Saturday 19 September 2020

धर्म बाद में, धार्मिकता पहले


धर्म बाद में,  धार्मिकता पहले 

अपनी जीविका साधन में मसरूफ़ रहने के साथ साथ हम कई दूसरे नेक काम कर सकते हैं, राह में पड़ी रूकावट को हटाए हुए चल सकते हैं, 
कार, टेक्सी या बस पर जाते हुए किसी दुर्घटना ग्रस्त के सहायक बन सकते हैं. बहुत से ऐसे क्षण आपके सामने खड़े रहते हैं कि आप किसी के मददगार हो सकते हैं.
अपने नेक दिली के ख़ुद को साक्षी बन्ने का मौक़ा मत गँवाएँ. 
नेकियों से आपको जीवन की ऊर्जा मिलती है, 
करके तो देखिए. 
कुछ नहीं तो थोड़ा सा मुस्कुरा कर किसी अजनबी हो क्षणिक ख़ुशी तो दे ही सकते हैं.
नेकियों में कभी कभी ख़ुद का आर्थिक नुक़सान भी हो जाता है, 
मगर सोच बदलिए, नुक़सान फ़ायदे में बदल जाएगा. 
आपका धन परोपकार में लगा, परलोक संवारा.
कभी आपकी इस प्रविर्ति के कारण आप के जान पर भी बन सकती है, 
परवाह नहीं, इस से अच्छी कोई मौत नहीं हो सकती, 
मौत का एक दिन मुक़र्रर है, थोड़ा पहले सही.
मगर हाँ ! 
मरने से पहले देह-दान ज़रूर कर जाइए. 
अपने शरीर के एक एक अंग को जिंदा ज़रुरत मंदों को सौंप जाइए, 
अमरत्व भवः .
परोकार से जब आप थक कर बिस्तर पर जाएँगे तो 
ईश्वर आप के सामने खड़ा मुस्कुरा रहा होगा, 
अल्लाह आपको थपकियाँ देकर सुला रहा होगा.
नोट - दोसतो ! मैं बहुत संकोच के साथ बतला रहा हूँ, 
धर्म मुक्त होने के बाद, मैं 50 साल से इसी पद्धति को जी रहा हूँ. 
क्षमा 
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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