Monday 30 October 2017

Soorah Fatiha – 1

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह फातेहा 
(१) 

खुद अल्लाह कहता है - - -
सब अल्लाह के ही लायक हैं जो मुरब्बी हैं हर हर आलम के। (१) 
जो बड़े मेहरबान हैं , निहायत रहेम वाले हैं। (२) 
जो मालिक हैं रोज़ जज़ा के। (३) 
हम सब ही आप की इबादत करते हैं, और आप से ही दरखास्त मदद की करते हैं। (४) 
बतला दीजिए हम को रास्ता सीधा । (५) 
रास्ता उन लोगों का जिन पर आप ने इनआम फ़रमाया न कि रास्ता उन लोगों का जिन पर आप का गज़ब किया गया । (६) 
और न उन लोगों का जो रस्ते में गुम हो गए। (७) 
( पहला पारा जिसमें ७ आयतें हैं) 

कहते है क़ुरआन अल्लाह का कलाम है, मगर इन सातों आयतों पर नज़र डालने के बाद यह बात तो साबित हो ही नहीं सकती कि यह कलाम किसी अल्लाह जैसी बड़ी हस्ती ने अपने मुँह से अदा क्या हो। यह तो साफ़ साफ़ किसी बन्दा-ऐ-अदना के मुँह से निकली हुई अर्ज़दाश्त है. अल्लाह ख़ुद अपने आप से इस क़िस्म की दुआ मांगे, क्या यह मजाक नहीं है? 

या फिर अल्लाह किसी सुपर अल्लाह के सामने गुज़ारिश कर रहा है ? 
अगर अल्लाह इस बात को फ़रमाता तो वह इस तरह होती ----- 
"सब तारीफ़ मेरे लायक़ ही हैं, मैं ही पालनहार हूँ हर हर आलम का. १ 
मैं बड़ा मेहरबान, निहायत रहेम करने वाला हूँ. २ 
मैं मालिक हूँ रोज़े-जज़ा का..३ 
तो मेरी ही इबादत करो और मुझ से ही दरखास्त करो मदद की. ४ 
ऐ बन्दे मैं ही बतलाऊँगा तुझ को सीधा रास्ता . 5 
रास्ता उन लोगों का जिन पर हम नें इनआम फ़रमाया .६ 
न की रास्ता उन लोगों का जिन पर हम ने गज़ब किया और न उन लोगों का जो रस्ते से गुमहुए। 7" 
मगर,
 अगर अल्लाह इस तरह से बोलता तो ख़ुद साख्ता रसूल की गोट फँस गई होती और इन्हें पसे परदा अल्लाह बन्ने में मुश्किल पेश आती. बल्कि ये कहना दुरुस्त होगा कि मुहम्मद क़ुरआन को अल्लाह का कलाम ही न बना पाते, क्यूँकि ऐसे बड बोले अल्लाह को मानता कोई न जो खुद अपने मुँह से अपनी तारीफ़ झाड़ रहा हो.इस सिलसिले में इस्लामीं ओलिमा इस बात को यूँ रफू गरी करते हैं कि - - -
क़ुरआन में अल्लाह कभी ख़ुद अपने मुँह से कलाम करता है, 
कभी बन्दे की ज़बान से. 
याद रखे कि खुदाए बरतर के लिए ऐसी कोई मजबूरी नहीं थी कि वह अपने बन्दों को वहम में डालता और ख़ुद अपने सामने गिड़गिडाता. 
उसकी कुदरत तो अपरम्पार होगी अगर वह है.गौर करें पहली आयत----
कहता है --- 
"सारी तारीफें मुझे ही ज़ेबा देती हैं क्यो कि मैं ही पालन हार हूँ तमाम काएनातों में बसने वालों का." 
अल्लाह मियाँ! अपने मुँह मियाँ मिट्ठू ? अच्छी बात नहीं, भले ही आप अल्लाह जल्ले शानाहू हों. प्राणी की परवरिश अगर आप अपनी तारीफ़ करवाने के लिए कर रहे हैं तो बंद करें पालन हारी. वैसे भी आप की दुन्या में लोग दुखी ज्यादा और सुखी कम हैं. 
दूसरी आयत पर आइए-----
आप न मेहरबान हैं, न रहेम वाले , यह आगे चल कर कुरानी आयतें चीख चीख कर गवाही देंगी, आप बड़े मुन्तक़िम( प्रतिशोधक) ज़रूर हैं और बे कुसुर अवाम का जीना हराम किए रहते हैं. 
तीसरी आयत ---
यौमे जज़ा (प्रलय दिवस) यहूदियों की कब्र गाह से बर आमद की गई रूहानियत की लाश, जिस को ईसाइयत ने बहुत गहराई में दफ़न कर दिया था, इस्लाम की हाथ लग गई, जिसे मुहम्मद ने अपनी धुरी बनाई. मुसलामानों की जिदगी का मकसद यह ज़मीन नहीं, वह आसमान की तसव्वुराती दुनिया है, जो यौमे-जज़ा के बाद मिलनी है. 
क़यामत नामा कुरआन पढ़ें. 
दर अस्ल मुसलमान यहूदियत को जी रहा है. 
*पाँचवीं आयत में अल्लाह अपने आप से या अपने सुपर अल्लाह से पूछता है कि बतला दीजिए हमको सीधा रास्ता. क्या अल्लाह टेढे रास्ते भी बतलाता है? 
यकीनन, आगे आप देखेंगे कि कुरानी अल्लाह किस कद्र अपने बन्दों को टेढे रास्तों पर गामज़न कर देता है जिस पर लग कर मुसलमान गुमराह हैं.क़ुरआन का क़ौल है 
अल्लाह जिस को चाहे गुमराह करे, 
कूढ़ मग्ज़ मुसलमान कभी इस पर गौर नहीं करता कि यह शैतानी हरकत इस का अल्लाह क्यों करता है? कहीं दाल में कुछ कला है. 
छटी आयत में अल्लाह कहता है रास्ता उन लोगों का रास्ता बतलाइए जिन पर आप ने करम फरमाया है. 
यहाँ इब्तेदा में ही मैं आप को उन हस्तियों का नाम बतला दें जिन पर अल्लाह ने करम फ़रमाया है, आगे काम आएगा क्यूं कि कुरान में सैकडों बार इन को दोहराया गया है. यह नम हैं---
इब्राहीम, इस्माईल, इस्हाक़, लूत, याकूब, यूसुफ़, मूसा, दाऊद, सुलेमान, ज़कर्या, मरयम, ईसा अलैहिस्सलामन वगैरह वगैरह.
 याद रहे यह हज़रात सब पाषण युग के हैं, जब इंसान कपड़े और जूते पहेनना सीख रहा था 
छटी आयत गौर तलब है कि अल्लाह गज़ब ढाने वाला भी है. अल्लाह और अपने मखलूक पर गज़ब भी ढाए? सब तो उसी के बनाए हुए हैं बगैर उसके हुक्म के पत्ता भी नहीं हिलता, इंसान की मजाल? 
उसने इंसान को ऐसा क्यूं बनाया की गज़ब ढाने की नौबत आ गई?
सातवीं आयत में भी अल्लाह अपने आप से दुआ गो है कि न उन लोगों का रास्ता न बतलाना `जो रास्ता गुम हुए. रास्ता गुम शुदा के भी चंद नाम हैं---
आजार, समूद, आद, फ़िरौन, वगैरह. इन का भी नाम कुरान में बार बार आता है. 
कुरआन अपने यहूदी और ईसाई मुरीदों की मालूमाती मदद में रद्दो बदल करके, उम्मी ( निरक्षर और नीम शाएर) मुहम्मद का कलाम है। इस का पता हर खास ओ आम क़ुरआनी विद्वान को मालूम है, मगर वह वह सब के सब धूर्त हैं. 
क़ुरआन का मिथ्य ही उनकी रोज़ी रोटी है.
यह सूरह फातेहा की सातों आयतें कलाम-इलाही बन्दे के मुंह से अदा हुई हैं। 
यह सिलसिला बराबर चलता रहेगा, अल्लाह कभी बन्दे के मुंह, से बोलता है, कभी मुहम्मद के मुंह से, तो कभी ख़ुद अपने मुंह से. 
माहरीन द्ल्लाले कुरआन ओलिमा इस को अल्लाह के गुफ्तुगू का अंदाजे बयान बतलाते हैं, मगर माहरीन ज़बान इंसानी इस को एक उम्मी जाहिल का पुथन्ना करार देते हैं. जिस को मुहम्मद ने वज्दानी कैफियत में गढा है. मुहम्मद को जब तक याद रहता है कि वह अल्लाह की ज़बान से बोल रहे हें तब तक ग्रामर सही रहती है,
जब भूल जाते है तो उनकी बात हो जाती है. 

