Thursday 10 September 2020

पाप और महा पाप है.


पाप और महा पाप है.

शरीर में लिंग बहुत उपयोगी और सदुपयोगी पार्ट है, 
चाहे स्त्री लिंग हो अथवा पुल्लिंग.
बस कि नपुंसक लिंग एक हादसा हो सकता है.
एक हदीस में पैगंबर कहते है कि 
"अगर कोई शख़्स मेरी ज़बान और मेरे लिंग पर मुझे क़ाबू दिलादे तो उसके आक़बत की ज़मानत मैं लेता हूँ." 
यह इस्लामी हदें या बेहदें हुईं.
बहरहाल एतदाल (संतुलन) तो होना ही चाहिए. 
मुसलमान असंतुलित हैं मगर सीमा में रह कर. 
शादियाँ चार हो सकती हैं, इन में से किसी एक को तलाक़ देकर पांचवीं से निकाह करके पुरानी को Renew कर सकते हैं 
और यह रिआयत ता ज़िन्दगी बनी रहती है. 
पैग़म्बर के दामाद अली ने 18 निकाह किए और अली के बेटे हसन ने 72. 
 मुसलमानों का कोई गोत्र नहीं होता, 
उल्टा यह गोत्र में शादियाँ तरजीह को देते हैं. 
बस कि सगी बहेन और न बीवी की बहन न हो.
हिन्दुओं के शास्त्र कुछ अलग ही सीमा बतलाते हैं कि 
इंद्र देव और कृष्ण भगवानों ने हज़ारों पत्नियों का सुख भोगा. 
इनके पूज्य कुछ देव बहन और बेटियों का भी उपयोग किया है. 
इनमे बहु पत्नियाँ ही नहीं एक पत्नी के बहु पति भी हुवा करते थे. 

चीन में अभी की ख़बर है कि मुसलमानों की दाढ़ी और ख़तने पर भी 
पाबन्दी लगा दी  गई है. यह ख़ुश ख़बरी है, 
वहां इस्लाम के सिवा किसी धर्म का अवशेष नहीं बचा. 
हिदुस्तान में देव रूपी खूंखार धर्म हिदू धर्म है 
जिसकी आत्मा इस्लाम में क़ैद है. 
इस्लाम पर कोई भी ज़र्ब हिन्दू देव को घायल करती है. 
इनको छूट देने पर ही हिंदुत्व का भला और बक़ा है 
वरना महा पाप का देव गया पानी में. 
जी हाँ ! इस्लाम अगर धरती पर पाप है तो मनुवाद धरती पर महा पाप है.
इस्लाम जो हो जैसा भी हो खुली किताब है, हिन्दू धर्म का तो कोई आकार ही नहीं.
वेद में कुछ लिखा है तो पुराण में कुछ. उपनिषद तो कुछ और ही कहते हैं.
हिंदी मानुस सब पर भरोसा करते हैं कि पता नहीं कौन सच हो 
और उसे न मान कर पाप लगे. 
एक वाक़ेए की हक़ीक़त दस पंडितो की लिखी हुई गाथा में दस अलग अलग सूरतें हैं. 
विष्णु भगवान की उत्पत्ति मेंढकी की योनि से लेकर गौतम बुद्ध तक पहुँचती है. 
ब्रह्मा के शरीर से निर्माण किया गया यह ब्रह्माण्ड, 
बम बम महा देव एक युग को ही बम से भस्म कर देते हैं. 
इस क़दर अत्याचार ? 
इसके आगे इस्लामी जेहादियों का क़त्ल व ख़ून पिद्दी भर भी नहीं.
मनुवाद 5000 सालों से मानवता को भूखा नंगा और अधमरा किए हुए 
अपने क़ैद खानें रख्खे हुए है, 
जिहादी 5000 सालों में 500 बार अपने अनजाम को पंहुचे .  
***

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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