नाज़िल और नुज़ूल
क़ुरआन ने मुसलामानों दिलों में एक वहम ''नाज़िल और नुज़ूल''
(अवतीर्ण एवं अवतरित) का डाल दिया है,
मिन जानिब अल्लाह आसमान से किसी बात, किसी शय, किसी आफ़त का उतरना नाज़िल होना कहा जाता है.
ये सारा का सारा क़ुरआन वहियों (ईश-वाणी) के नुज़ूल का ग्रन्थ बतलाया जाता है. नुज़ूल का मतलब है नाज़िल होना किसी नागहानी का.
यानी क़ुरआन का तअल्लुक़ ज़मीन से नहीं बल्कि यह
आसमान से उतरी हुई आफ़त आलूद किताब है.
क़ुरआन अपनी ही तरह मूसा रचित तौरेत और दाऊद द्वारा रचे ज़ुबूर के गीतों को ही नहीं बल्कि ईसा के हवारियों (धोबियों) की लिखवाई गई बाइबिल के बयानों को भी आसमानी साबित करता है, जब कि इन के मानने वाले ख़ुद इन्हें ज़मीनी किताब कहते हैं.
आगे की खोज कहती है आसमान ऐसी कोई चीज़ नहीं कि जिसके फ़र्श और छत हों,
ये फ़क़त हद्दे नज़र है.
क़ुरआन के सात मंजिला आसमान पर मुख़्तलिफ़ मंज़िलों पर मुख़्तलिफ़ दुनिया है,
सातवें पर ख़ुद अल्लाह मियाँ विराजमान है.?
हमारी जदीद तरीन तह्क़ीक़ कहती है की ऐसा आसमान एक कल्पना है,
तो ऐसा अल्लाह भी मुहम्मद का तसव्वुर ही है.
दोज़ख़ जन्नत सब उनकी साज़िश है.
क़ुरआन ने मुसलामानों दिलों में एक वहम ''नाज़िल और नुज़ूल''
(अवतीर्ण एवं अवतरित) का डाल दिया है,
मिन जानिब अल्लाह आसमान से किसी बात, किसी शय, किसी आफ़त का उतरना नाज़िल होना कहा जाता है.
ये सारा का सारा क़ुरआन वहियों (ईश-वाणी) के नुज़ूल का ग्रन्थ बतलाया जाता है. नुज़ूल का मतलब है नाज़िल होना किसी नागहानी का.
यानी क़ुरआन का तअल्लुक़ ज़मीन से नहीं बल्कि यह
आसमान से उतरी हुई आफ़त आलूद किताब है.
क़ुरआन अपनी ही तरह मूसा रचित तौरेत और दाऊद द्वारा रचे ज़ुबूर के गीतों को ही नहीं बल्कि ईसा के हवारियों (धोबियों) की लिखवाई गई बाइबिल के बयानों को भी आसमानी साबित करता है, जब कि इन के मानने वाले ख़ुद इन्हें ज़मीनी किताब कहते हैं.
आगे की खोज कहती है आसमान ऐसी कोई चीज़ नहीं कि जिसके फ़र्श और छत हों,
ये फ़क़त हद्दे नज़र है.
क़ुरआन के सात मंजिला आसमान पर मुख़्तलिफ़ मंज़िलों पर मुख़्तलिफ़ दुनिया है,
सातवें पर ख़ुद अल्लाह मियाँ विराजमान है.?
हमारी जदीद तरीन तह्क़ीक़ कहती है की ऐसा आसमान एक कल्पना है,
तो ऐसा अल्लाह भी मुहम्मद का तसव्वुर ही है.
दोज़ख़ जन्नत सब उनकी साज़िश है.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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