यह बहुत मुश्किल भी था की पूरी कुरआन अल्लाह के मुंह से बुलवाते. 


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Saturday 28 October 2017

Hindu Dharm Darshan 107

वेद दर्शन

हवन करने के लिए ब्राह्मण अपने पोंगा पंडित लगाते हैं, 
यह ब्राह्मण के निठल्ले कपूत होते हैं जो राज काज में निपुणता से परे माने जाते हैं. 
यह समाज में हवन यज्ञ का माहौल बनाए रहते हैं. 
यजमान (हवन का भार उठाने वाला) को पटाया करते हैं, 
हवन की उपयोगता को समझाते है कि इस से वायु मंडल शुद्ध, सुरक्षीत और सुशोभित रहता है. यह पोंगे सैकड़ों देवताओं को यजमान के घर में मन्त्र उच्चारण से  बुलाते हैं जैसे देवता गण इनके मातहत हों.  
यह हराम खोर यजमान से सोमरस तैयार कराते हैं 
औए फिर देवताओं को आमंत्रित करते हैं कि आओ अश्वनी कुमारो ! 
सोमरस तैयार है, आकर पियो.
सोमरस शराब नहीं होती, क्योंकि यह पत्थर से कूट कर 
फिर कपडे से छान कर बनाई जाती है. 
यह गालिबन भांग होती है जिसके दीवाने शंकर जी हुवा करते थे. 
यह सोमरस देवताओं के नाम पर नशा खोरी का जश्न हुवा करता था.

ऋग वेद में नामित देव गण - - - 
इंद्र देवता, अग्नि देवता, वायु देवता, अश्वनी कुमार, मरुदगण, रितु देवता, ब्राह्मणस्पति देवता, वरुण देवता, ऋभुगण देवता एवं सविता, पूषा, उषा, सूर्य, सोम विश्वेदेव, रात्रि, भावयव्य, मित्र , विष्णु ऋभु , मारूत , ध्यावा पृथ्वी जल देवता गण आदि . 
इन दवताओं के कोई न कोई ईष्ट होता है, इनकी वल्दियत भी दर्जा है अगर आप इसे कल्पित मानते हैं. 
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Friday 27 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqa 22

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 

क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  

योसो (ईसा) 

ईसा की बारह साला बचपन मरयम की झलकी में आपने देखा।
ईसा यहूदियत का बंटा धार करने वाला जनम जात कट्टर यहूदी था।  ग़ैर यहूदियों को वह पिल्ला कहता और शागिर्दों से कहता इनके रस्ते पर मत चलना , समारियों के किसी शहर में दाखिल मत होना , भले ही इस्राइलियों के किसी खोई हुई भेड़ (गुमराह यहूदी) के घर चले जाना (मित्ती १०/५+६। 
एक कन्नानी (ग़ैर यहूदी) औरत  ईसा के पीछे  से आई कि उसकी बेटी को बद रूह से छुटकारा दिलाएँ , ईसा उसको टाल गए , शागिर्दों ने कहा इसे निमटा दें , हमारे पीछे पड़ी हुई है , ईसा ने कहा मैं सिर्फ इस्राइलियों की भटकी हुई भेड़ों के पास भेजा गया हूँ।  उस औरत ने ईसा के सामने सजदा में गिर कर मिन्नतें कीं , 
ऐ मसीह तू मेरी मदद कर। 
ईसा ने जवाब दिया बच्चों की रोटी पिल्लों के सामने डालना मुनासिब नहीं। 
ईसा ऐसे भी थे ,
 यह बात अलग है कि वह ग़ैर इस्राइलि कन्नानी औरत अपनी दलीलो से ईसा की दुआएँ  लेकर ही टली 
मगर 
सलीब पर चढ़ने के बाद (जैसा कि ईसा ने एलान किया था तीन दिन बाद मैं ज़िंदा हो जाऊँगा )

जब शाम के वक़्त ईसा बेजान हो गए थे,उनको एक बा असर और दौलत मंद शागिर्द योसेफ सरकारी हुक्म लेकर ईसा की मय्यत ले गया और दफना दिया। सरकारी अमले ने तीन दिनों तक के लिए ईसा की क़ब्र पर पहरा बिठा दिया कि कहीं लाश गुम होकर भूत बन कर ज़मीन पर न आ जाए। हुवा यही कि पहरे दारों को घूस देकर लाश को चुरा लिया गया और ईसा ज़िंदा होकर गेलेल्या के पहाड़ों पर पहुँच गए। गेलेल्या में जो आखरी पैग़ाम दिया , उसके मुताबिक़ उनका पैग़ाम बदल चुका था.
ईसा यहूदियत के हिसार को तोड़ कर तमाम इंसानी बिरादरी के लिए खुदा का बेटा बन गए थे। 
इस तरह ईसाइयत पूरी दुन्या में फ़ैल गई।  


(यह सिलसिला ख़त्म हुवा.)

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Thursday 26 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqa 21

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 

क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  

मरयम 

मरयम या ईसा की ज़ात पर क़लम चलाना इस नाचीज़ की गुस्ताखी होगी और सूरज को चराग दिखलाने जैसा होगा , मगर क़ुरआन में इनके बारे में जो कुछ आया है , उसके मुताबिक़ मुसलामानों की जानकारी इनके बारे में एक फरेब होगा। मुस्लिम अवाम को इनकी जानकारी देना ज़रूरी है ,
ईसा से पहले (३१-१४ साल) ,फिलिस्तीन में यहूदी शहनशाह अगस्ट्स का राज था। उसने मुल्क में मर्दुम शुमारी का हुक्म दिया जिसके तहत नाज़रत का बढ़ई युसूफ अपनी मंगेतर मरयम को लेकर गलेलिया के क़स्बा बेल्थेहम गया। वहां उसको मुसाफिर खाने में जगह न मिली तो अस्तबल में ही रहना पड़ा। इसी अस्तबल में मरयम ने बच्चा जना। आठवें दिन बच्चे का वहीँ पर खतना हुवा। बच्चे का नाम योसो रखा गया. 
बारह साल बाद युसूफ और मरयम अपने बेटे को लेकर पास्का का त्यौहार मनाने योरोसलाम गए , वहां योसो भीड़ में खो गया।  माँ बाप बेटे को ढूंढने में हलकान हो गए। तीन दिन बाद मरयम ने बेटे को एक मंदिर में पाया जोकि पुजारी की पनाह में था। मरयम ने योसो को डांटा कि वहां तेरा बाप परेशान बैठा है, घर जाने के लिए के लिए और तुम यहाँ बैठे हुए हो ?
योसो ने कहा आपको नहीं मालूम कि मैं अपने घर में आ गया हूँ। यहीं पर मेरे बाप हैं। 
योसो वहीँ का होकर रह गया।  दीन दुख्यों की सेवा करता , दीन की तब्लीग करता। 
बाइबिल के एक बाब के मुताबिक़।  . . . 
गाब्रील (जिब्रील) खुदा के हुक्म से गलेलिया के क़स्बे नाज़रात गया जहाँ कुवांरी मरयम रहती थी। उसकी मंगनी दाऊद खानदान  के एक बढ़ई युसूफ से हो गई थी।  गाब्रील ने मरयम को सलाम किया और उसको खुदा का पैगाम सुनाया कि 
आप हामला होंगी और एक बच्चे को जन्म देंगी , उसका नाम योसो होगा और वह खुदा  का बेटा होगा और दाऊद की मुमलकत क़ायम करेगा।  इसकी क़ायम की हुई मुमलकत कभी ख़त्म न होगी। मरयम ने कहा मैं खुदा की बंदी हूँ , उसकी मंशा मुझ पर पूरी होगी। 
मरयम अपने बेटे से मिलने और उससे बात करने के लिए तरसती थी।  एक बार वह उससे मिली तो।  . . . 
ईसा अपने शागिर्दों में बैठा बातें कर रहा था कि इससे मिलने इसकी माँ और भाई आए और अंदर अपने आने की खबर भिजवाई। 
ईसा ने खबर सुन कर कहा , कौन है मेरी माँ और मेरा भाई ?
उसने महफ़िल में बौठे लोगों की तरफ इशारा करते हुए कहा 
देखो यह हैं मेरी माँ और मेरे भाई जो मेरे जन्नत नशीन बाप की मर्ज़ी पर चलते हैं। 
इसके बर अक्स ईसा ने यहूदी आलिमों के एतराज़ पर कि यहूदी उसूलों की खिलाफ वर्ज़ी क्यों करते हो ?
ईसा का जवाब था तुम खुदा की मर्ज़ी की खिलाफ काम क्यों करते हो ?
खुदा बाप ने कहा है अपने माँ बाप की इज़्ज़त करो , जो अपने माँ बाप को कोसें उनको सजाए-मौत हो। 


