Wednesday 22 February 2012

Soorah Kuhaf

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

3 comments:

  1. सिद्दीकी साहब! अभी बच्चे लग रहे हैं आप. इस्लामी बच्चे. मैं मौलाना अशरफ अली थानवी का तर्जुमा पेश कर रहा हूँ जो कि दुन्या के सबसे बड़े आलिम है. आप बार बार जिस जुमले को दोहरा रहे हैं कि " जिसको खुदा गुमराह करे उसको कौन राह पर लावे." उसी को अगर समझ पाएँ तो मेरे लिए काफ़ी है.
    आख़िर खुदा बन्दे को गुमराह क्यूँ करता है?
    कभी इस्लामी बन्दे शैतान को इलज़ाम देते है और कभी खुदा को?
    क्या शैतान खु खुदा तो नहीं?

    ReplyDelete
  2. ji janab aap ne sahi pahchana mujhe main to abhi bachchha hi hun islami bachchhca lekin afsos is baat ka hai ki aap apne aap ko nahi pahchan pa rahe hain sirf doosron ki pahchan karne se zyada faydemand apne aap ko pahchaan na hai apni pahchaan karen aur meri dua aap ki liye hai ki aap ko Allah seraate mustaqeem par chala de Aameen ya rabbul Aalmeen

    ReplyDelete