Thursday 6 November 2014

Yusuf Part 1

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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झलकी नंबर १० 
योसेफ़ / यूसुफ़ / जोज़फ़ 
Part 1
क़ुरआन के झूट - - - 
और तौरेती सदाक़त  



क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है।  पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं।  दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 
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योसेफ़ अपने भाइयों में सब से छोटा था। राहील की इकलौती औलाद होने के नाते याक़ूब को वह बहुत अज़ीज था, इसी लिए बाक़ी भाई उससे ख़लिश रखते थे, सिवाय बिन्यामीन के योसेफ़ अपने सभी सौतेले भाइयों में बिन्यामीन को सबसे ज़्यादा चाहता था। 
योसेफ़ जब ख़्वाब देखता तो अपने बाप और भाइयों को ज़रूर बतलाता था और ख्वाब की ताबीर भी। एक दिन उसने ख्वाब देखा कि सूरज चाँद और ग्यारह सितारे उसको सजदा कर रहे हैं। उसने अपने ख्वाब को घर वालों को सुनाया और उसकी ताबीर बतलाई , इस पर बाप याक़ूब ने उसे फटकार लगाई , गोया तुम अपने माँ बाप और ग्यारह भाइयों के हुक्मराँ होगे ?
याक़ूब ने योसेफ़ की ख्वाब को अपने ज़ेहन में गाँठ लगा कर बांध लिया था। 
इसके बाद योसेफ़ के सभी भाई योसेफ़ से और भी ज्यादा जलने लगे।   
योसेफ़ अपने भाइयों के साथ रेवड़ चराया करता था। एक दिन इसके दो बड़े भाईयो ने इसे मार डालने का मंसूबा बनाया। वह योसेफ़ को जंगल में ले गए मगर क़त्ल करने की हिम्मत न कर सके और इसके कपड़ों को उत्तार कर इसको एक अंधे कुएँ में डाल दिया और एक बकरे के खून से इसके लिबास को रंगा दिया। घर आकर खून भरे कपडे याक़ूब से सामने रखते हुए बतलाया कि योसेफ़ को भेड़यों ने खा डाला। 
यह खबर सुन कर याक़ूब को ऐसा सदमा लगा कि उसनेँ अपने कपडे फाड़ कर टाट लपेट लिया , रो रो अपनी बीनाई खो दी। 

कुएँ में यूसेफ (यूसुफ़) की आहो-फुग़ां सुन कर उधर से गुजरने वाले इस्माईली सौदागरों के कान खड़े हुए। उन्हों ने यूसेफ़ को कुएँ से बाहर निकाला और माल-ए-तिजारत में उसे शामिल कर लिया। वह उसे बाजार-मिस्र में ले जाकर फराउन के दरबारी जेलर पोटीकर के हाथों ३० चाँदी के सिक्कों के बदले बेच दिया। 
यूसुफ़ एक नौजवान , तंदरुस्त और खूबसूरत लड़का था जो जेलर पोटीकर को बहुत अच्छा लगा उसने उसे औलाद बनाने का फैसला किया मगर दूसरी तरफ उसकी जोरू ज़ुलैख़ा थी कि उसकी नज़र-बद यूसुफ़ को लग गई। वह यूसुफ़ को देख कर उस पर रीझ गई। 
एक दिन यूसुफ़ और ज़ुलैख़ा घर में तनहा थे कि ज़ुलैख़ा ने यूसुफ़ की तरफ़ पेश क़दमी की। अपने आक़ा के साथ दग़ा बाज़ी , वह ख़्वाब में भी नहीं सोच सकता था। वह ज़ुलैखा की गिरफ़्त से निकल कर जब भागना चाहा तो ज़ुलेख़ा ने उसका पिछला दामन  पकड़ लिया , दामन  फट कर उसके हाथ में रह गया, यूसुफ़ ने अमां पाई थी ही कि उसी वक़्त ज़ुलैख़ा का शौहर पोटीकर घर में दाखिल हुवा , इसे देख कर ज़ुलेख़ा ने पाँसा पलटते हुए कहा कि यह इब्रानी लड़का मेरी इज़्ज़त लूटना चाहता था। इसे जेल में डाल दो। 
पोटीकर यूसुफ़ पर बरहम हुवा और वाक़ई यूसुफ़ को जेल में डाल दिया।  
जेल में यूसुफ़ अपने साथियों के साथ भी देखे हुए ख्वाबों की ताबीर बतलाता रहा जो कि अक्सर सहीह निकलतीं।  यूसुफ़ की शोहरत अतराफ़ में होने लगी जोकि बढ़ते बढ़ते दरबार फराउन तक पहुँच गई। इसी दौरान बादशाह ने एक अजीब व् ग़रीब ख्वाब देखा कि दर्याय नील से सात तंदरुस्त गायें निकलीं और सात मरियल गायें निकलीं , तंदरुस्त गायों ने मरियल गायें क खा डाला। 
अगले दिन बादशाह ने दरबार तलब किया और अपने ख्वाब की ताबीर बतलाने का हुक्म दिया।  सब दरबारी परेशान हो गए कि बादशाह के ख्वाब की ताबीर न बतला पाए। किसी ने क़ैदी यूसुफ़ का नाम बतलाया कि वह ख़्वाबों की ताबीर बतलाता है जोकि सहीह साबित होती हैं। बादशाह ने यूसुफ़ को तलब किया और अपने ख्वाब की तफ्सील बतलाई। यूसुफ़ ने बादशाह को आगाह किया कि अगले सात सालों तक फसल अच्छी होगी , फिर उसके बाद सात साल तक क़हत पड़ेगा। यूसुफ़ ने सुझाव भी दिया कि पहले सात खुश हाल सालों में अनाज को बालियों के अंदर महफूज़ रखा जाय ताकि उसके बाद के क़हत के सालों में लोगों की जान बचाई जा सके। इस के  लिए अनाजों के बड़े बड़े गोदाम बनवाए जाएँ। 
(दूसरी क़िस्त अगली बार  - - -  )
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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