Saturday 12 May 2012

आगाही (ख़ास मज़मून)

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.


मैं बार बार मुसलमानों को आगाह कर रह हूँ कि इस्लाम को तर्क करके ईमान दार मोमिन बन जाओ. हिम्मत करके मुस्लिम से मोमिन हो जाओ.
फिर आगाह करता हूँ कि ५० साल के अन्दर अन्दर ऐसा वक़्त आने वाला है कि पूरी दुन्या में मुसलामानों का जीना मुश्किल हो जायगा. उस वक़्त हमारे सामने मौत होगी या फिर ज़िल्लत भरा धर्मांतरण यानी दो नंबर के बशिदे. हर ग़ैर मुस्लिम मुल्क के मुस्लिम बशिदे पर उनके ही मुल्क में उनके लिए जम्हूरियत के मअनी बदल जाएँगे. गैर मुस्लिम के लिए जम्हूरियत कुछ होगी और मुसलमानों के लिए कुछ. मुसलमानो पर जज़िया ठोका जाएगा, जैसे माज़ी में मुसलामानों ने गैर मुस्लिम पर लागू किया था.
मुसलामानों के मरकज़ में सूरत हाल नाकाबिले बयान होगी . मक्का मदीना की सभी इस्लामी नुकूश काबा से लेकर मस्जिएद नबवी तक बमों के ज़रिए उड़ा दिए जाएगे. मुहम्मदी नस्ल और उस वक़्त के उनके हामियों पर जीना हरम हो जाएगा जन्हों ने १४ सौ सालों पहले मक्का और मदीना में बसे यहूदियों और ईसाइयों को तलवार के जोर पस मुसलमान कर लिया था. 
अमरीका योरोप और इनके हिमायती मुल्क एक गुट बनाएँगे और पूरी दुन्या को मजबूर कर देंगे कि अपने अपने मुल्कों में बसे मुसलमनो पर दायरा तंग कर दें. और वह हक़ बजनिब होंगे कि मुसलमान कल भी दुश्मने-इंसानियत थे और आज भी दुश्मने इन्सानिता हैं. क्योकि हर मुसलमान अन्दर से तालिबानी होता है, और इनमें ही, जो ज़रा वसीउन नज़र है , उसको भी तालिबानी मुस्लिम अपना दुश्मन समझते है.
हमारे मुल्क हिदुस्तान में आमिर खान, शाहरुख़ खान, सलमान खान और ए पी जे अब्दुल कलाम जैसे लोग सुर्कुरू होंगे जिन्हों ने इन्कलाब के क़ब्ल ही अपनी पहचान बना ली है.
आज की खबर हमारी आगाही के के गवाह हैं. हम इसकी एक झलक पेश कर रहे हैं. . . .

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

1 comment:

  1. बिलकुल सही लिखा है!

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