Saturday 10 June 2017

Hindu Dharm Darshan 72



वेद दर्शन                        

 खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

हे वन स्वामी इंद्र 
जब तुमने तीन सौ भैसों का मांस खाया, 
सोम रस से भरे तीन पात्रों को पिया 
एवं वृत्र को मारा, 
तब सब देवों ने सोमरस से पूर्ण तृप्त इंद्र को 
उसी प्रकार बुलाया जैसे मालिक अपने दास को बुलाता है. 
पंचम मंडल सूक्त - 8 
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )
सभी देवता नशे में मद मस्त हो गए तो आदर सम्मान की मर्यादा खंडित थी. वह बक रहे हैं - - - 

अबे इंद्र !
इधर आ, सुनता नहीं ? 
दूं कंटाप पर एक तान के !! 
सरे पूज्य देवों को पंडित ने हम्माम में नंगा कर दिया है.
सारे हिदू जन साधारण, इस वेद जाल में फंसे हुए हैं. कहते हैं वेद मन्त्रों को समझना हर एक के बस की बात नहीं. 
आप समझें कि आप कहाँ हैं.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment