हिदुस्तानी मुसलमान
कुछ पढ़े लिखे मूर्ख, जनता के तथा कथित प्रतिनिघ बड़ी आसानी से मुसलमानों को मश्विरह दे देते हैं कि पाकिस्तान चले जाएं.
जो पाकिस्तान ज़िदाबाद के नारे लगाते हैं और पाकिस्तान जाना चाहते हैं, उनको हमरा कानून जाने नहीं देता. बार्डर क्रॉस करते ही फौज उन्हें गोली मार देगी . ऐसे जन प्रतिनिघ अपने साक्षर बापों से मश्विरह लेकर ही जुबान खोला करें.
काश कि संसार के सारे देश इस बात को माने कि हर आने जाने वाले को Wellcome और Wellgo कहकर बंधकों आज़ाद किया करें.
मगर सवाल यह उठता है कि जिन मुल्कों ने परिश्रम और ईमान दारी से अपने देश को पवित्र और जन्नत नुमा बनाया है वह घटिया दरजे के इन बेईमान और भ्रष्ट लोगों को अपने देश में घुसने भी क्यों दें ? वह तो हर देश के उन नव निहालों को सर आँखों पर बिठाते हैं जो हर मैदान में उनकी तरह या उनसे आगे हो, भारत के हों या पाकिस्तान के.
हम बात कर रहे थे उन थोथे प्रतिनिघयों की जो हमें देश छोड़ने की राय दिया करते हैं, कि हम को अगर तुम्हारे बापों का देश छोड़ना ही पड़ा तो हम अपना मकान, अपनी दुकान, अपनी खेती बाड़ी, और अपना तमाम असासा अपने साथ लेकर ही जाएँगे ,
तुमको मुफ्त नहीं दे जाएँगे.
हम ईमान दारी के साथ सरकारी भुगतान को जीवन का अंग बनाए हैं,
हर तरह के कर अदा करते हैं,
हर कानून का पालन करते हैं, हमें देश नहीं छोड़ना पड़ेगा
बल्कि देश को उन टुकड़ों को छोड़ना पड़ेगा जो हमारा है.
देश छोड़ने वाले बनिए और बाह्मन होगे जो देश के तमाम संसाधन और दौलत पर कब्जा किए हुए बैठे हैं.
मल्याओं ने तो खुद ही देश छोड़ रखा है.
मुसलमान तुम्हारी आँखों में इस लिए चुभ रहे है कि वह मनुवाद के फंदे से आज़ाद हो गए हैं, शूद्रों , हरिजनों और आज के दलितों की तरह तुम्हारे दास नहीं, तुम्हारा मल मूत्र नहीं ढोते, तुहारे डांगर नहीं निक्याते.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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