मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
दोसतो !
बड़ा दबाव था मेरे ऊपर कि मैं हिदू धर्म पर क्यों नहीं मुंह खोलता ?
मुझे लिहाज़ था कि कोई जुनैद अगर हिन्दू धर्म पर बोलेगा तो फसाद का अंदेशा था. इस के आलावा मुझे हिन्दू पाठकों से राय मिली कि हिन्दू धर्म में बहुतेरे समाज सुधारक हुए हैं, आप इस्लाम में ही सीमित रहें.
इसमें कोई शक नहीं कि उन में से कुछ को इस्लाम की धज्जियाँ उडती देख कर ही मज़ा आता था.
इससे उनको यहाँ तक ग़लत फहमी हो गई कि वह अपने आप को गौरव का प्रतीक समझने लगे और मुझे भी हिन्दू धर्म का पक्ष धर समझ बैठे.
भारत में पिछले दो सालों में मनुवाद का ग़लबा हुवा जा रहा है जोकि मुल्क के लिए बड़ा ख़तरा है. नेहरु का भारत गोलवाकर की बपौती बनती चली जा रही है. मस्लेहत और ख़दशे के भूत जेहन से काफूर हुए जा हुए .
मैंने फैसला किया है कि अब कुरआन की तरह ही मनु वाद की भी खबर लूँगा.
मुझे उम्मीद है कि मेरे सम्मानित पाठक गण ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ेंगे.
हर रविवार और बुधवार को आप मेरा नया द्वार पट खोलें.
धन्यवाद
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
मैंने फैसला किया है कि अब कुरआन की तरह ही मनु वाद की भी खबर लूँगा.
ReplyDeleteयह तो और अच्छा होगा. देर आयद दुरुस्त आयद. वैसे भी हिंदुत्व का तालिबानीकरण जोरशोर से हो रहा है, इसपर भी लगाम लगानी होगी.
शुभकामनाएँ!