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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Wednesday 25 October 2017

Hindu Dharm Darshan 106



गीता और क़ुरआन
भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
>अपने मन को मेरे नित्य चिंतन में लगाओ, 
मेरे भक्त बनो, मुझे नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो. 
इस प्रकार मुझ में पूर्णतया तल्लीन होने पर 
तुम निश्चित रूप से मुझे प्राप्त करोगे. 
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -9  श्लोक -34 

>भगवान् को प्राप्त करने के बाद साधक को क्या मिलता है ?
गूंगे को गुड का स्वाद ? जिसे वह बयान नहीं कर पाता. 
या अंधे की कल्पना जिसमे डूब कर वह हमेशा मुस्कुराया करता है ? 
क्या गीता लोगों को अँधा और गूंगा बनती है ? 
परम सुख है औरों को सुख देना और भगवान् स्वयं सुख पाने का पाठ पढ़ा रहे हैं.

और क़ुरआन कहता है - - - 
>''ऐ ईमान वालो! 
अगर तुम अल्लाह से डरते रहोगे तो, वह तुम को एक फैसले की चीज़ देगा और तुम से तुम्हारे गुनाह दूर क़र देगा और तुम को बख्श देगा और अल्लाह बड़ा फ़ज़ल वाला है.''
सूरह -इंफाल - ८ नौवाँ परा आयत ( २९ )

अल्लाह के एजेंट बने मुहम्मद उसकी बख्शी हुई रियायतें बतला रहे हैं. 
पहले उसके बन्दों को समझा दिया कि उनका जीना ही गुनाह है, 
वह पैदा ही जहन्नम में झोंके जाने के लिए हुए हैं, 
इलाज सिर्फ़ यह है कि मुसलमान होकर मुहम्मद और उनके कुरैशियों को टेक्स दें और उनके लिए जेहाद करके दूसरों को लूटें मारें जब तक कि वह भी उनके साथ जेहादी न बन जाएँ.
ना करदा गुनाहों के लिए बख्शाइश का अनूठा फार्मूला जो मुसलमानों को धरातल की तरफ खींचता रहेगा.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Tuesday 24 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqa 20

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 

क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  

ज़खरया (ज़करिया, ज़कारिया)

यहूदी हुक्मराँ राजा हीरोद के दौर में ज़खरया नाम का पुजारी हुवा करता था। इसकी बीवी अल्ज़ीबियत थी जोकि मूसा के भाई हारुन की वंशज थी। वह बाँझ थी और बूढी भी हो चुकी थी। एक दिन पूजा के दरमियान फ़रिश्ते गाबरील ने ज़खरया को खबर दी कि अल्ज़ीबियत एक बच्चे की माँ बनेगी और तुम साहिबे औलाद होगे। ज़खरया ने हैरत से पूछा मैं बूढा हूँ और मेरी बीवी बाँझ ? यह कैसे मुमकिन होगा ? गाब्रील ने कहा खुदा के लिए हर काम मुमकिन है। उस फ़रिश्ते ने साथ साथ यह भी कहा तुम उस वक़्त तक  गूंगे होगे जब तक बच्चा न हो जाए , बच्चे का नाम योहन रखना। वह असीयस की तरह यहूदियों को खुदा की तरफ फेरेगा। 
अलजबीयत ने पांच महीने तक इस बात को छुपा रख्खा था कि व हामला है। छटवें महीने वह गाबरील के बतलाए हुए मुक़ाम गलेलिया की नाज़रत नगरी तक पहुँची जहाँ मरियम से मिलने की हिदायत थी। उसने मरियम के घर दाखिल होकर उसको सलाम किया। उस वक़्त अलजबीयत के पेट का बच्चा ख़ुशी से उछल पड़ा , जैसे कि पाक रूह इसमें समां गई हो। 
अलजबीयत ने मरियम से कहा शुक्र है आप जैसी खातून से मुझे मिलने का मौक़ा मिला जिसके पेट में खुदा का बीटा पल रहा है। 
अलजबीयत के यहाँ बच्चा हुवा जिसका नाम योहन रख्खा गया। हर तरफ खुशियां मनाई गईं , आठवें रोज़ बच्चे का खतना हुवा , साथ में ज़खरिया की चुप भी ख़त्म हुई , तब उसने खुदा की हम्द व् सना की। 

योहन बस्ती से दूर सेहरा में पला बढ़ा , उसके बाद इस्राइलियों में अपने नबूवत का एलान किया।  वह सख्त मिज़ाज़ था. जो लोग उससे बपतिस्मा लेने आते उनसे कहता------
"ऐ सांप के बच्चो ! किसने तुम्हें आने वाले अज़ाब से आगाह किया 
और भागने का रास्ता बतलाया ?
अपने पछतावे के मुताबिक़ फल पैदा करो , 
दिल में यह कभी न रहे कि तुम अब्राहम की औलाद हो 
मैं तुम से सच कहता हूँ कि खुदा इन पत्थरों से भी अब्राहम की औलाद पैदा कर सकता है "
योहन ने राजा हीरोड की छोटी भावज के बारे में किरदार कुशी पर ज़बान खोली तो इसको गिरफ्तार कर लिया गया। किसी तक़रीब में भतीजी ने बड़े बाप राजा हीरोद के सामने ऐसा रक़्स किया कि राजा खुश हुवा और कुछ भी मांग लेने को कहा। 
उसने फ़ौरन योहन का सर थाली में रख कर अपनी माँ को पेश करने की फरमाइश की। 
ऐसा न चाहते हुए भी राजा ने अपनी ज़बान को निंभाते हुए योहन का सर भावज को दिया। 
(यह खबर सुनकर ईसा खौफ के मारे बस्ती छोड़ कर वीराने को भागे)

** ज़करया  2nd


५२० ईसा पूर्व यहूदयों में नबी का दर्जा पाने वाले ज़करया इब्न बैरेकिया को खुदा अपने दर्शन देते हुए कुछ मंज़र पेश करता था। इनके कई इल्हामी दीदार क़लम बंद हैं। ज़करया कहते हैं , मैं ने आँखें उठाईं तो मुझे इल्हामी दीदार हुवा। मैंने चार सींगें देखीं तो मैंने उस फ़रिश्ते से जिससे मैं बात कर रहा था पूछा ,
यह क्या है ? उसने कहा यही वह सींगें हैं जिसने बोड़ा और योरोसलाम को बिखेर दिया। फिर खुदा ने मुझे चार लोहार दिखलाए , मैंने पूछा यह किस काम के लिए आए हैं ? कहा यह इस लिए आए हैं कि लोगों को खौफ ज़दा  करें और उन देशों के सींग काट डालें जिन्हों ने बिखेर देने के लिए बोड़ा के खिलाफ अपनी सींग उठाइं। और - - - 
(शायद ज़करया की इल्हामी बातें मुहम्मद के क़ुरानी आयतों की तरह बे सर पैर की हैं)

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Monday 23 October 2017

Hindu Dharm Darshan 105



गीता और क़ुरआन

भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं - - -
>अतः उठ्ठो ! लड़ने के लिए तैयार हो ओ और यश अर्जित करो. अपने शत्रुओं को जित कर संपन्न राज्य का भोग करो.यह सब मेरे द्वारा पहले ही मारे जा चुके हैं और हे सव्यसाची ! तुम तो युद्ध में केवल निमित्त मात्र हो.
द्रोंण, भीष्म,  जयद्रथ, कर्ण और अन्य महँ योद्धा पहले ही मरे जा चुके हैं, अतः तुम उनका वध करो और तनिक भी विचलित न हो ओ. तुम केवल युद्ध करो. युद्ध में तुम अपने शत्रुओं को परास्त करो.  
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -11   श्लोक -33-  34 

*कृष्ण अपना भयानक रूप दिखला कर अर्जुन को फिर युद्ध के लिए वरग़लाते हैं. 
पिछले अध्यायों में ब्रह्मचर्य का उपदेश देते हैं और अब भोग विलास का मश्विरह. 
कहते हैं काम तो मैंने सब का पहले ही तमाम कर दिया है, 
तुम केवल नाम के लिए उनकी हत्या करो. 
अगर बंदा ऐसा करे तो ब्लेक मेलिंग और भगवान् करे तो गीता ?

और क़ुरआन कहता है - - - 
>''और इनमें (जेहाद से गुरेज़ करने वालों) से अगर कोई मर जाए तो उस पर कभी नमाज़ मत पढ़ें, न उसके कब्र पर कभी खड़े होएँ क्यूं कि उसने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ्र किया और यह हालाते कुफ्र में मरे. हैं''
सूरात्तुत तौबा ९ - १०वाँ परा आयत (८४)

इब्नुल वक़्त (समय के संतान) ओलिमा और नेता यह कहते हुए नहीं थकते कि इस्लाम मेल मोहब्बत, अख्वत और सद भाव सिखलता है, आप देख रहे हैं कि इस्लाम जिन्दा तो जिन्दा मुर्दे से भी नफरत सिखलाता है. कम लोगों को मालूम है कि चौथे खलीफा उस्मान गनी मरने के बाद इसी नफ़रत के शिकार हो गए थे, उनकी लाश तीन दिनों तक सडती रही, बाद में यहूदियों ने अज़ राहे इंसानियत उसको अपने कब्रिस्तान में दफ़न किया। 


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Sunday 22 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqa 19

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
*******************

क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 

क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  



राजा सोल और समूईल (सालेह और समूद)
इसराईलियों का नबी समूईल बूढा हो चुका था , उसने अपने बेटों को अपना क़ायम मुक़ाम बनाया , जोकि बद उनवानियों के शिकार हो चुके थे। अवाम ने इसकी शिकायत समूईल से की और राय दिया कि दीगर क़ौमों की तरह उनका भी कोई अच्छा राजा होना चाहिए। यह बात समूईल को पसंद नहीं आई। उसने लोगों को जवाब दिया राजा तुम्हारी औलादों को रथों में घोड़े की जगह लगाएगा और घोड़ों के साथ ही दौड़ाएगा।  तुम्हारी पैदावार से माल गुज़ारी लेगा। सब राजा के गुलाम और खादिमाएं हो जाएंगी। उस वक़्त इस्रइलयों का खुदा  तुम्हारी कोई मदद नहीं करेगा। 
मगर अवाम बज़िद रहे कि कम से कम  हमारा कोई मुहाफ़िज़  होगा जो हमें बैरूनी ताक़तों से हमें बचाएगा। 
बेन्यामीन खानदान से एक फ़र्द कैश हुवा करता था जिसका बेटा सोल (सालेह) था जोकि अच्छी शख्सियत का मालिक था। वह इतना लंबा था कि बाक़ी लोग उसके काँधे तक ही पहुँच पाते। एक दिन किसी तक़रीब के बाद समूईल की मुलाक़ात सोल से हुई जिसके बारे में खुदा ने समूईल से कहा था कि जो शख्स ऐसे मौके पर मिलेगा  , वही इस्राईल का राजा होगा। 
ग़रज़ कई आज़माइश को तय करते हुए सोल इस्राईल का राजा बना। 
कुछ दिनों बाद समूईल और सोल में इख्तिलाफ़ात शुरू होने लग गए। दरअस्ल समूईल नबूवत को क़ायम रखते हुए अपने बेटों तक यह सिलसिला ले जाना चाहता था। उसने राजा और रजवाड़े के खिलाफ एक तक़रीर करके लोगों को आगाह किया। 
सोल बहुत अच्छा हुक्मरां साबित न हुवा।  इसने एक मौके पर इस्राइलियों से क़सम ले ली कि जब तक दुश्मन पर फ़त्ह न हासिल हो जायगी , कुछ खाएंगे न पिएंगे, वर्ना उन पर खुदा का अज़ाब नाज़िल हो जाएगा , इस बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसके बेटे ने शहद चाट लिया। उसने लोगों को आगाह किया कि बिना खाए पाई तो वैसे ही हम मर जाएंगे, फ़तेह कैसे होगी ?
सोल ने अपनी नाकामी और क़ौम पर आए ज़वाल का ज़िम्मेदार अपने बेटे योनातान को ठहराया और बेटे को फांसी की सजा सुना दिया , मगर लोगों ने इसका विरोध किया और यूनातान बच गया। 
(क़ुरआन में सालेह और समूद का नाम बार बार आता है मगर उनका कोई ब्यौरा नहीं मिलता) 

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Saturday 21 October 2017

Hindu Dharm Darshan 104




वेद दर्शन
        खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . .

हे अग्नि हम तुम्हारे दिए हुए अन्न अश्व से शोभन सामर्थ्य प्राप्त करके सर्व श्रेष्ट बन जाएगे. 
इस से वह हमारा अनंत धन ब्रह्मण, क्षत्रिय वैश, शूद्रऔर निषाद - 
पांच जातियों के ऊपर प्रकाशित होगा जो दूसरों को प्राप्त होना कठिन है. 
द्वतीय मंडल सूक्त-2 (10)
इस वेद मन्त्र से ज्ञात होता है कि शूद्र वैदिक काल तक  अछूत नहीं माने जाते थे. 
ऐसा लगता है कि मनु विधान ने इनको अछूत बना दिया जो कि आज ताक हिन्दू समाज का कोढ़ बना हुवा है. मगर वेड मन्त्र शूद्रों के कान में पड़ने पर दंड का प्रावधन क्यों था ?
*
हे अग्नि ! जो लोग बुद्धिमान स्तोताओं को उत्तम गौ और शक्ति शाली अन्न दान करते हैं, उन्हें तथा हमें उत्तम स्थान पर ले चलो. हम उत्तम वीरों से युक्त होकर यज्ञ में बहुत से मन्त्र बोलेंगे.
द्वतीय मंडल सूक्त 2-(13)
वेद कुछ भी नहीं पंडितों की ठग विद्या है. बाह्मण उत्तम गाय और तर नवाले की फरमाईस कर रहा है, इसी शर्त पर वह वीरता युक्त मन्त्र जपने की बातें करता है.                          

*
हे इंद्र ! हमारे द्वारा दिए गए  पुरोडाशादि हव्य और सोमरस से प्रसन्न होकर हमें गायों और घोड़ों के साथ साथ धन्य भी दो.
इस तरह तुम हमारी दरिद्रता को मिटा कर तुम शोभन मान बन जाओ.
 इंद्र इस सोमरस के करण संतुष्ट होकर हमारी सहायता करेंगे तो हम दस्यु का नाश करके एवं शत्रुओं से छुटकारा पाकर इंद्र द्वारा दिए गए अन्न का उपयोग करेंगे.
सूक्त (53-4)*(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )

हे ब्राह्मण भिखारियो ! 
काश कि तुम इंद्र देवता से सहायता की जगह परिश्रमी बनने और मेहनत की रोटी खाने का वरदान मांगते, काश कि तुम इन दंद फंद की बाते न करके ईमान दारी की बातें करते तो आज हिन्दुस्तानी विश्व में प्रथम श्रेणी के इंसान होते. तुम्हारे इन ग्रंथों के कारण हम आज दुन्या की नज़रों में घटिया  तरीन मानव समाज हैं. 
यहाँ तक कि खुद से नज़र मिलाने के लायक भी नहीं बचे.

 हे अग्नि ! तुम यजमानों के पालन करता हो. 
वे तुन्हें अपने घर में प्रकाश मान एवं अनुकूल चेतना वाला पाकर सुशोभित करते हैं. हे उत्तम सेवा वाले ! एवं समस्त हव्यों के स्वामी अग्नि ! 
तुम हजारों, सैकड़ों और दस्यों प्रकार के फल लोगों को देते हो. 
सुक्त -1(8)

चापलूसी में करके उदर पोषण करने वालो पुरोहितो ! 
तुम्हारा मानसिक स्तर क्या था ? 
दस्यों, सैकड़ों और हजारों को उल्टा करके गिना रहे हो, पहले हजारों, फिर सैकड़ों उसके बाद दस्यों ? 

