Monday 1 July 2019

इब्तेदा ता इन्तेहा



इब्तेदा ता इन्तेहा  
        
अगर आज कोई शनासा आपके पास आए और कहे कि 
"अल्लाह ने मुझे अपना रसूल चुन लिया है" 
और इस क़िस्म की बातें करने लगे तो आप का रद्दे-अमल क्या होगा? 
जो भी हो मगर इतनी सी बात पर आप अपना आपा इतना नहीं खो देंगे कि 
उसे क़त्ल ही कर दें. 
फिर धीरे धीरे वह अपने दन्द फन्द से अपनी एक टोली बना ले जैसा कि आज आम तौर पर हो रहा है. 
उस वक़्त आप उसकी मुख़ालिफ़त करेंगे और उसके बारे में 
कोई बात सुनना पसंद नहीं करेंगे. 
उसकी ताक़त बढ़ती जाय और उसके चेले गुंडा गर्दी पर आमादः हो जाएँ 
तब आप क्या करेंगे ? 
पुलिस थाने या अदालत जाएँगे, 
मगर उस वक़्त जब ये सब नहीं थे, 
उस वक़्त जिसकी लाठी उसकी भैंस का ज़माना था.
शनासा का गिरोह अपनी ताक़त समाज में बढा ले, 
यहाँ तक कि जंग पर आमादः हो जाए, 
आप लड़ न पाएं और मजबूर होकर बे दिली से उसको तस्लीम कर लें. 
वह ग़ालिब होकर आप के बच्चों को अपनी तअलीम देने लगे, और आप चल बसें, 
आपके बच्चे भी न नकुर के साथ उसे मानने लगें 
मगर उनके बच्चे उस के बाद - - - 
उस अल्लाह के झूठे रसूल को पूरी तरह से सच मानने लगेंगे. 
इस अमल में एक सदी की ज़रुरत होगी. 
आप तो चौदह सदी पार कर चुके हैं. गुंडा गर्दी आपका ईमान बन चुका है. 
इस तरह  दुन्या में इस्लाम और क़ुरआन  मुसल्लत हुवा है.
क़ुरआन  को अपनी समझ से पढ़ कर इस्लाम का नुसख़ा  
ख़ुद बख़ुद आप कि समझ में आ सकता है. 
क़ुरआन  ख़ुद इस्लाम की नंगी तस्वीर अपने आप में छुपाए हुए है, 
जिसकी पर्दा दारी ये मूज़ी ओलिमा किए हुए हैं.
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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