Thursday, 13 November 2014

Moosa No 11 Part i

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
*
झलकी ११ 
मूसा 
(1)

बनी इस्राईल के लेवी क़बीले में मूसा का जन्म हुवा . इस ज़माने में इस्राईल्यों पर बादशाह-ए-वक़्त फ़िरऔन का ज़ुल्म बरपा था , इस लिए कि ज्योतषियों ने फ़िरऔन को बतलाया था कि इस्राईल्यों में एक बच्चा पैदा होगा जो फ़िरऔन के पतन का कारण बनेगा। 
फ़िरऔन ने फ़ौज को हुक्म दिया कि इस्राईल्यों में पैदा होने वाले हर नरीना बच्चों को हलाक कर दिया जाए और लड़कियों को ज़िंदा रहने दिया जाए।  ऐसे में मूसा जन्मा जिसको माँ ने तीन महीने तक इसे छिपा रखा , इसके बाद बच्चे को एक सरकिणडे की टोकरी में रख कर बेटी को दिया कि वह इसको दर्याय नील के हवाले कर आए। 
फ़िरऔन की बीवी (या बेटी) आसिया कपड़ों के साथ नील पर नहाने आई थी कि इसने किसी बच्चे के रोने की आवाज़ सुनी , उस टोकरी पर नज़र गई जिससे रोने की आवाज़ आ रही थी। उसने सेविकाओं को हुक्म दिया कि  बच्चे को टोकरी से निकाल कर मेरे पास ले आओ।  सेविकाओं ने देखा कि टोकरी में एक इब्रानी बच्चा था। शहज़ादी को बच्चा अच्छा लगा , उसने इसे पालने का इरादा किया और के लिए किसी इब्रानी औरत को दूध पिलाने के लिए तलाश करने का हुक्म दिया। दाई पास ही मिल गई जो दर अस्ल मूसा की माँ ही थी। 
इस तरह मूसा को माँ मिल गई और माँ को उसका लाल। 
मूसा अच्छी परवरिश में जवान हुवा , पुर कशिश और मजबूत शख्सियत का मालिक बना।  हक़ और नाहक़ की लड़ाई में वह कूद पड़ता। 
एक दिन उसने देखा कि दो लोगों में लड़ाई हो रही थी जिनमे एक इब्रानी और दूसरा मिस्री था। इब्रानी ने मूसा को गुहार लगाई तो वह लपका , मिस्री की ज़्यादती को देख कर उसको एक घूसा रसीद कर दिया जिसकी ताब मिस्री न ला सका और वहीँ ढेर हो गया। 
मूसा वहां से भाग गया और अपने किए पर पछताया। 
फिर एक दिन वही इब्रानी किसी मिस्री से झगड़ रहा था कि मूसा को देख कर उसकी मदद मांगी। मूसा वहाँ पहुंचा मगर इस बार उसने अपने बिरादर की मदद करने के बजाय उसको एक घूँसा रसीद किया। 
मूसा की इस रविश से इब्रानी घबरा गया और फैल मचा दिया कि मूसा ने पहले एक मिस्री को घूँसा मारा था जो मर गया था , अब यह मुझे मार डालना चाहता है। 
यह खबर जब फ़िरऔन तक पहंची तो उसने मूसा को गिरफ्तार करने का हुक्म दे दिया। 
 खबर पाकर मूसा घर छोड़ कर भाग निकला। रातो-दिन भागते हुए वह मिस्र की सरहद से बाहर निकल गया और मिदयान नाम की बस्ती में रुका ,फिर वहाँ के मुखिया से पनाह मांगी। मुखिया ययतरू ने उसे पनाह दिया और अपनी भेड़ें चराने के काम पर लगा दिया। कुछ दिनों बाद मुखिया ने अपनी बेटी सपूरा से मूसा की शादी कर दी और इसे अपना दामाद बना लिया 
मूसा बाल बच्चों वाला हुवा , उसके बड़े बेटे का नाम गोरशेम हुवा। 

एक रोज़ मूसा घर से दूर हेरोब की पहाड़ियों पर गया।  वहाँ झाड़ियों के पीछे से खुदा ने मूसा को अपना दीदार दिया। झाड़ियाँ अंगारों की लपटों में थीं मगर जल कर खाक नहीं हो रही थीं। मूसा इस राज़ को जानने के लिए आगे बढ़ना ही चाहा कि निदा (ईश वाणी) आई - - -
मूसा ! ऐ मूसा !!
मूसा ने लब्बयक (आया मेरे ख़ुदा) कहा 
खुदा ने कहा 
आगे मत बढ़ना , पहले अपने पाँव के जूते उतार , यह जगह मुक़द्दस है 
खुदा ने कहा , मै तेरे पूर्वज इब्राहीम , इस्हाक़ ,याक़ूब और यूसुफ़ का खुदा हूँ। 
खुदा ने ऐसा ही वादा मूसा से किया जैसा कि इन सभों से किया था। 
खुदा ने हुक्म दिया कि तू मिस्र जा और वहां से इस्राईल्यों को निकाल के ला. 
खुदा ने अपना नाम याओवह  या योवहह बतलाया। 
(इस्राइली इन नामों को लिखते ज़रूर हैं मगर कभी मुंह से उच्चारित नहीं करते , इनकी जगह इनके माने 
{"मैं ही हूँ जो हूँ ) पुकारते हैं।



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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