मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें। मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है।
क़ुरआन के झूट - - -
और तौरेती सदाक़त
झलकियाँ - - -
झलकी नं १४
इलियास (एलियास)
इलियास यहूद का नबी था। रवायत है कि सुमारिया का हुक्मराँ अब्जिया बीमार हुवा तो उसने अपने क़ासिद को एक्रोन बालजियूब देवता के पास भेजा कि वह पूछ कर आए कि वह ठीक होगा या नहीं ? रस्ते में उसकी मुलाक़ात सर पे टोप पहने और कमर में पट्टा कैसे इलियास से हुई। इलियास ने क़ासिद से कहा जाकर राजा से कह दे , क्या इस्राईल में खुदा नहीं कि राजा तुझे एक्रोन भेज रहा है ? कहना तू जिस खाट पर पड़ा है उससे कभी उठ नहीं पाएगा और मर जाएगा। जब यह बात राजा तक पहुंची तो उसने ५० सिपाह इलियास को गिरफ्तार करने के किए भेजा। मौके पर पहुचने से पहले सभी सिपाह आग की बरसात में जल मरे। राजा ने दोबारा दस्ता भेजा , उनका भी हश्र वैसा ही हुवा ,
इलियास की बद्दुआ के शिकार हो गए।
राजा ने तीसरा दस्ता भेजा जिसका मुखिया समझदार था। उसने अपनी दलीलों से इलियास को राज़ी कर लिया कि व राजा के पास चले। इलियास राजा के पास पहुँच कर भी अपनी ही बात दोहराई ,'' क्या क्या इस्राईल में खुदा नहीं कि - - -
तू जिस खाट पर पड़ा है उससे कभी उठ नहीं पाएगा "
थोड़ी देर में राजा मर गया।
कहते हैं कि खुदा ने इलियास को मुजस्सम जन्नत के लिए उठा लिया था जिसकी खबर इल्यास को पहले ही हो गई थी। वह अपने शागिर्दों को लेकर उर्दन नदी के पार गया। अपनी चादर को मार के उसने नदी में खुश्क रास्ता निकल लिया , फिर सभों ने नदी पार किया। एक बवंडर आया और इलियास को जन्नत के लिए उड़ा ले गया।
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झलकी नं 15
अय्यूब (योब)
अय्यूब एक ख़ुदा तरस बंदा था , वक़्त ने उसको बहुत नवाज़ा था , उसके सात बेटे और तीन बेटियां थीं , सब अपने अपने घरों में खुश हाल थे। अय्यूब मुल्क का अमीर तरीन इंसान था , इसके पास ७००० भेड़ें , तीन हज़ार ऊँट , १००० बैल ५०० गधे और बहुत से नौकर चाकर थे।
एक दिन शैतान ने जाकर ख़ुदा को बहकाया कि
अय्यूब का माल मेरे हवाले कर दे , फिर देख वह तेरा कितना रह जाता है।
ख़ुदा ने शैतान की चुनौती क़ुबूल कर ली।
शैतान की शैतानी से अय्यूब के तमाम बेटे और बेटियां एक तक़रीब में मारे जाते हैं , दुसरे दिन तमाम जानवर लुट जाते हैं। अचानक यह सब देख कर अय्यूब कहता है ,
जो गया जाने दो , नंगा आया था , नंगा जाऊँगा
और वह फिर याद ए इलाही में गर्क़ हो जाता है।
यह देख कर शैतान मायूस हुवा और ख़ुदा के पास फिर गया और कहा
ठीक है, अय्यूब तुझे भूला नहीं , न तुझ से बेज़ार हुवा मगर तू अय्यूब को जिस्मानी मज़ा चखा दे,
तो देख वह तेरे आज़माइश में कितना खरा उतरता है ?
खुदा ने कहा ठीक है जा उसके जिस्म को तेरे हवाले करता हूँ मगर हाँ ! याद रहे कि उसकी जान नहीं ले लेना।
शैतान उसके जिस्म पर ऐसे फोड़े फुंसी निकलता है कि उसे कपडे पहनने में भी तकलीफ होती है। वह नंगा होकर राख के ढेर पर अपने रात और दिन काटता है। वह एक छोटे से कमरे में बंद होकर खुदा की बंदगी करता।
अय्यूब की बीवी इसे ताने देती कि अब अपने खुदा को कोसो और मर जाओ।
अय्यूब कहता , कम्बख्त क्या खुदा से सब पाने पाने की ही उम्मीद रखती है ?
इस हाल में इसके तीन दोस्त इस से मिलने आते हैं , अय्यूब को देख कर पहचान नहीं पाते , मारे सदमे के अपने अपने कपडे फाड़ लेते हैं और सरों पर राख मल लेते हैं।
अय्यूब ने इस हालत में बड़ी दर्दनाक नज़्में कहीं। ( देखें सहीफ़े में )
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान