Sunday 12 May 2013

Soorah Saad 38 2nd (41-48)

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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सूरह साद - ३८- पारा २३  (2)

"और आप हमारे बन्दे अय्यूब को लीजिए जब कि उन्हों ने अपने रब को पुकारा कि शैतान ने मुझे रंज ओ आज़ार पहुँचाया. अपना पाँव मारो यह नहाने का ठंडा पानी है और पीने का, और हम ने उनको उनका कुनबा अता किया और उनके साथ उनके बराबर और भी अपनी रहमत खास्सा के सबब और अहले अक्ल के याद गार रहने के सबब से और तुम हाथ में एक मुट्ठा सीकों का लो और इस से मरो और क़सम न तोड़ो. बेशक उनको मैं ने साबिर बनाया, अच्छे बन्दे थे कि बहुत रुजू होते थे."
सूरह साद - ३८- पारा २३- आयत (४१-४२)

उम्मी में इतनी सलाहियत नहीं कि किसी बात को पूरी कर सके. इस खुराफात को दोहराते रहिए और नतीजा खुद अख्ज़ कीजिए.
अय्यूब एक खुदा तरस बन्दा था. वक़्त ने उसे बहुत नवाज़ा था. सात बेटे और तीन बेटियाँ थीं. सब अपने अपने घरों में खुश हल थे. अय्यूब अपने मुल्क का अमीर तरीन इंसान था. उसके पास ७००० भेढं, तीन हज़ारऊँट, एक हज़ार गाय बैल, ५०० गधे और बहुत से नौकर चाकर थे.
एक दिन शैतान ने जाकर खुदा को भड़काया कि तू अय्यूब का माल मेरे हवाले कर दे, फिर देख वह तेरे लिए कितना बाक़ी बचता है? खुदा ने उसकी चुनौती कुबूल करली. शैतान की शैतानी से अय्यूब का कुनबा एक हादसे में ख़त्म हो जाता है, दूसरे दिन तमाम जानवर लुट जाते हैं.
अचानक ये सब देख कर अय्यूब ने कहा जो हुवा सो हुवा नंगे आए थे नंगे जाएँगे. वह बदस्तूर यादे इलाही में ग़र्क़ हो गया.
फिर एक दिन शैतान खुदा के पास आता है और कहता है कि माना अय्यूब तुझे भूला नहीं और न तुझ से बेज़ार हुवा, मगर ज़रा उसको तू जिस्मानी मज़ा चखा तो देख वह कितना खरा उतरता है.
खुदा ने कहा ठीक है, जा मैंने अय्यूब के जिस्म को तेरे हवाले किया, बस कि उसकी जान मत लेना.
शैतान अय्यूब के जिस्म में ऐसे फोड़े निकालता है कि कपडा पहेनना भी उसे दूभर हो जाता. वह नंगा होकर अपने जिस्म पर राख की खाक पहेनने लगा. अय्यूब एक छोटे से कमरे में क़ैद होकर खुदा की इबादत करने लगा. वह अपने जोरू के तआने भी सुनता रहा. वह कहती - - - कि अब ऐसे खुदा को कोसो जिसकी इबादत में लगेरहते हो. वह कहता नादान क्या मालिक से सब अच्छा ही अच्छा पाने की उम्मीद रखती है.
अय्यूब ने इस हालत में नज्में कही हैं, नमूए पेश हैं  - - -

ऐ मालिक! पीढ़ी दर पीढ़ी से तू हमारी पनाह बना चला आ रहा है,
उसके पहले जब परबत भी नहीं बने थे, न ज़मीन थी, न कायनात थी, तब भी इब्तेदा से लेकर इन्तहा तक,
ऐ माबूद तू ही रहा.
बे सबात (क्षण भंगुर) तू ही मिटटी में मिल जाने के लिए कहता है,
और फिर कहता है ऐ इंसानों की औलाद लौट आओ.
क्यूँकि तुझे हज़ारों साल भी बीते हुए कल की तरह लगते है और वह जैसे रात का एक पहर हो.
तू आदमियों को उठा ले जाता है हर सुब्ह होने पर,
देखे हुए ख्व्स्बों की तरह लगते हैं,
या बढ़ी हुई घास की तरह .
वह सुब्ह बढ़ती है और हरी होती है और शाम को कट जाती है और सूख जाती है.
सच मुच तेरे अज़ाब से हम बर्बाद हो गए हैं ,
और जब तूने कहर ढाया तो हम घबरा गए थे,
हमारे गुनाहों को तूने मेरे सामने रखा,
ख़याल कर कि मेरी ज़िन्दगी कितनी मुख़्तसर है,
और तूने इंसानों को कितना फ़ानी बनाया है.    
(२)
"ऐ खुदा मेरे पुख्खों का पूज्य तेरा शुक्र है ,
तू पूजा के लायक है और काबिले तारीफ़ है,
तेरे पाक और अज़मत वाले नामों को सलाम,
ऐ मुक़द्दस और पुर नूर पूज्य ! तेरे आगे सर ख़म करता हूँ,
ऐ आसमानी फरिश्तो और बदलो! तुम भी शुक्र अदा करो.
ऐ खलक की तमाम मखलूक ! उसको सलाम करो,
ऐ सूरज और चाँद खुदा का शुक्र अदा करो,
ऐ बारिश और ओस! खुदा का शुक्र अदा करो.
ऐ अतराफ की हवाओ! उसका शुक्र अदा करो- - -
(तौरेत)

यह है तौरेत में योब (अय्यूब) की सबक आमोज़ कहानी जिसे क़ुरआनी अल्लाह न चुरा पाता है और न चर पाता है.
"और हमारे बन्दे इब्राहीम, इसहाक़ और याकूब जो हाथों वाले और आँखों वाले थे - - - (?)
और इस्माईल और अल लसीअ  और ज़ुलकुफ्ल को भी याद कीजिए.- - -"
सूरह साद - ३८- पारा २३- आयत (४५-४८)

जिन का भी नाम सुन रखा था मुहम्मद ने सब को उनका अल्लाह याद करने को कहता है, हैरत की बात ये है कि सभी हाथों और आँखों वाले थे, उस से भी ज्यादः  हैरत का मुक़ाम ये है कि आज और इस युग में भी मुसलमान इन बातों का यक़ीन करते हैं. इस बेहूदा और गुमराही की तबलीग भी करते हैं.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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