मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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गणेश जी
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जय श्री गमेश
गणेश जी
अनोखे , आश्चर्य जनक, अलौकिक और हास्य स्पद भी ,
गणेश जी हिन्दू धर्म के अजीब व् गरीब देवता हैं .
हर काम की शुरुआत गणेश जी के नाम से होती है ताकि शुभ शुभ हो ,
भले ही काम अनैतिक हो, गणेश जी सब के सदा सहाय रहते हैं .
कहते हैं कि माता पारवती हर रोज़ प्रातः स्नान से पहले अपने शरीर का मैल रगड़ रगड़ कर साफ़ करतीं और उस मैल को इकठ्ठा करती रहतीं ,
जब मैल बहुत सी इकठ्ठा हो गई तो उसका एक पुतला बनाया और अपने द्वार पर दरबान के तौर पर बैठा दिया ,
शिव जी जब घर आए तो दरबान ने उन्हें भीतर जाने से रोका .
शिवजी जैसा कि सब जानते हैं कि बहुत ही जाह व् जलाल वाले देव थे ,
आग खाते थे अंगार उगलते थे ,
गुस्से में आकर उनहोंने दरबान का सर कलम कर दिया .
पारबती जी शोर सुन कर बाहर आईं और दरबान का कटा सर देख कर कहा ,
यह क्या किया आपने महाराज ?
अफरा तफरी में उन्हें एक हाथी का सिट कटा हुवा पड़ा मिला और उनहोंने उसे दरबान के कटे हुए धड पर फिट कर दिया .
तब से वह दरबान गणेश बन गए ,
माता पारबती और पिता शिव का प्रीय पुत्र .
कुछ एक की धारणा है कि गणेश जी देह की मैल से नहीं गाय के गोबर से निर्मित हुए हैं , तभी तो उनको गोबर गणेश भी कहा जाता हैं .
पृथ्वी परिक्रमा का मुकाबला देवों के बीच संपन्न हुवा ,
उसमे गणेश जी अव्वल आए , कि उन्हों ने बजाय पूरी धरती को नापने से ,
अपनी सवारी चूहे पर सवार होकर अपने माता पिता की परिक्रमा कर लिया.
सब से पहले .
अतः ब्रह्मणों ने उनको पहला नंबर दिया .
इसी रिआयत से उनके नाम से हर काम की शुरुआत होती है .
इस गणेश कथा पर हर जगह सवालिया निशान खड़े होते हैं ????????????????
मगर मजाल है किसी कि सवाल कर दे ,
सवालों से पहले आस्था की दीवार खड़ी हो जाती है .
आस्था !
बड़ा ही गरिमा मयी शब्द है ,
बहुत ही मुक़द्दस ,
इसके आगे हसिया नुमा सवालिया निशाँ खड़ा किया तो
उन्हीं हंसिया से सवाली का सर कलम कर दिया जाएगा .
जय श्री गणेश !!
मैं भी आस्थावान हुवा >
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दोसतो !
बड़ा दबाव था मेरे ऊपर कि मैं हिदू धर्म पर क्यों नहीं मुंह खोलता ?
मुझे लिहाज़ था कि कोई जुनैद मोमिन अगर हिन्दू धर्म पर बोलेगा तो फसाद का अंदेशा था. इस के आलावा मुझे हिन्दू पाठकों से राय मिली कि हिन्दू धर्म में बहुतेरे समाज सुधारक हुए हैं, आप इस्लाम में ही सीमित रहें.
इसमें कोई शक नहीं कि उन में से कुछ को इस्लाम की धज्जियाँ उडती देख कर ही मज़ा आता था.
इससे उनको यहाँ तक ग़लत फहमी हो गई कि वह अपने आप को गौरव का प्रतीक समझने लगे और मुझे भी हिन्दू धर्म का पक्ष धर समझ बैठे.
भारत में पिछले दो सालों में मनुवाद का ग़लबा हुवा जा रहा है जोकि मुल्क के लिए बड़ा ख़तरा है. नेहरु का भारत गोलवाकर की बपौती बनती चली जा रही है. मस्लेहत और ख़दशे के भूत जेहन से काफूर हुए जा हुए .
मैंने फैसला किया है कि अब कुरआन की तरह ही मनु वाद की भी खबर लूँगा.
मुझे उम्मीद है कि मेरे सम्मानित पाठक गण ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ेंगे.
हर रविवार और बुधवार को आप मेरा नया द्वार पट खोलें.
धन्यवाद
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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