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Friday 20 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqa 18

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 
क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  

अय्यूब (योब)

अय्यूब एक ख़ुदा तरस बंदा था , वक़्त ने उसको बहुत नवाज़ा था , उसके सात बेटे और तीन बेटियां  थीं , सब अपने अपने घरों में खुश हाल थे। अय्यूब  मुल्क का अमीर तरीन इंसान था , इसके पास ७००० भेड़ें , तीन हज़ार ऊँट , १००० बैल ५०० गधे और बहुत से नौकर चाकर थे। 
एक दिन शैतान ने जाकर ख़ुदा को बहकाया कि 
अय्यूब का माल मेरे हवाले कर दे , फिर देख वह तेरा कितना रह जाता है। 
ख़ुदा ने शैतान की चुनौती क़ुबूल कर ली। 
शैतान की शैतानी से अय्यूब के तमाम बेटे और बेटियां एक तक़रीब में मारे जाते हैं , दुसरे दिन तमाम जानवर लुट जाते हैं। अचानक यह सब देख कर अय्यूब कहता है ,
जो गया जाने दो , नंगा आया था , नंगा जाऊँगा 
और वह फिर याद ए इलाही में गर्क़ हो जाता है। 
यह देख कर शैतान मायूस हुवा और ख़ुदा के पास फिर गया और कहा 
ठीक है, अय्यूब तुझे भूला नहीं , न तुझ से बेज़ार हुवा मगर तू अय्यूब को जिस्मानी मज़ा चखा दे, 
तो देख वह तेरे आज़माइश में कितना खरा उतरता है ?
खुदा ने कहा ठीक है जा उसके जिस्म को तेरे हवाले करता हूँ मगर हाँ ! याद रहे कि उसकी जान नहीं ले लेना। 
शैतान उसके जिस्म पर ऐसे फोड़े फुंसी निकलता है कि उसे कपडे पहनने में भी तकलीफ होती है। वह नंगा होकर राख के ढेर पर अपने रात और दिन काटता है। वह एक छोटे से कमरे में बंद होकर खुदा की बंदगी करता। 
अय्यूब की बीवी इसे ताने देती कि अब अपने खुदा को कोसो और मर जाओ। 
अय्यूब कहता , कम्बख्त क्या खुदा से सब पाने पाने की ही उम्मीद रखती है ?
इस हाल में इसके तीन दोस्त इस से मिलने आते हैं , अय्यूब को देख कर पहचान नहीं पाते , मारे सदमे के अपने अपने कपडे फाड़ लेते हैं और सरों पर राख मल लेते हैं। 
अय्यूब ने इस हालत में बड़ी दर्दनाक नज़्में कहीं। ( देखें सहीफ़े में )


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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Wednesday 18 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqa 17

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 

क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  


इलियास (एलियास)

 इलियास यहूद का नबी था। रवायत है कि सुमारिया का हुक्मराँ अब्जिया बीमार हुवा तो उसने अपने क़ासिद को एक्रोन बालजियूब देवता के पास भेजा कि वह पूछ कर आए कि वह ठीक होगा या नहीं ? रस्ते में उसकी मुलाक़ात सर पे टोप पहने और कमर में पट्टा कैसे इलियास से हुई। इलियास ने क़ासिद से कहा जाकर राजा से कह दे , क्या इस्राईल में खुदा नहीं कि राजा तुझे एक्रोन भेज रहा है ? कहना तू जिस खाट पर पड़ा है उससे कभी उठ नहीं पाएगा और मर जाएगा। जब यह बात राजा तक पहुंची तो उसने ५० सिपाह इलियास को गिरफ्तार करने के किए भेजा। मौके पर पहुचने से पहले सभी सिपाह आग की बरसात में जल मरे।  राजा ने दोबारा दस्ता  भेजा , उनका भी हश्र वैसा ही हुवा इलियास की बद्दुआ के शिकार हो गए। राजा ने तीसरा दस्ता भेजा जिसका मुखिया समझदार था। उसने अपनी दलीलों से इलियास को राज़ी कर लिया कि व राजा के पास चले। इलियास राजा के पास पहुँच कर भी अपनी ही बात दोहराई ,'' क्या क्या इस्राईल में खुदा नहीं कि - - - तू जिस खाट पर पड़ा है उससे कभी उठ नहीं पाएगा " थोड़ी देर में राजा मर गया। 
कहते हैं कि खुदा ने इलियास को मुजस्सम जन्नत के लिए उठा लिया था जिसकी खबर इल्यास को पहले ही हो गई थी। वह अपने शागिर्दों को लेकर उर्दन नदी के पार गया। अपनी चादर को मार के उसने नदी में खुश्क रास्ता निकल लिया , फिर सभों ने नदी पार किया।  एक बवंडर आया और इलियास को जन्नत के लिए उड़ा  ले गया। 



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Tuesday 17 October 2017

Hindu Dharm Darshan 103



गीता और क़ुरआन

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
>हे कुंती पुत्र ! मैं जल का स्वाद हूँ, 
सूर्य तथा चंद्रमा का प्रकाश हूँ,
वैदिक मन्त्रों में ओंकार हूँ,
आकाश में ध्वनि हूँ 
तथा मनुष्यों में सामर्थ्य हूँ.
**मैं पृथ्वी की आघ्यसुगंध और अग्नि की ऊष्मा हूँ.
मैं समस्त जीवों का जीवन तथा तपिश्वियों का ताप हूँ. 
***हे पृथा पुत्र ! 
यह जान लो कि मैं ही समस्त जीवों का आदि बीज हूँ, 
बुद्धिमानों की  बुद्धि तथा समस्त तेजस्वी पुरुषों का तेज हूँ.
मैं बलवानों का कामनाओं तथा इच्छा से रहित बल हूँ. 
हे भरत श्रेष्ट अर्जुन ! 
मैं वह काम हूँ जो धर्म के विरुद्ध नहीं.
****तुम जान लो कि मेरी शक्ति द्वारा सारे गुण प्रकट होते हैं, 
चाहे वह सतोगुण हों,रजोगुण हो या तमोगुण हों. 
एक प्रकार से मैं सब कुछ हूँ,
किन्तु हूँ स्वतंत्र. मैं प्रकृति के गुणों के आधीन नहीं हूँ 
अपितु वे मेरे आधीन हैं.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -7  - श्लोक -8 -9 10 11-12 

>हे भगवान् तुम क्या नहीं हो ? बस इतना बतला देते. 
गर्भ से गर्भित, 
योनि से जन्मित, 
माँ बाप द्वारा निर्मित, 
लीलाओं की लीला सहित, 
तुम सब कुछ हो यह बात कहाँ तक और कब तक गिनाते रहोगे, 
केवल इतना बतलाने की ज़रुरत थी कि 
तुम क्या नहीं हो ? 
हे सर्व गुण संपन्न पभु ! 
इस भारत भूमि को आज मानव मात्र गुणों वाला भगवान् चाहिए , 

भगवान् कृष्ण के अंतिम क्षण बहुत कम ऋषि और मुनि दर्शाते हैं. 
बहुत सी किंदंतियाँ हैं, 
उनमे से एक यह भी है कि महा भारत के बाद दोनों परिवारों कौरवों और पांडुओं का समाप्त हो जाना या बिखर जाना उनका भाग्य बना. 
कुछ बचे हुए दोनों के वारिसों ने जब होश संभाला तो भगवान् की खबर ली 
कि हमारे पूर्वजों के विनाश के दोषी यही भगवान श्री है. 
भगवान् को सजा मिली कि बिना भोजन, वस्त्र के इनको बस्ती के बहर वीरान आम के बाग़ में छोड़ दिया जाए. 
मनादी कराई गई कि कोई उन के पास नहीं जाएगा, न कोई सहायता करेगा.
नंगे पाँव भगवान के पैरों में बबूल के कांटे चुभ गए थे, 
शरीर में ज़हरबाद हो गया था, 
भूखे प्यासे एडियाँ रगड़ते बे यार व् मददगार 18 दिनों तक जीवित रहे, 
फिर दम तोड़ दिया.
कुछ शाश्त्र कहते हैं कि यह उन पर किसी ऋषि (?) का श्राप था. 
आश्चर्य है हिन्दू मैथोलोजी पर 
कि गीता जिनका गुण गान करती है 
उन पर किसी फटीचर ऋषि का साप असर कर जाए ?

