Friday 25 September 2020

मनु वाद का ज़हर ---(2)


मनु वाद का ज़हर ---(2)   

 वैदिक कालीन 5000 वर्षों में आख़ीर एक हज़ार वर्षों में, 
इस्लाम की आमद से और फिर ईसाई मिशनरीज़ की कोशिशों के बदौलत, 
दलित, दमित मज़लूमों को मनुवाद से मुक्त होने का थोड़ा मौक़ा मिला, 
इनकी बरकतों से अखंड भारत की आधी आबादी मनुवाद के चंग़ुल से मुक्त हुई. 
भारत आज़ाद हुवा डा. भीमराव आंबेडकर के विचार धारा के साथ, 
मनुवाद के हाथों से तोते उड़ गए. 
नेहरु की निगरानी में नए भारत का उदय हुवा, 
साठ सालों में भारत का भाग्य बदला, 
मेरा बाल काल था, मैं इस बात गवाह हूँ कि भारत के इस सपूत नेहरु ने मानव जीवन को नया आयाम दिया, मेरी बस्ती जहाँ दो चार घर पक्के हुवा करते थे, वहां आज दो चार घर ही कच्चे बाकी बचे हुए है.
पूरा भारत बदहाली का शिकार था, आज ख़ुश हाली से मालामाल हो रहा है. 
मनुवाद जिस पर पाबंदी जैसी अवस्था लगा दी गई थी, 
70 साल बाद फिर जीवित हो चुका है. 
फिर खुलेआम शूद्रों पर मज़ालिम की शुरुआत हो गई है, 
ख़ास कर उस आबादी पर जो शूद्र से मुसलमान या ईसाई हो गए थे, 
उन्हें मनुवाद घर वापसी के लिए मजबूर कर रहा है.
मनुवाद ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना करके 
नागपुर से पूरे देश को कंट्रोल करता है, 
हमेशा की तरह यह किंग मेकर बना हुवा है, 
और किंग से अपने पैर पुजवाता है. 
अतीत में इसके पास हनुमान की निगरानी में वानर सेना (शूद्रों की)  हुवा करती थी, आज भी RRS के स्वयं सेवक यानी सिपाही वही दैत्य हैं. 
जंगल में मुक्त हाथियों को पालतू दास बनाने में इन्हीं पालतू हाथियों को RRS इस्तेमाल कर रहा है.
इतिहास का अपना चेहरा होता है, 
देखते जाइए कि इतिहास क्या क्या रूप दिखलाए. 
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment