Friday 28 August 2015

Soorah Nisa 4 Part 13

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
*****
सूरह निसाँअ ४ चौथा पारा  
किस्त 13
" मरियम पर उनके बड़ा भारी इलज़ाम धरने की वजह और उनके इस कहने की वजेह से हम ने मसीह ईसा पुत्र मरियम जो कि अल्लाह के रसूल हैं को क़त्ल कर दिया गया. हालाँकि उन्हों ने न उनको क़त्ल किया, न उनको सूली पर चढाया, लेकिन उनको इश्तेबाह (शंका) हो गया और लोग उनके बारे में इख्तेलाफ़ करते हैं, वोह गलत ख़याल में हैं, उनके पास इसकी कोई दलील नहीं है बजुज़ इसके कि अनुमानित बातों पर अमल करने के और उन्हों ने उनको यकीनी बात है कि क़त्ल नहीं किया बल्कि अल्लाह ताला ने उनको अपनी तरफ उठा लिया और अल्लाह ताला ज़बर दस्त हिकमत वाले हैं और कोई शख्स अहल किताब से नहीं रहता मगर वोह ईसा अलैहिस्सलाम की अपने मरने से पहले ज़रूर तस्दीक कर लेता है और क़यामत के रोज़ वोह इन पर गवाही देंगे।"

सूरह निसाँअ ४ छटवां पारा- आयात( 156-159)
मूसा और ईसा अरब दुन्या की धार्मिक केंद्र के दो ऐसे विन्दु हैं जिनपर पूरी पश्चिम ईसाई और यहूदी आबादी केन्द्रित है ओल्ड टेस्टामेंट यानी तौरेत इन को मान्य है. इनकी आबादी दुन्या में सर्वाधिक है और दुन्या की कुल आबादी का आधे से ज्यादा है. कहा जा सकता है कि तौरेत दुन्या की सब से पुरानी रचना है जो मूसा कालीन नबियों और स्वयं मूसा द्वारा शुरू की गई और दाऊद के ज़ुबूरी गीतों को अपने दामन में समेटे हुए ईसा काल तक पहुची, आदम और हव्वा की कहानी और दुन्या का वजूद छह सात हज़ार साल पहले इसमें ज़रूर कोरी कल्पना है जिसे खुद इस की तहरीर कंडम करत्ती है मगर बाद के वाकिए हैरत नाक सच बयान करते हैं.ऐसी कीमती दस्तावेज़ को ऊपर लिखी मुहम्मद की जेहालत, बल्कि दीवानगी के आलम में बकी गई बकवास को लाना तौरेत की तौहीन है. जिसको अल्लाह खुद शक ओ शुबहा भरी आयत कहता हो उसको समझने की क्या ज़रुरत? जाहिल क़ौम इसे पढ़ती रहे और अपने मुर्दों को बख़श कर उनका भी आकबत ख़राब करती रहे.हम कहते हैं मुसलमान क्यूँ नहीं सोचता कि उसके अल्लाह अगर हिकमत वाला है तो अपनी आयत साफ साफ क्यूँ अपने बन्दों को बतला सका, क्यूँ कारामद बातें नहीं बतलाएं? क्यूँ बार बार ईसा मूसा की और उनकी उम्मत की बक्वासें हम हिदुस्तानियों के कानों में भरे हुए है? वह फिर दोहरा रहा है कि यहूदियों पर बहुत सी चीज़ें हराम करदीं अरे तेल लेने गए यहूदी, करदी होंगी उन पर हराम, हलाल, हमसे क्या लेना देना, क्यों हम इन बातों को दोहराए जा रहे है? 
यहूदी ज्यूज़ बन गए आसमान में छेद कर रहे हैं और हम अहमक़ मुसलमान उनकी क़ब्रो की मरम्मत करके मुल्लाओं को पाल पोस रहे हैं हमारे लिए दो जून की रोटी मोहल है, ये अपनी माँ के खसम ओलिमा हम से कुरानी गलाज़त ढुलवा रहे हैं.पैदाइशी जाहिल अल्लाह एक बार फिर नूह को उठाता है, पूरे क़ुरआन में बार बार वह इन्हीं गिने चुने नामों को लेता है जो इस ने सुन रखे हैं, 
कहता है - - - 

"और मूसा से अल्लाह ने खास तौर पर कलाम फ़रमाया, उन सब को खुश खबरी देने वाले और खौफ सुनाने वाले पैगम्बर इस लिए बना कर भेजा था ताकि अल्लाह के सामने इन पैगम्बरों के बाद कोई उज्र बाकी न रहे और अल्लाह ताला पूरे ज़ोर वाले और बड़ी हिकमत वाले हैं।"
सूरह निसाँअ ४ छटवां पारा- आयात (166)
पूरे कुरआन में अल्लाह खुद को कम ज़र्फों की तरह ज़ोर वाला और हिकमत वाला बार बार दोहराता है। दर अस्ल यह मुहम्मद का दम्भ बोल रहा है धमकी से काम ले रहे हैं, जहाँ अमलन ज़ोर और ज़बर की ज़रुरत पड़ी है वहाँ साबित कर दिया है. 
मुहम्मद एक बद तरीन ज़ालिम इन्सान था जो जंगे बदर के अपने बचपन के बीस साथियों को तीन दिन तक मैदाने जंग में सड़ने दिया था, फिर उनका नाम ले ले कर बदर कुँए में ताने देते हुए फिक्वाया था. 
वहीँ जंगे ओहद में जंगी कैदी बना सफ़े आखिर में नाम पुकारे जाने पर खामोश मुंह छिपाए खडा रहा और मुर्दा बन कर बच गया. जो अल्लाह बना ज़ोर दिखला रहा है वह मक्र में भी ताक था। 



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment