Tuesday 9 July 2019

Ved Is At Your Door

Ved Is At Your Door 

मैं वन्धना (कानपुर) स्थित चिन्मय ओल्ड एज होम में कुछ दिनों के लिए था. 
यह आश्रम वन्धना और बिठूर के बीच स्थित है जो कभी डाकू बाल्मीकि की शरण स्थली हुवा करती थी.
आश्रम में एक मुस्लिम की आमद पर सुगबुगाहट उठने लगी. 
बात पहुंची संचालक स्वामी शंकरा नन्द जी तक . 
बूढों ने अपनी शंका ज़ाहिर की कि एक मुस्लिम आश्रम में आ गया है , 
हम लोगों को ख़तरे का आभास होने लगा है. 
आश्रम संचालक स्वर्गीय शंकर नन्द उनकी बातें सुनकर मुस्कुराए 
और कहा कि ख़तरा तो उस मुस्लिम को महसूस होना चाहिए कि हिंदुओं के बीच अकेला रह रहा है, न कि आप लोगों को.
मुझे इस बात की जानकारी हुई तो बात गाँधी जी की याद आई कि 
हिन्दू मानस बहुधा कायर होता है. 
स्वामी जी जो Ved Is At Your Door का मिशन अंतर राष्टीय स्तर पर चलाते थे, 
ने उन लोगों से पूछा जब मैं मिडिल ईस्ट जाता हूँ तो किसका अतिथेय बनता हूँ ? ज़ाहिर है मुसलमानों का. अगर उनको मालूम हो कि हम मुसलमानों को आश्रम में नहीं रखते तो मैं क्या जवाब दूँ? 
दूसरे दिन से आश्रम में मेरी इज्ज़त होने लगी और गऊ शाला की जिम्मे दारी मैंने ले ली साथ साथ सब्जी ख़रीदारी का ज़िम्मा भी.
आश्रम की दो बातें मुझे अकसर याद आती है , 
पहली यह कि एक गाय की डिलीवरी पेचीदा हो गई थी, मैं अपनी स्कूटर से भाग कर डाक्टर को वन्धना से लेकर आया तो बछड़ा पैदा हो सका. 
उस बछड़े के साथ मैं रोज़ खेलता. दूसरी हक़ीक़त यह कि - - - 
बियाई हुई गाय में दूध न था. 
ऐसे में एक सज्जन आए और दूसरी ब्याई हुई गाय लाकर आश्रम को पुजा गए, दूसरे दिन पता चला कि उसमें भी दूध देने की क्षमता न थी. 
चार प्राणियों के पालन पोषण की चर्चा हो ही रही थी कि एक सुबह मैं उठ्ठा , देखा तो दोनों गाय नदारद ? 
मैंने पाल से पूछा तो उसने इशारों से बतलाया कि ठिकाने लग गई.
यह हिन्दू और मुस्लिम का समाज कितना खोखला है. 
झूटी मर्यादाएं जी रहे हैं दोनों.
***जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment