Tuesday 3 August 2010

quraan- सूरह अंबिया -२१

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस)
मुसम्मी '' हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी'' का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।


सूरह अंबिया -२१ परा १७The prophets 2
Part-III

पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद, मैंने जबसे होश सभाला है, देखा किए कि राजनीति के मंच पर हमेशा एक मदारी पांव पसारे बैठा रहा. कुछ अक्ल से पैदल और चमत्कार पसंद नेता उनको बढ़ावा देते हैं. मीडिया को भी थाली में खुराक के साथ साथ कुछ चटनी आचार चाहिए होता है, कुछ दिन के लिए वह मदारी समाचारों में छा जाते हैं, फिर पिचके हुए गुब्बारे की तरह फुर्र हो जाते हैं. धीरेन्द्र ब्रहमचारी, आशाराम बापू , स्वामी नित्यानन्द अभी अभी वर्तमान के मदारी निवर्तमान हो चुके हैं, मगर कुछ ज़्यादः ही समय ले रहे है निकम्मे, हास्य स्पद और बड बोले, रंग से स्वामी, रूप से बाबा, बने रामदेव. मामूली सी पेट की धौकनी की प्रेक्टिस कर के वह रातो रात योग गुरू बन गए. रामदेव देखते ही देखते सर्व रोग साधक भी बन गए और आयुर्वेद संस्था के मालिक भी. परदे के पीछे बैठे किन हाथों में इस कठ पुतली की डोर है, अभी समझ में नहीं आता. कौन गुरू घंटाल है जो इन्हें हाई लाईट कर रहा है ? ये तो आने वाला समय ही बतलाएगा. उनकी योग की दूकान और फार्मेसी की फैक्ट्री चल निकली है. जहां तक मीडिया पर समाज की ज़िम्मेदारी है, उसके तईं वह कभी कभी दिशा हीन हो जाती है. मीडिया जिसे मानव समाज का आखिरी हथियार माना गया है, वहीँ वह ऐसे लोगों को सम्मानित करके समाज के लिए ज़हर भी बो देती है. ये लोक तंत्र की विडम्बना है कि सब को पूरी आज़ादी है ,कोई कुछ भी करे.
भजन मण्डली का ढोलकिया, निर्मूल्य एवं अज्ञात अतीत का मालिक, आज हर विषय पर अपनी राय दे देता है, चाहे क्रिकेट हो, राजनीती हो, भरष्टाचार हो अथवा सेक्स स्कैनडिल. बीमारियों को तो चुटकी में भगा देने का दावा करने वाले बाबा के पास कैसर, एड्स जैसे रोग का शर्तिया योग है. ''हर मर्ज़ की दवा है सल्ले अला मुहम्मद'' अर्थात कपाल भात और आलोम बिलोम. कोई इस ढोंगी से नहीं पूछता कि बाबा आप के मुँह पर लकवा मार गया है, आप कुरूप, मुँह टिढ़े और काने हो गए हो? अपना इलाज क्यूँ नहीं करते?
अब तो रामदेव गड बोले मुंगेरी लाल के सपने भी देखने लगे हैं आगामी चुनाव में वह हर जगह से चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. मर्यादा पुरुष बन कर सब को चकित कर देंगे. वह राष्ट्र पति क्या राष्ट्र पिता भी बन्ने का सपना देखने लगे. काला धन, भ्रष्टाचार, नक्सली समस्या, गरीबी रेखा समापन और पडोसी देश चीन की तरह अपराधियों को गोली मार देने की बात करते हैं. रामदेव को नहीं मालूम कि अगर चीनी लगाम भारत आयातित करता है तो सबसे पहले रामदेव ऐसे लोग जपे जाएँगे जो अपने पाखण्ड से लोगों के लाखों वर्किंग आवर्स बर्बाद करते हैं और कोई रचनात्मक काम किए बगैर मुफ्त की रोटियाँ तोड़ते हैं.
आये चलें अतीत के बाबा मुहम्मद देव की तरफ - - -
'और बअज़े शैतान ऐसे थे कि उनके(सुलेमान) लिए गोता लगाते थे और वह और काम भी इसके अलावा किया करते थे और उनको संभालने वाले थे और अय्यूब, जब कि उन्हों ने अपने रब को पुकारा कि हमें तकलीफ पहुँच रही है और आप सब मेहरबानों से ज़्यादः मेहरबान हैं, हमने दुआ कुबूल की और उनकी जो तकलीफ थी, उसको दूर किया. और हमने उनको उनका कुनबह अता फ़रमाया और उनके साथ उनके बराबर और भी अपनी रहमते-खास्सा के सबब से और इबादत करने वालों के लिए यादगार रहने के सबब. और इस्माईल और इदरीस और ज़ुल्कुफ्ल सब साबित क़दम रहने वाले लोगों में से थे.और उनको हमने अपनी रहमत में दाखिल कर लिया, बे शक ये कमाल सलाहियत वालों में थे. और मछली वाले जब कि वह अपनी कौम से ख़फा होकर चल दिए और उन्हों ने यह समझा कि हम उन पर कोई वारिद गीर न करंगे, बस उन्हों ने अँधेरे में पुकारा कि आप के सिवा कोई माबूद नहीं है, आप पाक हैं, मैं बेशक कसूर vaar हूँ.. सो हमने उनकी दुआ कुबूल की और उनको इस घुटन से नजात दी.. और ज़कारिया, जब कि उन्हों ने अपने रब को पुकारा कि ऐ मेरे रब! मुझको लावारिस मत रखियो, और सब वारिसों से बेहतर आप हैं, सो हमने उनकी दुआ कुबूल की और उनको याह्या अता फ़रमाया.और उनकी खातिर उनकी से बीवी को क़ाबिल कर दिया. ये सब नेक कामों में दौड़ते थे और उम्मीद ओ बीम के साथ हमारी इबादत करते थे.और हमारे सामने दब कर रहते थे.''सूरह अंबिया -२१ परा १७ -आयत (८१-९०)मुहम्मद कहतेहैं कि यहूदी बादशाह सुलेमान शैतान पालता था, जो उसके लिए नदियों में गोते लगा कर मोतियाँ और खुराक के सामान मुहय्या करता था, और भी शैतानी काम करता रहा होगा. आगे आएगा कि वह पलक झपकते ही महारानी शीबा का तख़्त बमय शीबा के उठा लाया था. वह सुलेमान अलैहिस्सलाम के तख़्त कंधे पर लाद कर उड़ता था, बच्चों की तरह आम मुसलमान इन बातों का यकीन करते हैं, कुरआन की बात जो हुई, तो यकीन करना ही पड़ेगा, वर्ना गुनाहगार हो जाएँगे और गुनाहगारों के लिए अल्लाह की दोज़ख धरी हुई है. यह मजबूरियाँ है मुसलामानों की. उन यहूदी नबियों को जिन जिन का नाम मुहम्मद ने सुन रखा था, कुरान में उनकी अंट-शंट गाथा बना कर बार बार गाये हैं .
योब (अय्यूब) की तौरेती कहानी ये है कि वह अपने समाज का प्रतिष्ठित व्यक्ति था, औलादों से और धन दौलत में बहुत ही सम्पन्न था । उस पर बुरा वक्त ऐसा आया कि सब समाप्त हो गया, इसके बावजूद उसने ईश भक्ति नहीं त्यागी. वह चर्म रोग से इस तरह पीड़ित हुवा कि शरीर पर कपडे भी गड़ने लगे और वह एक कोठरी में बंद होकर नंगा भभूत धारी बन कर रहने लगा, इस हालत में भी उसको ईश्वर से कोई शिकायत न रही, और उसकी भक्ति बनी रही. उसके पुराने दोस्त आते, उसको देखते तो दुखी होकर अपने कपडे फाड़ लेते.
इस्माईल लौड़ी जादे थे ,अब्राहम इनको इनके माँ के साथ सेहरा बियाबान में छोड़ गए थे इनकी माँ हैगर ने इनको पला पोसा. ये मात्र शिकारी थे और बड़ी परेशानी में जीवन बिताया . इन्हीं के वंशज मियां मुहम्मद हैं, यहूदियों की इस्माईल्यों से पुराना सौतेला बैर है.
इदरीस और ज़ुल्कुफ्ल सब साबित क़दम रहने वाले लोगों में से थे. बस अल्लाह को इतना ही मालूम है दुन्या में लाखो साबित क़दम लोग हुए अल्लाह को पता नहीं. और मछली वाले जब कि वह अपनी कौम से ख़फा होकर चल दिए जिनका नाम मुहम्मद भूल गए और मुखातिब मछवारे कि संज्ञा से किया है (यूनुस=योंस नाम था) मशहूर हुवा कि वह तीन दिन मगर मछ के पेट में रहे, निकलने के बाद इस बात का एलान किया तो लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाया, कुहा के बस्ती छोड़ कर चले गए थे. योंस का हथकंडा मुहम्मद जैसा ही था मगर उनके साथ लाखैरे सहाबा-ए-कराम न थे, जेहाद का उत्पात न सूझा था कि माले-गनीमत की बरकत होती. फ्लाप हो गए .
ज़कारिया (ज़खारिया)और याहिया (योहन) का बयान मैं पिछली किस्तों में कर चुका हूँ.मुहम्मद फरमाते हैं कि उपरोक्त हस्तियाँ मेरी इबादत करते - - -
''और हमारे सामने दब कर रहते थे.'' दिल की बात मुंह से निकल गई और जेहालत को तख़्त और ताज भी मिल गया. 
''और उनका भी जिन्हों ने अपने नामूस को बचाया, फिर हमने उन में अपनी रूह फूँक दी, फिर हमने उनको और उनके फरजंद को जहाँ वालों के लिए निशानी बना दी - - - और हमने जिन बस्तियों को फ़ना कर दीं हैं उनके लिए ये मुमकिन नहीं है फिर लौट कर आवें. यहाँ तक कि जब याजूज माजूज खोल दी जंगे तो(?) और वह हर बुलंदी से निकलते होंगे. और सच्चा वादा आ पहुँचा होगा तो बस एकदम से ये होगा कि मुनकिर की निगाहें फटी की फटी रह जाएँगी कि हाय कमबख्ती हमारी कि हम ही ग़लती पर थे, बल्कि वक़ेआ ये है कि हम ही कुसूरवार थे. बिला शुबहा तुम और जिनको तुम खुदा को छोड़ कर पूज रहे हो, सब जहन्नम में झोंके जाओगे. (इसके बाद फिर दोज़खियो को तरह तरह के अज़ाब और जन्नातियों को मजहका खेज़ मज़े का हल है जो बारबार बयान होता है)सूरह अंबिया -२१ परा १७ -आयत (९१-१०३)मुहम्मद का इशारा मरियम कि तरफ है. ईसाई मानते हैं कि ईसा मसीह खुदा के बेटे है तब मुहम्मद कहते हैं कि यह अल्लाह की शान के खिलाफ है , न वह किसी का बाप है न उसकी कोई औलाद है. यहं पर अल्लाह कहता है कि फिर हमने उन में अपनी रूह फूँक दी तब तो ईसा ज़रूर अल्लाह के बेटे हुए. जिस्मानी बेटे से रूहानी बेटा ज्यादह मुअत्बर हुवा. यही बात जब ईसाई कहते हैं तो मुहम्मद का तसव्वुर फैज़ अहमद फैज़ के शेर का हो जाता है - - -

आ मिटा दें ये ताक़द्दुस ये जुमूद,
फिर हो किसी ईसा का वुरूद,
तू भी मजलूम है मरियम की तरह,
मैं भी तनहा हूँ खुदा के मानिद.

यहाँ अल्लाह मरियम के अन्दर अपनी रूह फूंकता है ,इसके पहले फ़रिश्ते जिब्रील से उसकी रूह फुन्क्वाया थे, ईसा को रूहिल क़ुद्स कहा जाता है, जब कि यहाँ पर रूहुल्लाह हो गए.
कहते हैं कि 'दारोग आमोज रा याद दाश्त नदारद. झूटों की याद दाश्त कमज़ोर होती है.
 
''और हम उस रोज़ आसमान को इस तरह लपेट देंगे जिस तरह लिखे हुए मज़मून का कागज़ को लपेट दिया जाता है, हमने जिस तरह अव्वल बार पैदा करने के वक़्त इब्तेदा की थी, इसी तरह इसको दोबारा करेंगे ये हमारे जिम्मे वादा है और हम ज़रूर इस को करेंगे. और हम ज़ुबूर में ज़िक्र के बाद लिख चुके हैं कि इस ज़मीन के मालिक मेरे नेक बन्दे होंगे. (इसके बाद मुहम्मद अंट-शंट बका है जिसमें मुतराज्जिम ने ब्रेकेट लगा लगा कर थक गए होंगे कि कई बात बना दें, कुछ नमूने पेश हैं - - -
''और हम ने (1) आप को और किसी बात के लिए नहीं भेजा, मगर दुन्या जहान के लोगों (2) पर मेहरबानी करने के लिए . आप बतोर(3) फरमा दीजिए कि मेरे पास तो सिर्फ वह्यी आती है कि तुम्हारा माबूद (4 )सिर्फ एक ही है सो अब भी तुम (5) फिर (6) ये लोग अगर सर्ताबी करेंगे तो (7) आप फरमा दीजिए कि मैं तुम को निहायत साफ़ इत्तेला कर चुका हूँ और मैं ये जानता नहीं कि जिस सज़ा का तुम से वादा हुवा है, आया क़रीब है या दूर दराज़ है (8). - - -सूरह अंबिया -२१ परा १७ -आयत (१०४--११२)१-(ऐसे मज़ामीन नाफ़े देकर)
२-(यानि मुकल्लाफीन)
३-( खुलासा के मुक़र्रर)
४-(हकीकी )
५-(मानते हो या नहीं यानी अब तो मन लो)
६-(भी)
७- (बतौर तमाम हुज्जत के)
८- (अलबत्ता वक़ूअ ज़रूर होगा).
दोबारा समझा रहा हूँ की ओलिमा ने अनुवाद में मुहम्मद की कितनी मदद की है. पहले आप आयतों को पढ़ें, मतलब कुछ न निकले तो अनुवादित सब्दावली का सहारा लें , इस तरह कोई न कोई बात बन जायगी.भले वह हास्य स्पद हो.मुहम्मद की चिंतन शक्ति एक लाल बुझक्कड़ से भी कम है, ब्रह्माण्ड को नज़र उठा कर देखते हैं तो वह उनको कागज़ का एक पन्ना नज़र आता है और वह आसानी के साथ उसे लपेट देते हैं। मुसलमान उनकी इस लपेटन में दुबका बैठा हुवा है. मुहम्मदी अल्लाह कयामत बरपा करने का अपना वादा कुरआन में इस तरह दोहराता है जैसे कोई खूब सूरत वादा किसी प्रेमी ने अपने प्रियशी से किया हो. मुसलमान उसके वादे को पूरा होने के लिए डेढ़ हज़ार सालों से दिल थामे बैठा है.
सूरह अंबिया -२१ परा १७ -आयत (१०४--११२)

