Saturday 24 September 2011

सूरह अनआम ६-(आठवीं किस्त)

मेरी तहरीर में - - -



क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।



नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.


सूरह अनआम ६-


(आठवीं किस्त)


''आप जानदार चीज़ों को बेजान से निकल लेते हैं (बैज़े से चूजा) और बेजान चीज़ों को जानदार से निकल लरते है (परिदे से बैजा)'

'सूरह अन आम छटां - सातवां पारा(आयत ९६)

(जी हाँ ! यह बात मुहम्मद अल्लाह से कह रहे हैं और एलान है कि कुरआन मुहम्मद से अल्लाह की कही हुई बात है. मुहम्मद के कलाम को अल्लाह का कलाम माना जाता है . क्या खुदाए बरतर ऐसी नादानी कि बातें कर सकता है?)
अण्डों में जान होती है, इतनी सी बात को खुद को पुर हिकमत अल्लाह के पयंबर कहलाने वाले मुहम्मद नहीं जानते. उनका गाउदी अल्लाह कुरआन में बार बार इस बात को दोहराता है. इस्लामी ओलिमा ऐसी आयतों को मुस्लिम अवाम से पर्दा पोशी करते हैं और उनको अंध विशवास का ज़हर पिलाते रहते हैं.

''वह आसमानों और ज़मीन का मूजिद है, इसके औलाद कहाँ हो सकती है? हालाँकि इसकी कोई बीवी तो है नहीं. और अल्लाह ने हर चीज़ को पैदा किया है और हर चीज़ को जानता है.''

सूरह अन आम छटां - सातवां पारा (आयत १०२)

ईसाई, ईसा को खुदा का बेटा कहते हैं, उसकी मुखालिफ़त में तर्क हीन बाते करते हैं। मुहम्मद के मुताबिक कोई आविष्कारक बाप कैसे हो सकता है? फिर खुद ही कहते हैं- - - उसके पास कोई बीवी भी तो नहीं है, यह दूसरी जेहालत की दलील है. अव्वल तो यह कि ब्रह्मांड का रचैता उसका आविष्कारक कैसे हुआ? यह एक जाहिल जपट की बातें हैं. जब अल्लाह ने हर चीज़ को पैदा किया तो एक अदद बच्चा पैदा करना उसके लिए क्या मुश्किल था या उसकी जोरू नहीं है इसका इल्म मुहम्मद को कैसे है. मुहम्मद कुरआन में ही एक जगह अल्लाह से क़सम खिलवाते हैं

'' कसम है बाप की और औलाद की - - -''

गोया अल्लाह के बीवी बच्चे ही नहीं बाप भी है.

''और अगर अल्लाह को मंज़ूर होता तो ये शिर्क न करते, और हम ने आप को इनका निगरान नहीं बनाया और न आप इन पर मुख़्तार हैं और गाली मत दो उनको जिनकी यह लोग अल्लाह को छोड़ कर इबादत करते हैं, फिर वह बराए जमल हद से गुज़र कर अल्लाह को गाली देंगे.''

सूरह अन आम छटां - सातवां पारा(आयत १०८+९)

अल्लाह को मंज़ूर है कि वह शिर्क करें, फिर आप अल्लाह की रज़ा में बाधा क्यूं बन रहे हैं ?आप कितने किस्म की बातें करते हैं? आप निगरान ही नहीं मुख़्तार ही नहीं बल्कि मौक़ा मिलते ही तलवार लेकर उनके सरों पर खड़े हो जाते हैं, घिज़वा (जंग) करते हैं और इंसानी खून बहाते हैं. अबू बकर आप के ससुर जब काफ़िर इरवा से कहते

''भाग जा अपने माबूद लात की शर्मगाह (लिंग) चूस''

(बुखारी ११४४)

जवाब सुन कर आपको होश आता है.

''और लोगों ने बड़ा ज़ोर लगा कर अल्लाह की क़सम खाई थी कि इन के पास कोई निशानी आ जाए तो वह ज़रूर ही इस पर ईमान लाएँगे. आप कह दीजिए निशानियाँ सब अल्लाह के कब्जे में हैं और तुम को क्या खबर कि वह निशानियाँ जिस वक़्त आ जाएंगी, यह लोग तब भी ईमान न लाएँगे और हम भी उनके दिलों को और निगाहों को फेर देंगे जैसाकि ये लोग इस पर पहली बार ईमान नहीं लाए और हम इनको इनकी सरकशी में हैरान रहने देंगे''

सूरह अन आम छटां - सातवां पारा(आयत १११०+११)

बाबा इब्राहीम के दो बेटे इसहाक और इस्माईल थे. इसहाक ब्याहता सारा से और इस्माईल सेविका हाजरा से. इसहाक का वंश यहूदी हैं जो कि श्रेष्ट माने जाते है और तमाम जाने माने कथित पैगम्बर इसी में हुए. लौड़ी जादे इस्माईलिए रश्क किया करते कि मेरे वंस में कोई पैगम्बर होता तो क्या बात थी, यह बात इस्माईलिए मुहम्मद का सपना बन गया और उन्होंने पुख्ता इरादा किया कि उनको इस्माईलियों का ईसा, मूसा की तरह ही बनना है. यहाँ इसी बात का इस्माईलियों को यह ताना दे रहे हैं. ईसा मूसा की तरह ही जब लोगों ने इनसे चमत्कार दिखलाने की बात करते हैं तो मियां कैसी कैसी कन्नी कटते नज़र आते हैं.


'' और अगर हम इन पर फ़रिश्ते भी उतर देते और मुर्दे भी इनसे गुफ्तुगू करने लगते और हर चीज़ को उनके सामने पेश कर देते तो भी ये ईमान लाने वाले न थे लेकिन अक्सर इनमें से लोग जेहालत की बातें करते हैं.''

सूरह अन आम छटां - सातवां पारा (आयत ११२)

जनाबे आली! अगर आप उनके सामने यह मुअज्ज़े पेश कर देते तो वह न सिर्फ ईमान लाते बल्कि ईमान के दरिया में बह जाते। यह जाहिल न थे बल्कि मुस्तनद जाहिल तो आप थे जो ऐसी गैर फितरी बातें उनको समझाते थे. मुस्लिम अवाम की बद किस्मती यह है कि वह आप के बके हुए कलाम में मानी, मतलब और मकसद ढूंढने के बजाए सवाब ढूंढ रही है, नतीजतन वह अज़ाब में मुब्तिला है.

मेरी बेदार लोगों से गुजारिश है कि उन भेड़ बकरियों को फिलहाल सवाब की घास चरने दें मगर आप हज़रात मेरी तहरीकमें शामिल हों.



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

3 comments:

  1. मजहब के मामले में बुद्धिजीवी चर्चा करना बहुत से मजहबी लोग अपराध समझते हैं.
    सुधार की दिशा में कदम रखना तो बहुत दूर की बात है. फिर भी ज़माना तो बदलेगा ही जो आज है वो कल नहीं रहेगा...

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  2. sorry it for checking

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