मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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योसो (ईसा)
ईसा की बारह साला बचपन मरयम की झलकी में आपने देखा।
ईसा यहूदियत का बंटा धार करने वाला जनम जात कट्टर यहूदी था। ग़ैर यहूदियों को वह पिल्ला कहता और शागिर्दों से कहता इनके रस्ते पर मत चलना , समारियों के किसी शहर में दाखिल मत होना , भले ही इस्राइलियों के किसी खोई हुई भेड़ (गुमराह यहूदी) के घर चले जाना (मित्ती १०/५+६।
एक कन्नानी (ग़ैर यहूदी) औरत ईसा के पीछे से आई कि उसकी बेटी को बद रूह से छुटकारा दिलाएँ , ईसा उसको टाल गए , शागिर्दों ने कहा इसे निमटा दें , हमारे पीछे पड़ी हुई है ,
ईसा ने कहा मैं सिर्फ इस्राइलियों की भटकी हुई भेड़ों के पास भेजा गया हूँ। उस औरत ने ईसा के सामने सजदा में गिर कर मिन्नतें कीं ,
ऐ मसीह तू मेरी मदद कर।
ईसा ने जवाब दिया बच्चों की रोटी पिल्लों के सामने डालना मुनासिब नहीं।
ईसा ऐसे भी थे ,
यह बात अलग है कि वह ग़ैर इस्राइलि कन्नानी औरत अपनी दलीलो से ईसा की दुआएँ लेकर ही टली
मगर
सलीब पर चढ़ने के बाद (जैसा कि ईसा ने एलान किया था तीन दिन बाद मैं ज़िंदा हो जाऊँगा )
जब शाम के वक़्त ईसा बेजान हो गए थे,उनको एक बा असर और दौलत मंद शागिर्द योसेफ सरकारी हुक्म लेकर ईसा की मय्यत ले गया और दफना दिया। सरकारी अमले ने तीन दिनों तक के लिए ईसा की क़ब्र पर पहरा बिठा दिया कि कहीं लाश गुम होकर भूत बन कर ज़मीन पर न आ जाए।
हुवा यही कि पहरे दारों को घूस देकर लाश को चुरा लिया गया और ईसा ज़िंदा होकर गेलेल्या के पहाड़ों पर पहुँच गए।
गेलेल्या में जो आखरी पैग़ाम दिया , उसके मुताबिक़ उनका पैग़ाम बदल चुका था.
ईसा यहूदियत के हिसार को तोड़ कर तमाम इंसानी बिरादरी के लिए खुदा का बेटा बन गए थे।
इस तरह ईसाइयत पूरी दुन्या में फ़ैल गई।
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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