और क़ुरआन कहता है - - - 
''उन्हों ने देखा नहीं हम उनके पहले कितनी जमाअतों को हलाक कर चुके हैं, जिनको हमने ज़मीन पर ऐसी कूवत दी थी कि तुम को वह कूवत नहीं दिया और हम ने उन पर खूब बारिश बरसाईं हम ने उनके नीचे से नहरें जारी कीं फिर हमने उनको उनके गुनाहों के सबब हलाक कर डाला''
सूरह अनआम -६-७वाँ पारा आयत (6)

मुहम्मद का रचा अहमक अल्लाह अपने जाल में आने वाले कैदियों को धमकता है कि तुम अगर मेरे जाल में आ गए तो ठीक है वर्ना मेरे ज़ुल्म का नमूना पेश है, देख लो. उस वक्त के लोगों ने तो खैर खुल कर इन पागल पन की बातों का मजाक उडाया था मगर जिहाद के माले-गनीमत की हांडी में पकते पकते आज ये पक्का ईमान बन गया है. यही अलकायदा और तल्बानियों का ईमान है. ये अपनी मौत खुद मरेंगे मगर आम बे गुनाह मुसलमान अगर वक़्त से पहले न चेते तो गेहूं के साथ घुन की मिसाल बन जायगी.

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Monday 16 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqa 16

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  
क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 

सुलेमान 
दाऊद ने अपनी ज़िन्दगी में ही अपनी चहीती बीवी बतशीबा के बेटे सुलेमान को बादशाह बना दिया था। इसके दीगर सरकश बेटे सुलेमान के खिलाफ थे। सारे मुल्क में अम्न का क़याम हो चुका था और सुलेमान को भरी- पुरी विरासत मिली थी जिसे उसने एक लायक जा नशीन की तरह संवारा और सजाया ही नहीं बल्कि बढ़ाया भी।  सुलेमान ने मिस्री फ़िरअना (बादशाह) की बेटी से शादी की। उसके बाद मुख़तलिफ़ मुमालिक , मज़ाहिब और क़बाइल् से बीवियाँ करके हरम की रौनक़ बढाता रहा।  इसके हरम में सात सौ रानियां और तीन सौ पट-रानियाँ थीं। 
सुलेमान हर एक के मज़हब का एहतराम करता था और उन पर चलता भी था। इसका बाप दाऊद ज़िन्दगी भर जंगों में उलझा रहा , उसने सल्तनत तो बनाई मगर उसके लिए कुछ भला न कर सका। दाऊद की ख़्वाहिश थी कि वह कोई बड़ी इबादत गाह बनवाए मगर बनवा न सका जिसे उसके बेटे सुलेमान ने पूरी की। दाऊद के ज़माने में ऊँचे टीले पर बेदी बनाई जाती थी और उस पर जाकर जानवरों की बलि देकर दुआएं मांगी जाती थी। यही तरीका उसके पूर्वज नूह , मूसा और दाऊद का भी हुवा करता था , भारत में भी ऐसा ही था। 
सुलेमान ने एक आलिशान इबादत गाह योरोसलम में बनवाई जिसके खंडहरों में दीवार गिरया आज भी क़ायम है। सुलेमान ने अपने लिए एक शानदार महल भी बनवाया था जिसमें पीतल के खम्बे और हौज़ हुवा करते थे और सोने की नक़्क़ाशी हुवा करती थी। 
सुलेमान के महल की शोहरत दूर दूर तक थी। 
सुलेमान बहुत ही ज़हीन इंसान था। वह माहिर ए नबातात (बनस्पति) और जीवों जानवरों पर शोध करता था। सारे राज काज के कामों में काफी पकड़ रखने वाला था। उसकी शोहरत सुनकर शीबा की रानी बिलक़ीस सुलेमान की मेहमानी में आई थी जो अपने साथ ऊंटों पर लाद कर तोहफे लाइ थी और दस दिनों तक सुलेमान की मेहमान रही।  सुलेमान भी उसको तोहफे तहायफ़ दिए। 
(क़ुरआन सुलेमान और बिलकीस की शर्मनाक कहानी गढ़े हुए है) 

सुलेमान की रानियों में मुआबी , अम्मोनी , सुदीदनी , हित्ती और मिस्री औरतें थीं जो अपने अपने अक़ायद के लिए आज़ाद थीं जिसे योवहा (खुदा) पसंद नहीं करता था , इसकी वजह से सुलेमान ज़वाल पिज़ीर (पतन) हुवा। सुलेमान ने योरोसलम को राजधानी बना कर चालीस साल तक हुकूमत की। उसने एक बड़ा इस्राईली साम्राज्य क़ायम किया। मूसा के ४८० सालों बाद सुलेमान हुक्मराँ हुवा यानी आज से तक़रीबन ३००० साल पहले। 
सुलेमान दानिश्वर होने के साथ साथ एक शायर भी था। इसकी रचनाएँ लगभग ३००० हैं , इनके आलावा १००० गीत लिखे। इन्ही को क़ुरआन ज़ुबूर कहता है और कहता है अल्लाह ने इसे उठा लिया।  
एक कामयाब और होनहार बादशाह सुलेमान। 

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Saturday 14 October 2017

Hindu Dharm Darshan 102



गीता और क़ुरआन

भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
>सारे प्राणियों का उद्गम इन दोनों शक्तियों में है . 
इस जगत में जो भी भौतिक तथा आध्यात्मिक है, 
उनकी उत्पत्ति तथा प्रलय मुझे ही जानो.
**हे धनञ्जय ! 
मुझ से श्रेष्ट कोई शक्ति नहीं. 
जिस प्रकार मोती धागे में गुंधे रहते हैं, 
उसी प्रकार सब कुछ मुझ पर ही आश्रित है.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -7  - श्लोक -6-7 
>उफ़ ! 
हिन्दू समाज के लिए ब्रह्माण्ड से बड़ा झूट ? 
कोई शख्स खुद को इस स्वयम्भुवता के साथ पेश कर सकता है ? 
तमाम भगवानों, खुदाओं और Gods इस वासुदेव के सपूत से कोसों दूर रह गए. कृष्ण जी जो भी हों, जैसे रहे हों, उनसे मेरा कोई संकेत नहीं. 
मेरा सरोकार है तो गीता के रचैता से 
कि अतिश्योक्ति की भी कोई सीमा होती है. 
चलिए माना कि शायरों और कवियों की कोई सीमा नहीं होती 
मगर अदालतों के सामने जाकर अपना सर पीटूं ? 
कि ऐसी काव्य संग्रह पर हाथ रखवा कर तू मुजरिमों से हलफ़ उठवाती है ? 
ऐसा लगता है जिस किसी ने गीता या क़ुरान को कभी कुछ समाज लिया होगा, वह इनकी झूटी कसमें खाने में कभी देर नहीं करेगा. 
क्या गीता और क़ुरान वजह है कि हमारी न्याय व्यवस्था दुन्या में भ्रष्टतम है. भ्रष्ट कौमों में हम नं 1 हैं. 
हमारे कानून छूट देते है कि सौ की आबादी वाले देश की आर्थिक अवस्था १०० रुपए हैं , जो न्याय का चक्कर लगते हुए ९० रुपए दस लोगों के पास पहुँच जाए और 10 रुपए ९० के बीच बचें ? जिसका हक एक रुपया होता हो, उसके पास एक पैसा बचे ? वह अगर इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाए तो उसे देश द्रोही कहा जाए ? नकसली कहकर गोली मार दी जाए ?

और क़ुरआन कहता है - - - 
>"यह सब अहकाम मज़्कूरह खुदा वंदी जाब्ते हैं 
और जो शख्स अल्लाह और रसूल की पूरी इताअत करेगा 
अल्लाह उसको ऐसी बहिश्तों में दाखिल करेगा 
जिसके नीचे नहरें जारी होंगी. हमेशा हमेशा उसमें रहेंगे, 
यह बड़ी कामयाबी है."
सूरह निसाँअ4 पाँचवाँ पारा- आयात (८-१३)
यह आयत कुरान में बार बार दोहराई गई है. अरब की भूखी प्यासी सर ज़मीन के किए पानी की नहरें वह भी मकानों के बीचे पुर कशिश हो सकती हैं मगर बाकी दुन्या के लिए यह जन्नत जहन्नम जैसी हो सकती है. 
मुहम्मद अल्लाह के पैगाबर होने का दावा करते हैं और अल्लाह के बन्दों को झूटी लालच देते हैं. अल्लाह के बन्दे इस इक्कीसवीं सदी में इस पर भरोसा करते हैं. 
अल्लाह के कानूनी जाब्ते अलग ही हैं कि उसका कोई कानून ही नहीं है.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Friday 13 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqa 15

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
**************
क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 
क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  

दाऊद 
दाऊद एक चरवाहा था जो अपने आठ भाइयों में सब से छोटा था। वह अपने बाप के साथ भेड़ें चराया करता था। बचपन से ही उसे सितार बजने का शौक़ था। इसके कुछ भाई मशहूर राजा सोल (जिसे क़ुरआन में सालेह कहा गया है) की फ़ौज में सिपाह थे। 
एक दिन वह भाइयों के लिए रोटियाँ लेकर फौजी दस्ते में गया। उसने देखा कि दुश्मन फिलिस्ती फ़ौज का कमांडर ज़र व् बख़्तर और हथियारों से लैस मैदान में डटा हुवा मुकाबले का इन्तज़ार कर रहा है। 
( उस ज़माने में जंगें ऐसी होती थीं कि मुक़ाबिल फौजो के कमांडर मैदान में मुक़ाबला करते , उनकी ही जीत या हार से जंग का अंजाम मान लिया जाता था, फौजों का खून खराबा नहीं होता था।) 
इस तरह फिलिस्ती कमांडर मैदान में उतर कर मुखालिफ को ललकार रहा था। दाऊद जोकि फौजी भी नहीं था मुकाबले की ख्वाहिश ज़ाहिर की। थोड़े से एतराज़ के बाद सोल के दस्ते की तरफ से दाऊद मुकाबले के लिए सामने आ गया था। दाऊद ने अपने गोफने में गुल्ला रख कर गोफने को घुमाया और ऐसा वार किया कि फ़िलस्ती कमांडर अपना सर थाम कर वहीँ ढेर हो गया। दाऊद ने पालक झपकते ही उसकी गर्दन उतार ली। फ़िलस्ती फ़ौज की सिकश्त हुई और उलटे पाँव मैदान से भाग कड़ी हुई। 
इस वाक़ए से इसराईलियों में दाऊद की ऐसी शोहरत हुई कि राजा सोल तक उससे रुवाब खाने लगा। उसके शान में एक कहावत रायज हुई 
"सोल ने मारे हज़ार , दाऊद ने मारा लाख को " 
इसकी शोहरत से राजा अपने लिए खतरा महसूस करने लगा यहाँ तक कि उसको मरवा देने का इरादा कर लिया मगर इस तरकीब के साथ कि अवाम को भनक न लगे। 
उसने साजिशन दाऊद को अपनी बेटी तक ब्याह दी। 
राजा सोल की नियत को दाऊद भांप गया। अपनी जान बचाने के लिए वह राजा के जाल से बाहर निकल गया.
 और लुटेरों में शामिल हो गया। राजा सोल दाऊद की तलाश में निकल पड़ा , ऐसा वक़्त भी आया कि दाऊद दो बार सोल के फंदे में आया। दाऊद को जब राजा के सामने पेश किया गया तो वह बड़े एहतराम से हाज़िर हुआ। उसने कहा आप मेरे राजा और बुज़ुर्ग  हैं। 
सोल को उस पर तरस आ गया और छोड़ दिया। 
दाऊद के खिलाफ उसका शक  बना रहा। वह  छोड़ कर भी उसका पीछा करने के लिए निकल जाता , ग़रज़  मारने की  फ़िराक़ में एक दिन वह खुद मर गया जिसक रंज दाऊद को भी हुवा उसने सोल का  मर्सिया  भी लिखा। 
राजा सोल से बचने के लिए दाऊद ने फ़िलस्तियो के मुल्क में पनाह ले रखी थी।  उसकी लूट मार बदस्तूर जारी रही , वह जिन बस्तियों पर हमला करता , वहां तबाही और बर्बादी के निशान छोड़ जाता। 
तारीख में दाऊद की एक झलक 
दाऊद अपने आदमियों को साथ लेकर मशूरियों , गिरजियों और अमालील्यों पर छापे मरता था। यह क़ौमें ज़माना ए क़दीम में मिस्र की तरफ शोर तक बसी हुई थीं। दाऊद ने उन मुल्कों पर हमला बोला और वहां के मर्द व् ज़न को ज़िंदा नहीं छोड़ा। उनकी भेड़ें गधे गायें और ऊँट सब लूट लेता, 
दर अस्ल लूट मार करता फिलिस्तियों का ही मगर अपने फिलिस्ती आक़ा से बतलाता कि इस्राईल्यों को तबाह कर रहा है। 
दाऊद डाकुओं के एक बड़े गिरोह का सरदार बन गया था इसकी दहशत गरी की चर्चा दूर दूर तक फ़ैल गई थी। राजा सोल का मर्सिया गाते गाते और उसके दामाद का फायदा लेते हुए , आखिर कार एक दिन दाऊद इस्राइलियों का बादशाह बन गया। 
और क़ुरआन दाऊद को "दाऊद अलैहिस्सलाम " कहता है। 
दाऊद हर पराजित देश से एक रानी चुनता, इस तरह उसकी कई पत्नियां हो गई थीं। एक रोज़ उसने हाथी पर सवार होकर बस्ती का जायज़ा ले रहा था कि उसे एक हित्ती औरत अपने आँगन में नंगी नहाते दिखी, उसने दाऊद को दीवाना कर दिया, दाऊद ने पता लगाया कि वह नाज़ुक अन्डम कौन है। पता चला कि इसका नाम बतशीबा है और शौहर का नाम ऊर्या है जो कि उसी की मुलाज़मत में था।
 दाऊद ने उसका काम वैसे ही तमाम किया जैसे कि जहांगीर ने शेर अफगान का काम तमाम किया था।  उसके बाद बतशीबा दाऊद की चहीति रानी बनी। इसी के बेटे सुलेमान को दाऊद ने अपना वारिस बनाया। 
दाऊद इस्राईल्यों में अज़ीम बादशाहों में शुमार होता है। 
दाऊद बूढा हो गया , इसे सर्दी का मौसम रास न आता। दाऊद के मुआलिजों ने राय दिया कि बादशाह के लिए कोई हसीन और कमसिन दोशीजा तलाश की जाए जो रात को इसको लिपटा कर सोया करे। ग़रज़ मुल्क भर में ऐसी कुवांरी कन्या की तलाश शुरू हो गई। 
मुक़ाम शूनेम से अबीशग नाम की लड़की मिली। इस तरह सौ साला बूढ़े दाऊद का इलाज हुवा मगर वह भी उसे बचा न सकी। दाऊद ने कभी भी इसके साथ मुबशरत नहीं किया। 
दाऊद के मरने के बाद उसके बड़े बेटे अदूनिया के ताल्लुक़ात अबिशग से क़ायम हो चुके थे , वह उसे अपनी बीवी बनाना चाहता था।  इसके आलावा अदूनिया बड़े बेटे होने के नाते दाऊद की गद्दी भी चाहता था। मगर दाऊद ने अपना जांनशीन सुलेमान को पहले ही बना चुका  था। 
माँ दाखिल औरत को बीवी बनाने और गद्दी की दावेदारी की वजह से सुलेमान ने मौक़ा पाकर अदूनिया को मौत के घाट उतार दिया। 
दाऊद एक कामयाब शाशक था। वह अपने मुल्की सलाह कारों , सादिकों (पुरोहित} नबियों , नातानों , यहुया दायाग के मशविरे से ही काम करता था. 
आखीर अय्याम में वह बुत परस्ती करने लगा था। 
(यह थी दाऊद की हक़ीक़त जिसकी कहानी मुहम्मदी अल्लाह क़ुरआन में अजीब व् ग़रीब गढ़े हुए है)  



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Thursday 12 October 2017

Hindu Dharm Darshan 101



गीता और क़ुरआन
अर्जुन पूछते हैं  - - -
>हे मधु सूदन !
आपने जिस योग पद्धति का संक्षेप में वर्णन किया है,
वह मेरे लिए अव्यवहारिक तथा असहनीय है, 
क्योकि मन चंचल तथा अस्थिर है.
**
हे कृष्ण ! 
चूँकि मन चंचल, उच्छूँकल, हठीला तथा अत्यन्त बलवान है. 
अतः इसे मुझे वश में करना, 
वायु को वश में करने से भी अधिक कठिन लगता है.   
*** 
भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं - - -
हे महाबाहु कुंती पुत्र ! 
निःसंदेह चंचल मन को वश में करना अत्यंत कठिन है,
किन्तु उपयुक्त अभ्यास द्वारा तथा विरक्ति द्वारा ऐसा संभव है.
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  -6  - श्लोक -33-34-35 

>अर्जुन की दलील बिकुल सहीह है. 
ओशो रजनीश कहता है , 
कोई माई का लाल अपने मन को एक मिनट से ज्यादा स्थिर नहीं कर सकता. जब कि उसका काम ही था कि ध्यान में डुबोना. 
जब मानव मस्तिष्क ध्यान में जा ही नहीं सकता तो उसकी कोशिश क्यों ?
मेरा दिल कुछ घंटों के लिए दिमाग़ से अलग करके एक प्लेट में रखा रहा, 
उन घंटों की कोई याद दाश्त मेरे पास नहीं है. 
अर्थात मेरा शरीर घंटों ध्यान और योग युक्त था, 
इससे बड़ा योग क्या हो सकता है ? 
सवाल उठता है कि विचार मुक्त शरीर ने कौन सी उपलब्धियाँ उखाड़ ली. 
हमारी विडंबना यह है कि हम गुरु के दिए हुए उत्तर पर सवाल नहीं करते 
क्योंकि हम उसका ज़रुरत से ज्यादह सम्मान करते हैं, उससे डरते है.

