ईमान दारी बनाम इस्लाम दारी
इस्लाम ने हर मुक़द्दस अल्फ़ाज़ को अपनी बद नियती का शिकार बना डाला. ईमान बहुत ही अहम् लफ़्ज़ है जो मेरी मालूमात तक इसका हम पल्ला (पर्याय वाची) लफ़्ज़ कहीं और नहीं.
ईमान दारी में पूरी सच्चाई के साथ साथ फ़ितरत की गवाई भी शामिल हो जाती है और ज़मीर की आवाज़ भी.
जो फ़ितरी सच हो वही ईमान दारी है.
ईमान दारी ग़ैर जानिबदारी की अलामत होती है और मसलेहत से परे.
बहुत जिसारत की ज़रुरत है इस को अपनाने के लिए.
इस्लामदारी दर असल ग़ुलामी होती है, मुहम्मदी अल्लाह की,
जिसका फ़रमान हर सूरत से मुसलमान को मानना पड़ता है,
ख़्वाह कि वह कितनी भी बे ईमानी हो.
इस्लाम ने हर मुक़द्दस अल्फ़ाज़ को अपनी बद नियती का शिकार बना डाला. ईमान बहुत ही अहम् लफ़्ज़ है जो मेरी मालूमात तक इसका हम पल्ला (पर्याय वाची) लफ़्ज़ कहीं और नहीं.
ईमान दारी में पूरी सच्चाई के साथ साथ फ़ितरत की गवाई भी शामिल हो जाती है और ज़मीर की आवाज़ भी.
जो फ़ितरी सच हो वही ईमान दारी है.
ईमान दारी ग़ैर जानिबदारी की अलामत होती है और मसलेहत से परे.
बहुत जिसारत की ज़रुरत है इस को अपनाने के लिए.
इस्लामदारी दर असल ग़ुलामी होती है, मुहम्मदी अल्लाह की,
जिसका फ़रमान हर सूरत से मुसलमान को मानना पड़ता है,
ख़्वाह कि वह कितनी भी बे ईमानी हो.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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