जीम 'मोमिन' निसरुल-ईमान
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3 comments:

  1. जब ज़मीन हिला दी जाएगी जैसे उसे हिलाया जाना है (जब ज़मीन बड़े ज़ोर का ज़लज़ला आएगा , जब बड़े ज़ोर के ज़लज़लो मे होगी) क़ुरआन 99:1

    ज़ालिम को मिलती है उसके ज़ुल्म (और ज़ुर्म) की सज़ा, ये जान कर भी लोग अन्जान बहुत है

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  2. १. मुहम्मद उम्र कैरान्वी
    २. सलीम खान
    ३. अनवर जमाल
    ४. असलम कासमी
    ५. जिशान जैदी
    ६. अयाज अहमद
    ६ .सफत आलम
    ७. शाहनवाज
    अपनी माँ के बारे में भी यही सोचते हो. कासमी तो ऐसा ही सोचता है १०००%

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  3. देशभक्तों से विनती है की वे निम्नलिखित देशद्रोहियों और इस्लामी आतंकवादियों के समर्थकों के बारे में अधिक से अधिक लोगो को बताएँ


    इस्लाम के दलाल
    १. मुहम्मद उम्र कैरान्वी
    २. सलीम खान
    ३. अनवर जमाल
    ४. असलम कासमी
    ५. जिशान जैदी
    ६. अयाज अहमद
    ६ .सफत आलम
    ७. शाहनवाज
    बाकियों को भी सभी जानते हैं.
    प्रमाण
    इनके बाप ईसाइयों ने ११ सितम्बर को इनके अल्लाह की किताब कुरान जलाने की घोषणा की है.
    अमेरिका ने सऊदी अरब को मोती रकम देकर कुरान जलाने का विरोध न करने का "आदेश" दिया है. अपने बाप के आदेश पर आतंकवाद के सरगना सऊदी अरब ने अपने चमचों आतंकवादियों से चुप बैठने को कह दिया है.
    चुप बैठने वाले आतंकवादियों को भी उनका हिस्सा मिलेगा. इसलिए उपरोक्त "इस्लाम के दलाल" चुप बैठे हैं. भारत में तो कुरान के नाम पर हिन्दुओं का खून पीने को तैयार रहते हैं. अब क्या हुआ?????????

    इस्लाम के दलालों के संगठन का नाम "impact " यानी "indian muslim progressive activist "है. यह दल "indian mujaahidin "से संबधित है .कैरानावी और सलीम खान इसके local सरगना हैं .बाक़ी सब सदस्य हैं, जिनमें असलम कासमी, अनवर जमाल, अयाज अहमद, एजाज अहमद, जीशान जैदी आदि शामिल हैं. इस्लाम के दलालों के ग्रुप में बुरकेवालियां भी हैं .इनका मुख्य काम दुश्मनों को सूचना देना है. कैरानवी का गिरोह धर्मं परिवर्तन कराना, आतंकवादियों को और घुसपैठ करने वालों को पनाह देना है और उनका सहयोग करना है. blogging तो इनका बाहरी रूप है. ब्लोगिंग के माध्यम से ये लोग अपनी जेहादी मानसिकता के लोग तलाश रहे हैं.

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