का कार्य काल पूरा करते हैं.
अब तो मुसलमानों को ही नहीं
हिदुओं को भी कहने को मजबूर होना पड़ रहा है कि
जागो हिन्दू जागो !!
आज से पचास पहले हिदी की नई नई शब्दावली गढ़ी जा रही थी,
रेलवे स्टेशन को भकभक अड्डा और रेल पटरी को लौह पद गामिनी किया गया था, तो अंड़े का शुद्धि करण करते हुए इसे शाकाहार बनाया गया
और नाम दिया गया, पखेरू गंड फल.
कुछ ऐसा ही नाम ब्रहमांड का मालूम पड़ता है.
ब्रह्मा का अंडा.
ज़ाहिर है ब्रह्म देव नर ही थे योनि विहीन.
बच्चा देने से रहे, अंडा वैसे ही दिया होगा जैसे पखेरू,
अर्थात यह ब्रहमांड ब्रह्मा गंड फल हुवा.
हमें वैदिक हिंदुत्व भी बतलाता है कि समस्त मानव प्राणी
ब्रह्मा के शरीर से निर्मित हुए, सर, बाज़ू , पेट और पैरों निर्मित चार जातियां हुईं.
मुझे अकसर कहा जाता है कि मैं हिन्दू धर्म की गहराइयों में जा कर देखूं
कि इस में कितना दम है ?
इस का आभास मुझे ब्रहमांड से शरू होता है,
मैं कर बध्य होकर पांडित्य के सामने बैठता हूँ,
उनकी गायकी और उबाऊ कथा के आगे.
मेरे हर कौतूहल के जवाब में इन का सन्दर्भ और संगर्भ आ जाता है,
सुनते सुनते रत बीत जाती है,
सन्दर्भ और संगर्भ का सिलसिला ख़त्म होने का नाम नहीं लेता.
मुझे ख़ामोश रह कर इन सनातनी दास्तानों को सुननी पड़ती है,
ब्रह्मा शरीर से निर्मित, सुवर पुत्र, या मेढकी से जन्मित अथवा जल से निकसित
विष्णु द्वारा संचालित सृष्टि की गाथा से लेकर, महेश यानी शिव जी के तांडव तक जाने में हमारी ज़िन्दगी 2 अरब 50 करोर वर्ष समाप्त हो जाते हैं,
मै बोझिल हो कर पूछता हूँ , पंडित जी महाराज !
आप की गाथा ख़त्म हुई?
और वह कहते हैं ,
वत्स अभी तो वैदिक गर्भ का एक काल ख़त्म हुवा है,
अभी तो असंख्य काल शेष हैं, आस्था के साथ सुन.
ब्रह्मा की चार सरों वाली तस्वीर मुस्लिम मोलवी छाप जैसी है.
मेरे अनुमान के हिसाब से यह तस्वीर मुस्लिम, ईसाई और यहूदियों में
मुश्तरका मूल पुरुष अब्राम जो अब्राहम हुए फिर इब्राहीम हुए,
उसके बाद बराहम हुए, आर्यों ने उनको ब्रह्मा बना दिया.
अभी पिछले दिनों इस बात पुष्टि हो गई है कि यहूदियों और ब्रह्मनो का
DNA टेस्ट से मालूम हुवा है कि दोनों में 98% यकसानियत है.
अब्राहम साढ़े तीन हज़ार साल पहले इराक में पैदा हुआ जिसका वहाँ के मानव इतिहास में पहला वरदान है.
इनको बाबा ए अक़वाम भी कहा जाता है.
इनकी प्रसिद्धि इनके पड़ पोते युसूफ़ की वजह से और हुई
जो मिस्र के फ़िरअना का मंत्री था, बाद में ऐतिहासिक आइकान बना.
शिव जी जो अभी चंद सौ साल पहले उत्तर भारत में हुए
जिनको कश्मीरी मुसलमान बर्फानी बाबा कहते हैं,
अभी कुछ साल पहले उनकी लाठी किसी मुस्लिम ने तलाश करके
नई दुन्या को दिया जिसे छड़ी मुबारक नाम दिया.
यही बाबा बर्फ़ानी आस्था वानो के ज्ञान का श्रोत्र हैं जो ब्रह्मा के साथ मिल कर 2500000000 वर्षों का कार्य काल पूरा करते हैं.
अब तो मुसलमानों को ही नहीं
हिदुओं को भी कहने को मजबूर होना पड़ रहा है कि
जागो हिन्दू जागो !!
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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