मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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झलकी नं 16
ज़करया 1st
५२० ईसा पूर्व यहूदयों में नबी का दर्जा पाने वाले ज़करया इब्न बैरेकिया को खुदा अपने दर्शन देते हुए कुछ मंज़र पेश करता था। इनके कई इल्हामी दीदार क़लम बंद हैं। ज़करया कहते हैं , मैं ने आँखें उठाईं तो मुझे इल्हामी दीदार हुवा। मैंने चार सींगें देखीं तो मैंने उस फ़रिश्ते से जिससे मैं बात कर रहा था पूछा ,
यह क्या है ?
उसने कहा यही वह सींगें हैं जिसने बोड़ा और योरोसलाम को बिखेर दिया। फिर खुदा ने मुझे चार लोहार दिखलाए ,
मैंने पूछा यह किस काम के लिए आए हैं ?
कहा यह इस लिए आए हैं कि लोगों को खौफ ज़दा करें और उन देशों के सींग काट डालें जिन्हों ने बिखेर देने के लिए बोड़ा के खिलाफ अपनी सींग उठाइं। और - - -
(शायद ज़करया की इल्हामी बातें मुहम्मद के क़ुरानी आयतों की तरह बे सर पैर की हैं)
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झलकी नं १७
राजा सोल और समूईल (सालेह और समूद)
इसराईलियों का नबी समूईल बूढा हो चुका था , उसने अपने बेटों को अपना क़ायम मुक़ाम बनाया , जोकि बद उनवानियों के शिकार हो चुके थे। अवाम ने इसकी शिकायत समूईल से की और राय दिया कि
दीगर क़ौमों की तरह उनका भी कोई अच्छा राजा होना चाहिए।
यह बात समूईल को पसंद नहीं आई। उसने लोगों को जवाब दिया राजा तुम्हारी औलादों को रथों में घोड़े की जगह लगाएगा और घोड़ों के साथ ही दौड़ाएगा।
तुम्हारी पैदावार से माल गुज़ारी लेगा। सब राजा के गुलाम और खादिमाएं हो जाएंगी।
उस वक़्त इस्रइलयों का खुदा तुम्हारी कोई मदद नहीं करेगा।
मगर अवाम बज़िद रहे कि कम से कम हमारा कोई मुहाफ़िज़ होगा जो हमें बैरूनी ताक़तों से हमें बचाएगा।
बेन्यामीन खानदान से एक फ़र्द कैश हुवा करता था जिसका बेटा सोल (सालेह) था जोकि अच्छी शख्सियत का मालिक था। वह इतना लंबा था कि बाक़ी लोग उसके काँधे तक ही पहुँच पाते।
एक दिन किसी तक़रीब के बाद समूईल की मुलाक़ात सोल से हुई जिसके बारे में खुदा ने समूईल से कहा था कि जो शख्स ऐसे मौके पर मिलेगा , वही इस्राईल का राजा होगा।
ग़रज़ कई आज़माइश को तय करते हुए सोल इस्राईल का राजा बना।
कुछ दिनों बाद समूईल और सोल में इख्तिलाफ़ात शुरू होने लग गए। दरअस्ल समूईल नबूवत को क़ायम रखते हुए अपने बेटों तक यह सिलसिला ले जाना चाहता था। उसने राजा और रजवाड़े के खिलाफ एक तक़रीर करके लोगों को आगाह किया।
सोल बहुत अच्छा हुक्मरां साबित न हुवा। इसने एक मौके पर इस्राइलियों से क़सम ले ली कि जब तक दुश्मन पर फ़त्ह न हासिल हो जायगी , कुछ खाएंगे न पिएंगे, वर्ना उन पर खुदा का अज़ाब नाज़िल हो जाएगा , इस बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसके बेटे ने शहद चाट लिया। उसने लोगों को आगाह किया कि बिना खाए पाई तो वैसे ही हम मर जाएंगे, फ़तेह कैसे होगी ?
सोल ने अपनी नाकामी और क़ौम पर आए ज़वाल का ज़िम्मेदार अपने बेटे योनातान को ठहराया और बेटे को फांसी की सजा सुना दिया , मगर लोगों ने इसका विरोध किया और यूनातान बच गया।
(क़ुरआन में सालेह और समूद का नाम बार बार आता है मगर उनका कोई ब्यौरा नहीं मिलता)
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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