और क़ुरआन कहता है - - - 
मुहम्मद अपनी उम्मत को इसी तरह समझाते हैं - - -
>" और मैं इस तौर पर आया हूँ कि तस्दीक करता हूँ इस किताब को जो तुहारे पास इस से पहले थी,यानि तौरेत की. और इस लिए आया हूँ कि तुम लोगों पर कुछ चीजें हलाल कर दूं जो तुम पर हराम कर दी गई थीं और मैं तुम्हारे पास दलील लेकर आया हूँ तुम्हारे परवर दिगर कि जानिब से. हासिल यह कि तुम लोग परवर दिगर से डरो और मेरा कहना मानो"
सूरह आले इमरान ३ तीसरा परा आयात (50) 

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

Tuesday 10 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqat 14

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 
क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  

मूसा 
(2)


खुदा ने मूसा को तीन करिश्मे दिए ,
१- जब अपनी लाठी को ज़मीन पर डाल दोगे तो वह सांप बन जाएगी। 
२- अपना हाथ बगल में डाल कर निकालोगे तो गदेली पर कोढ़ के दाग आ जाएंगे और दोबारा डाल कर निकालो गे तो दाग गायब हो जाएंगे। ३ 
३ - नील नदी के पानी को चुल्लू में लेकर डालोगे तो वह खून बन जाएगा।
मूसा ने ख़ुदा से गुज़ारिश की कि वह हकला है , फ़िरऔन के दरबार में कैसे बातें करेगा ?
ख़ुदा  ने इसके भाई हारुन को इसका मददगार बना दिया ,
फिर भी मूसा इस काम से घबरा रहा था क्योकि मिस्र जाकर वह मुसीबत में नहीं पड़ना चाहता था। उसने ख़ुदा  से कहा , तू इस काम के लिए किसी और को चुन ले। 
यह सुन कर ख़ुदा  नाराज़ हुवा और उसे मिस्र जाने का हुक्म दिया। 
मूसा अपने ससुर ययतरु से नेक दुआएं लेकर भाई हारुन के साथ मिस्र के लिए रवाना हो गया। 
उसने मिस्र पहुँच कर फिरौन से दरख्वास्त की कि वह अपने भाई इसराईलियों को लेकर हेरोब की पहाड़ियों पर इबादत के लिए जाना चाहता है। इसके लिए योवहा (ख़ुदा) ने हमें हुक्म दिया है। 
फ़िरऔन मूसा की चल को समझ जाता है कि वह मिस्र से इस्राइलियों को आज़ाद कराना चाहता है जोकि यहाँ मेहनत मज़दूरी करके गुज़ारा करते हैं , गोया उसने साफ़ इंकार कर दिया , इसके बाद उसने इसराईलियों पर काम के बोझ को दोगुना कर दिया।
 मूसा परेशान होकर अपने आप से कहता है , कहाँ मुसीबत में डाल दिया मुझको और मेरे भाई इसराईलियों को ? यवोहा उसे तसल्ली देता है। 
 मूसा और हारुन अपना जादू दिखलाने फ़िरऔन के दरबार में जाते हैं। 
मूसा का मुक़ाबला फ़िरऔन के जादूगरों से शुरू हो जाता है जिसमें दरबारी जादूगर मूसा से कहीं पर कमज़ोर  साबित नहीं होते। 
इसके बाद शुरू होता है मिस्र पर अज़ाब ए इलाही का सिलसिला। 
मूसा अपनी लाठी के इशारे से नील नदी की सभी मछलियों को मार देता है.
नील नदी के सारे मेढक खुश्की पर आ जाते है। 
मच्छर पूरे मिस्र पर अज़ाब बन कर छा जाते हैं। 
डंक दार कीड़े पैदा हो जाते हैं। 
पूरे मिस्र में बीमारियां फ़ैल जाती हैं। 
इसके बाद टिड्डियों का हमला होता है। 
मूसा ने फ़िरऔन को चेतावनी दी कि अगर इसराईलियों को हेरोब पर न जाने दिया गया तो मिस्र में इंसानों और मवेशियों के पहले सभी बच्चे मौत के घाट उत्तर जाएंगे। 
मूसा की चेतावनी से फ़िरऔन घबरा जाता और इसराईलियों को हेरोब पहाड़ियों पर जाने की इजाज़त दे देता है । 
इसराईलियों का मिस्र से हिजरत (प्रवास)
युसूफ के ज़माने में सिर्फ सत्तर नफर बनी इसराईल (याक़ूब की औलादें)के नाम से कनान से मिस्र में दाखिल हुए थे जोकि ४३० सालों में फल फूल कर छः लाख से ऊपर हो गए थे। इन बनी इसराईलियों यानी याक़ूब की औलादों को फ़िरऔन मिस्र से निकाल रहा था। 
मूसा की बद दुआओं से मिस्र का माहौल ऐसा हो गया था कि  सारे मिस्री इब्रानियों से मरऊब हो चुके थे और इनकी बातों पर भरोसा करने लग गए थे। इसका असर ये हुवा कि इसराईलियों ने मिस्रियों से क़र्ज़ ऐंठा , इसराईलियों औरतों ने मिस्री औरतों से जेवरात ऐंठे कि हैरोब जाकर आपके लिए दुआ करेंगे। 
तौरेत कहती हैं "इस तरह इसराईलियों ने मिस्रियों को रातो रत लूट लिया।" 
इनके साथ इनके सारे असासे , मवेशी और कुछ मिस्री भी थे। 
 बड़ा क़ाफ़िला पूरी रात चलता रहा। इस रात को त्योहारों की तरह मनाने का रवायत इसराईलियों में आज भी क़ायम है। 
सुब्ह हुई , दिन आया , इस दिन को इसराईलियों ने अपने कैलेंडर साल का पहला दिन माना और इस दिन को "पास्का " के नाम से मंसूब किया। इसराईलियों में जश्न ए पास्का मानाने का रिवाज आज भी चला आ रहा है। 
इसराईल अपने साथ अपने नबी जोसेफ़ का ताबूत भी ले गए जो मिस्र के म्युज़ियम में महफूज़ था। 
इधर फ़िरऔन को एहसास हुवा कि वह बहुत बड़ी गलती कर बैठा है। सारे मिस्र से खादिम और मज़दूर लापता हो चुके थे , अब कौन करेगा इनके काम ?
इसने अपने फैसले पर नज़र ए सानी किया और अपनी फ़ौज को हुक्म दिया कि इसराईलियों के काफिले को रोके और वापस ले आए। 
तब तक मूसा का क़ाफ़िला एक बड़ा सफर तय करके नड सागर (बह्र ए सौफ़) तक पहुँच चुका था। मूसा को खबर मिली की मिस्री फ़ौज इब्रानियों को वापस लेने के लिए आ रही है। इस खबर से लोग घबराए , मूसा ने उन्हें तसल्ली दी और बह्र ए सौफ़ की तरफ अपने दोनों हाथों को दुआ के लिए फैला दिया। 
सागर दो दीवारों में बट गया और बीच में एक खुश्क राह बन गई। मूसा ने इस करिश्माई रहगुज़र पर इसराईलियों को डाल दिया। 
क़ाफ़िला नड सागर को पार कर चुका था कि फ़िरऔन की फौजें दूसरे किनारे पर पहुँच चुकी थीं। मिस्री सरबराह ने अपनी फ़ौज को उसी रस्ते पर चल कर इसराईलियों तक पहुँचने का हम दिया। 
मूसा ने अपने फैले हुए बाज़ुओं को समेट लिया ,पानी में बनी हुई दोनों दीवारें गायब हो गईं और फ़िरऔन की फ़ौज उसमे ग़र्क़ हुई 
नड सागर लाल सागर के क़रीब ही है। इसे क़ुरआन दरयाय नील लिखता है। 

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान