Tuesday 22 September 2020

पृथ्वीराज चौहान


पृथ्वीराज चौहान 

दिल्ली के शाशक अनंग पाल की दो बेटियां थीं, कोई बेटा न था. 
बड़ी बेटी का शौहर पृथ्वीराज चौहान था और छोटी का जय चंद गहरवार. 
ऐसी सूरत में मान्यताओं के आधार पर राजा अनंग पाल के मरने के बाद बड़ी बेटी का बेटा दिल्ली राज्य का वारिस हुवा. 
राजा अनंग पाल  के मरने के बाद उसका बड़ा दामाद पृथ्वीराज चौहान अपने और अपनी बीवी के राज का मालिक बन गया. जिससे राजा जय चंद को कसक ज़रूर हुई मगर नीत और नियति को स्वीकार किया और सामान्य हो गए. 
पृथ्वीराज चौहान ओछे व्यक्तित्व का मालिक था, हर मौक़े पर अपने साढू 
राजा जय चंद को अपमानित करता. 
पृथ्वीराज चौहान अपने साढू के किसी भी अच्छे या बुरे अवसर पर न शरीक होता और उनके कन्नौज राज्य का तिरस्कार करता. 
इतिहास पृथ्वीराज चौहान को एक ऐश परस्त और अय्याश के रूप नेंजानता है. उसकी अय्याशी का यह आलम था कि अपनी साली की भतीजी 
संयोगिता का अपहरण कर लिया. 
(संयोगिता राजा जयचंद की बेटी नहीं थी, वह निःसंतान मरे, संयोगिता उनके भाई राजा मानिक चंद की बेटी थी) 
शरीफ़ और सज्जन पुरुष राजा जय चंद ने इन हालात में अपनी शाख और अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए पड़ोसी को आवाज़ लगाईं . 
मुहम्मद ग़ौरी ने उनकी मदद किया और पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया, उसे परास्त कर के अपने ग़ुलाम  क़ुतुब उद्दीन ऐबक को पृथ्वीराज चौहान के सिंघासन पर बिठा कर वापस चला गया. 
हिन्दू इतिहास ने राजा  जय चंद को ग़द्दार का लक़ब दिया, 
अगर राजा जय चंद अपनी मर्यादा और अपनी अस्मिता को दुश्मन को समर्पित करता तो कायर राजा लिखा जाता. 
उसने सहायता को कायरता से बेहतर समझा. 
बहन बेटी की आबरू खंडित होने पर हर मजबूर आदमी पड़ोस से मदद की ग़ुहार लगाता है. यह बात प्राकृतिक है और मौलिक भी.
अपने साढू की बेटी, बेटी तुल्य संयोगिता को पटरानी बनाने के जुर्म में 
मुहम्मद ग़ौरी पृथ्वीराज चौहान को बंधक बना कर अपने साथ लेकर चला था, कंधार में पृथ्वीराज चौहान की मौत हो गई, 
वहीं कंधार में पृथ्वीराज चौहान को दफ़्न कर दिया गया. 
उस पर उसके बद चलनी के जुर्म पर मुक़दमा न चल सका.
मुहम्मद ग़ौरी ने हुक्म दिया कि इस बदकार की क़ब्र पर पांच पांच जूते 
सज़ा के तौर पर मारे जाएँ. 
यह सज़ा दायमी क़ायम हो गई. 
आज भी उधर से ग़ुज़रने वाले रुक कर ज़ेरे लब एक भोंडी सी गाली 
"बेटी - - - " पढ़ कर  उस कब्र पर पांच जूते लग़ाते हैं.  
कंधार इयर पोर्ट से आने और जाने वाले अफ़गान पृथ्वीराज चौहान की कब्र पर पांच जूते मार कर ही आगे बढ़ते हैं.
राजा जय चंद के वंसज में पूर्व प्रधान मंत्री राजा विश्व नाथ आते हैं 
जिन्होंने अपने पूर्वजों से मिले हुए रजवाड़े को दान कर दिया था 
और पूर्वजों की मान्यता मनुवाद को धिक्कारते और ठुकराते हुए 
मंडल आयोग की सिफ़ारशों को लागू कर दिया था 
जिससे उन्हें गद्दी गवानी पड़ी और अपने पूर्वज राजा जयचंद का ख़िताब 
"ग़द्दार" को झेलना पड़ा क्यूंकि उन्होंने मनुवाद से ग़द्दारी की. 
 चापलूस और झूठे इतिहास कार हमेशा अपने शाशकों के ग़ुलाम  रहे हैं. 
यह आर्यन को भारत का मूल निवासी लिख रहे हैं. 
भंगियों को अकबर का देन लिखते है, 
जबकि अकबर ने भंगियों को असली हलाल खोर का दर्जा दिया था . 
हमारे क़िस्से और कहानियां तो एलान के साथ झूटी होती हैं 
जिसे आम जनता सच मानने लगती है.
रुस्वाए ज़माना पृथ्वीराज चौहान को कुछ इतिहास कार मर्यादित करते हैं 
कि सच को शायद छिपा सकें, 
मगर नहीं समझते कि धरती का इतिहास कई कोनों में छिपा है.
आज भी राजस्थान का मनुवाद प्रभावित वर्ग झूठे इतिहास लिखवा रहा है 
कि महाराणा प्रताप विजई और अकबर पराजित हुवा. 
मगर सच्चाई कभी नहीं मरती,
एक दिन प्रगट होती है. 
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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