Monday 14 November 2011

ईमान के सौदागरों को जवाब

मेरी तहरीर में - - -



क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी ''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है, हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं, और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं।








ईमान के सौदागरों को जवाब

ऊपर उर्दू अख़बार की कापी पेस्ट चस्पाँ है जिससे मेरे मज़ामीन के ख़िलाफ़ मुस्लिम अवाम को इस्लाम के नाम पर उकसाया गया है. उन हराम खोरों और ईमान फरोशों को उर्दू में मैंने जवाब दिया है जिसकी नक़ल हिंदी पाठकों के नज़र है.
आप लोगों ने गालिबन मेरे बारे में ही रोजनामा इन्किलाब में खबर दे कर भोले भाले मुस्लिम अवाम को गुमराह करने की कोशिश की है जो अन्बियाय अव्वलीन और अन्बियाय आख्रीन का सबक नादान मखलूक को पढ़ाता है - - -


दुन्या रवाँ मिर्रीख पर और आपका ये दरसे-दीन,
अववलिनो, आखरीनो, काफरीनो, मोमनीन .

आप मेरी तहरीर और तहरीक की एक झलक भी मुस्लिम अवाम को दिखला नहीं सकते कि बकौल आपके गुनाहगार हो जाने का डर लाहक है. दर पर्दा आपको डर है कि इसे पढ़ कर कहीं मुस्लमान बेदार न हो जाएँ.
तुम ईमान और इस्लाम को बहुत दिनों तक ज़रीआ मुआश बनाए नहीं रख सकते, अब ये नामुमकिन है कि सदाक़त की आवाज़ को दबाए रख सको. तुम हुकूमत और अदालत का दरवाज़ा खटखटाने जा रहे हो; मेरी सदाक़त को पढ़ कर कोई भी दानिश वर जज तुमलो दस जूते खाने की सजा ही सुना सकता है. तुम वेब साइट्स को बंद करावगे? बचकाना और बेहूदा बात करते हो. यह पाकिस्तान नहीं है जहाँ तालिबानों की चलती है.
तुम्हारे लिए मेरा मश्विरह यह है कि अवाम को मेरी तहरीर का जवाब तहरीर से दो. मगर तुम्हारे दीन में इतना दम ही नहीं है कि सच के सामने टिक सके. हमेशा की तरह तुम मुस्लिम अवाम को सड़क पर उतारने की धमकी दे रहे. इससे किया होगा सौ पचास बे कुसूर मुसलमान पुलिस की गोली से मौत के घाट उतर जाएँगे. तुम्हारे लिए कुछ दिनों की हलुवा पूरी और पक्की हो जायगी. मगर अब अवाम होशियार हो रहे हैं, तुम्हारे जादू का असर ख़त्म हो रहा है.
मै तसलीमा नसरीन नहीं हूँ कि जो बेघर है गरीब, मैं हिन्दुस्तानी हूँ , यहीं रहकर हमेशा अपने नादान भाइयों को राह दिखलाता रहूँगा.
मैं एक मोमिन हूँ जिसका मसलक है ईमान, तुम मुलिम हो जो इस्लाम को तस्लीम किए हुए है. फ़ासिक़ कुरान जो कहता है वही तुम्हारी राह है.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

3 comments:

  1. aap ise apne domain par le jaaein...

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  2. मोमिन साहब,
    अब आपका सन्देश निशाने पर पहुँचने लगा है और यह अख़बार की कतरन सबूत है कि वह 'चोट' भी कर रहा है. मेरी शुभकामना है कि आपकी मुहिम रंग लाये.

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  3. well done 'मोमिन'

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