Thursday 27 February 2020

खेद है कि यह वेद है (21)


खेद  है  कि  यह  वेद  है  (21)

हे इंद्र ! घास खाकर तृप्त होने हुई गाय जिस प्रकार अपने बछड़े की भूख को समाप्त करती है, उसी प्रकार तुम शत्रु वाधा सम्मुख आने से पूर्व ही हमारी रक्षा कर लो. 
जिस प्रकार पत्नियां युवक को घेरती हैं, 
उसी प्रकार हे शत्तरुत्र इंद्र ! हम सुन्दर स्तुत्यों द्वारा तुमको घेरेंगे.
सूक्त 16-8 

पंडित अपनी सुरक्षा अग्रिम ज़मानत की तरह इंद्र देव से तलब करता है. 
उपमा देखिए कि जिस तरह धास खाकर गाय अपने बछड़े को तृप्त रखती है.
अनोखी मिसाल 
" पत्नियाँ सामूहिक रूप में युवक को घेरती हैं"
हो सकता है वैदिक युग में यह कलचर रहा हो 
कि इस पर उनके पतियों को कोई एतराज़ न होता रहा हो, 
वैसे कामुक इंद्र देव की रिआयत से पत्नियों की जगह कुमारियाँ होना चाहिए था. 
पंडित जी कहते हैं उसी तरह वह इन्दर देव को घेरेगे.
हिंदुओ ! कब तक इन पाखंडियों के मनुवाद के घेरे में घिरे रहोगे?

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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