Wednesday 17 July 2019

इस्लामी अफीम हैं क़ुरआनी आयतें


 इस्लामी अफीम  हैं क़ुरआनी  आयतें

 अगर मर गए या मारे गए तो बिल ज़रुरत अल्लाह के पास ही जमा होगे. 
इस बीसवीं सदी में ऐसी अंध विशवासी बातें? 
अल्लाह इंसानी लाशें जमा करेगा ? दोज़ख सुलगाने के लिए? 
अल्लाह अपने नबी मुहम्मद कि तारीफ़ करता है कि 
अगर वह तुनुक और सख्त़ मिजाज होते तो सब कुछ मुंतशिर हो गया होता? 
यानी कायनात का दारो मदार उम्मी मुहम्मद पर मुनहसर था ,
इसी रिआयत से ओलिमा उनको सरवरे कायनात कहते हैं. 
मुहम्मद को अल्लाह सलाह देता है कि ख़ास ख़ास उमूर पर मुझ से राय ले लिया करो. 
गोया अल्लाह एक उम्मी, दिमाग़ी फटीचर को मुशीर कारी का अफ़र दे रहा है. 
अस्ल में इस्लामी अफ़ीम पिला पिला कर आलिमान इसलाम ने 
मुसलमानों को दिमागी तौर पर दीवालिया बना दिया है.
नबूवत अल्लाह के सर चढ़ कर बोल रही है, 
वक़्त के दानिश वर ख़ून का घूट पी रहे हैं कि जेहालत के आगे सर तस्लीम ख़म है. मुहम्मद मुआशरे पर पूरी नज़र रखे हुए हैं .
एक एक बाग़ी और सर काश को चुन चुन कर ख़त्म कर रहे हैं या 
फिर ऐसे बदला ले रहे हैं कि दूसरों को इबरत हो. 
हदीसें हर वाक़ेए की गवाह हैं और क़ुरआन ज़ालिम तबा रसूल की फ़ितरत का, मगर बदमाश ओलिमा हमेशा मुहम्मद की तस्वीर उलटी ही अवाम के सामने रक्खी. 
इन आयातों में मुहम्मद कि करीह तरीन फ़ितरत की बदबू आती है, 
मगर ओलिमा इनको, इतर से मुअत्तर किए हुए है.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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