Monday 6 June 2016

Soorah shoera 26 Q2

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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सूरह -शोअरा २६ - १९वाँ पारा 
Part- 2

मुसलमानों के हाथों में खुद साख्ता रसूल के फ़रमूदात फ़क़त तौरेत की  कहानियों का सुना हुआ वक़ेओं को, मुहम्मद अपनी पैगम्बरी चमकाने के लिए  कुछ इस तरह गढ़ते हैं - - -
.''- - -  जब आप के रब ने मूसा को पुकारा - - -
रब्बुल आलमीन :--"तुम इन ज़ालिम लोगों यानी काफिरौं के पास जाओ, क्या वह लोग नहीं डरते?"
मूसा :--"ऐ मेरे परवर दिगार! मुझे ये अंदेशा है कि वह मुझको झुटलाने लगें औए मेरा दिल तंग होने लगता है और मेरी ज़बान भी नहीं चलती है , इस लिए हारून के पास भी वह्यी भेज दीजिए और मेरे जिम्मे उन लोगों का एक जुर्म भी है. सो मुझको अंदेशा है कि व लोग मुझे क़त्ल कर देंगे."
(वाजेह हो कि मूसा ने एक मिसरी का खून कर दिया था और मिस्र से फरार हो गए थे.)
रब्बुल आलमीन :-- "क्या मजाल है? तुम दोनों मेरा हुक्म लेकर जाओ, हम तुम्हारे साथ हैं, सुनते हैं. कहो कि हम रब्बुल आलमीन के भेजे हुए हैं कि तू बनी इस्राईल को हमारे साथ जाने दे "
फिरऔन :-- "क्या बचपन में हमने तुम्हें पवारिश नहीं किया? 
और तुम अपनी उम्र में बरसों हम में रहा सहा किए, 
और तुम ने अपनी वह हरकत भी की थी, जो की थी, 
और तुम बड़े ना सिपास हो."
मूसा :-- " उस वक़्त वह हरकत कर बैठ था और  मुझ से गलती हो गई थी फिर जब मुझको डर लगा तो मैं तुम्हारे यहाँ से मफरुर हो गया था. फिर मुझको मेरे रब ने दानिश मंदी अता फ़रमाई और मुझको पैगम्बरों में शामिल कर दिया और वह ये नेमत है जिसका तू मेरे ऊपर एहसान रखता है कि तू ने बनी इस्राईल को सख्त ज़िल्लत में डाल रक्खा था."
फिरऔन : -- "रब्बुल आलमीन की हकीक़त क्या है? "
मूसा : -- "वह परवर दिगार है मशरिक और मगरिब का और जो कुछ इसके दरमियान है उसका. भी, अगर तुमको यकीन करना हो."
फिरऔन : -- "(अपने लोगों से कहा) तुम लोग सुनते हो ?
मूसा :-- "वह परवर दिगार है, तुम्हारा और तुम्हारे पहले बुजुर्गों का "
फिरऔन : --"ये जो तुम्हारा रसूल है, खुद साख्ता तुम्हारी तरफ़ रसूल बन कर आया है, मजनू है."
मूसा :-- "वह परवर दिगार है मशरिक और मगरिब का और जो कुछ इसके दरमियान है, उसका. भी, अगर तुमको अक्ल हो."
फिरऔन (झल्लाकर) : --"अगर तुम मेरे सिवा कोई और माबूद तस्लीम करोगे तो तुम को जेल खाने भेज दूंगा."
मूसा : -- "अगर मैं कोई सरीह दलील पेश करूँ तब भी. ?
फिरऔन : --"अच्छा तो दलील पेश करो, अगर तुम सच्चे हो ."
मूसा ने अपनी लाठी डाल दी तो वह एक नुमायाँ अज़दहा  बन गया और अपना हाथ बाहर निकाला तो दफअतन सब देखने वालों के रूबरू बहुत ही चमकता हुवा हो गया.
 फिरऔन:--( ने अहले-दरबार से जो उसके आसपास थे कहा) : -- "इसमें कोई शक नहीं की ये शख्स बड़ा माहिर जादूगर है, इसका मतलब ये है कि तुमको तुम्हारी सर ज़मीन से बाहर कर देगा तो तुम क्या मशविरह देते हो, "
दरबारियों ने कहा : -- "आप उनको और उनके भाई को मोहलत दीजिए. और शहरों में चपरासियों को भेज दीजिए कि वह सब जादूगरों को आप के पास हाज़िर करें"
(गोया फिरऔन बादशाह न था बल्कि किसी सरकारी आफिस का अफसर था जो चपरासियों से काम चलता था कि वह मिस्र के शहरों में जाकर बादशाह के हुक्म की इत्तेला अवाम तक पहुंचाते थे)
गरज वह सब जादूगर मुअय्यन दिन पर, खास वक़्त पर जमा किए गए और लोगों को इश्तेहार दिए गए कि क्या तुम जमा हो गए, ताकि अगर जादूगर ग़ालिब आ जावें तो हम उन्हीं की राह पर रहें .
फिर जब वह जादूगर आए तो फिरौन से कहने लगे अगर हम ग़ालिब हो गए तो क्या हमें कोई बड़ा सिलह मिलेगा?
फिरऔन : --"हाँ! तुम हमारे क़रीबी लोगों में दाखिल हो जाओगे "
मूसा : -- ( जादूगरों से )"तुम को जो कुछ डालना हो डालो"
चुनाँच उन्हों ने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ  डालीं और कहने लगे की फिरौन के इकबाल की क़सम हम ही ग़ालिब होंगे.
मूसा ने अपना असा (लाठी) डाला सो असा के डालते ही उनके तमाम तर बने बनाए धंधे को निगलना शुरू कर दिया. जादूगर सब सजदे में गिर गए, और कहने लगे हम ईमान ले आए रब्बुल आलमीन पर जो मूसा और हारुन का भी रब है.
फिरऔन : -- "हाँ!तुम मूसा पर ईमान ले आए बगैर इसके कि मैं तुम को इसकी इजाज़त देता, ज़रूर ये तुम सब का उस्ताद है जिसने तुम को जादू सिखलाया है, सो अब तुम को हक़ीक़त मालूम हुई जाती है.  मैं तुम्हारे एक तरफ़ के हाथ और दूसरे तरफ़ के पैर काटूँगा ."
जादूगर :-- "कोई हर्ज नहीं हम अपने रब के पास जा पहुच जाएँगे. हम उम्मीद करंगे कि हमारे परवर दिगार हमारी खताओं को मुआफ़ कर दे, सो इस वजेह से कि हम सब से पहले ईमान ले आए ."
रब्बुल आलमीन :--और हमने मूसा को हुक्म भेजा कि मेरे इन बन्दों को रातो रात बाहर निकल ले जाओ .
फिरौन : -- "तुम लोगों का पीछा किया जाएगा, उसने पीछा करने के लिए शहरों में चपरासी दौड़ाए कि ये लोग थोड़ी सी जमाअत हैं और इन लोगों ने हमको बहुत गुस्सा दिलाया है और हम सब एक मुसल्लह जमाअत हैं''
रब्बुल आलमीन :--  ''गरज हम ने उनको बागों से और चश्मों से और खज़ानों से और उमदः मकानों से बाहर किया. और उसके बाद बनी इस्राईल को उनका मालिक बना दिया. गरज़ सूरज निकलने से पहले उनको जा लिया. फिर जब दोनों जमाअतें एक दूसरे को देखने लगीं तो मूसा के हमराही कहने लगे कि बस, हम तो हाथ आ गए ''
मूसा :-- "हरगिज़ नहीं ! क्यूं कि मेरे हमराह मेरा परवर दिगार है, वह मुझको अभी रास्ता बतला देगा "
रब्बुल आलमीन :--''फिर हमने हुक्म दिया कि अपने असा को दरिया में मारो, चुनाँच वह दरिया फट गया और हर हिस्सा इतना था जैसे बड़ा पहाड़. हमने दूसरे फरीक़ को भी मौके के करीब पहुँचा दिया और हम ने मूसा को और उनके साथ वालों को बचा लिया फिर दूसरे को ग़र्क़ कर दिया और इस वाकिए में बड़ी इबरत है और बावजूद इसके बहुत से लोग ईमान नहीं लाते और आप का रब बहुत ज़बरदस्त है और बड़ा मेहरबान है.
सूरह -शोअरा २६ - १९वाँ पारा (१०-६८ )

मूसा की कहानी कई बार कुरआन में आती है, मुख्तलिफ़ अंदाज़ में. एक कहानी मैंने बतौर नमूना पेश किया आप के समझ में आए या न आए मगर है ये खालिस तर्जुमा, बगैर मुतरज्जिम की बैसाखियों के. कोई अल्लाह तो इतना बदजौक हो नहीं सकता कि अपनी बात को इस फूहड़ ढंग से कहे उसकी क्या मजबूरी हो सकती है? ये मजबूरी तो मुहम्मद की है कि उनको बात करने तमीज़ भी नहीं थी. ऐसी ही हर यहूदी हस्तियों की मुहम्मद ने दुर्गत की है. अल्लाह को जानिबदार, चालबाज़, झूठा और जालसाज़ हर कहानी में साबित किया गया है.

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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