मेरी तहरीर में - - -
लौकिक और फितरी सत्य ही, बिना किसी संकोच के सत्य है। अलौकिक या गैर फितरी सत्य पूरा का पूरा असत्य है। धर्म और मज़हब की आस्था और अक़ीदा कल्पित मन गठंत का रूप मात्र हैं। इस रूप पर अगर कोई व्यक्तिगत रूप में विश्वास करे तो करे, इसमें उसका नफा और नुकसान है, मगर इसे प्रसार और प्रचार बना कर आर्थिक साधन बनाए तो ये जुर्म के दायरे में आता है. व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था व्यक्ति तक सीमित रहे तो उसे इसकी आज़ादी है, मगर दूसरों में प्रवाहित किया जाय तो आस्थावान दुष्ट और साजिशी है. ऐसे धूर्तों को जेल की सलाखों के अन्दर होना चाहिए. देश का ऐसा संविधान बने कि सिने-बलूगत और प्रौढ़ता तक बच्चों को कोई धार्मिक या दृष्टि कौणिक यहाँ तक कि विषय विशेष की तालीम देने पर प्रतिबंध हो ताकि व्यस्क होने पर वह अपना हक सुरक्षित पाए. हमारा समाज ठीक इसके उल्टा है. बच्चों के बालिग होने तक उसको हिन्दू और मुसलमान बना देता है. यह तरबियत और संस्कार उसके हक में ज़ह्र है. मुसलमानों को इसकी ताकीद है कि बच्चा अगर कलिमा गो ना हुवा तो माँ बाप को जहन्नम में दाखिल कर दिया जायगा. इस कौम की पामाली इस नाकिस अकीदे के तहत भी है।
आइए देखें कि क़ुरआनी अल्लाह क्या कहता है - - -
'' और तुम सब उसी के पास ले जाओगे जो जलाता है और मारता है और उसी के अख्तियार में है दिन का घटना बढ़ना. सो क्या तुम नहीं समझते?''सूरह मओमेनून २३- पारा-१८ -आयत (८०)यकीनी तौर पर कहा जा सकता है कि इस आयत का खालिक नशेडी रहा होगा. अपने रब को ऐसे रुसवा करना मुहम्मद को ही शोभा देता है. क्यूं कि वह मुतलक जाहिल थे और तलवार की नोक से उनकी बातें कुरआन बन गई हैं. देखिए कि ये नशीली आयतें कब तक कौम को अपने बस में किए रहती. खालिक कभी अपने मखलूक को जलाता है न मरता है.
'' आप कह दीजिए ये ज़मीन और जो इसपे रहते है, ये किसके हैं, अगर तुम को कुछ खबर है , वह ज़रूर कहेंगे कि अल्लाह के , उनसे कह दीजए कि फिर क्यूँ नहीं गौर करते. और आप ये भी कहिए कि वह सात आसमानों का मालिक और आला अर्श का मालिक कौन है, वह ज़रूर जवाब देंगे कि अल्लाह का सब है आप कहिए कि फिर डरते क्यूं नहीं."सूरह मओमेनून २३- पारा-१८ -आयत (८५-८७)मुहम्मद की बातों पर गौर करो जो कि अल्लाह की ज़ात से वाबिस्ता हैं और जो आज तक राज़ बना हुवा हैं. जहाँ तक इल्म इंसानी पहुंची है, ये खबर देती है कि आसमान तो एक ही है, सात आसमान अकली गद्दा है. ज़मीन जिसको बार बार कुरआन एक बतलाता है वह लाखों है, हमारी इस ज़मीन से हजारों गुना बड़ी. जितने तारे आसमान पर दिखाई देते हैं सब ज़मीन ही हैं. मुहम्मद कह रहे हैं कि अगर अल्लाह को मान रहे हो तो उसके रसूल को क्यूँ नहीं? खुद को ज़बरदस्ती अल्लाह का रसूल मनवाने वाले ये थोड़ी सी अक्ल की बात भी तो करते. उनको मानने का मतलब हुवा कि उनकी उम्मियत को माना जाय जोकि नस्ल ए इंसानी के साथ जब्र करने के बराबर होगा।
वह काफ़िर खुद इन आयतों में गवाह हैं कि वह सभी हाँ भर रहे हैं कि सब का मालिक अल्लाह है, हुज्जत है उनके मशविरे से उससे डरो, वह तो ऐसा नहीं कहता, आप कहते हैं कि अगर उससे डरते हो तो मुझ से डरो।
''सो जिस शख्स का पल्ला भारी, सो ऐसे लोग कामयाब होंगे और जिसका पल्ला हल्का होगा सो ये वह लोग होंगे जिन्हों ने अपना नुकसान कर लिया और हमेशा जहन्नम में रहेंगे. इनके चेहरों को आग झुलसाती होगी और इसमें इनके मुंह बिगड़े हुए होंगे. क्यूँ? क्या तुम को हमारी आयतें पढ़ कर सुनाई नहीं जाया करती थीं? और तुम इनको झुटलाया करते थे. वह कहेंगे ऐ हमारे रब ! हमारी बद बखती ने हमें घेर लिया. था और हम गुमराह लोग थे. ऐ हमारे रब हमको इसमें से निकाल लीजिए. फिर अगर दोबारा करें तो बे शक हम पूरे गुनाह गार होंगे . इरशाद होगा कि इस में रांदे हुए पड़े रहो और मुझ से बात न करो.''सूरह मओमेनून २३- पारा-१८ -आयत (१०२-१०८)साजिशी अल्लाह ही पल्लों को हल्का और भारी किए हुए है. अल्लाह की आयतों में कहीं कौड़ी भर भी दम है? कि जिसको झुटलाया न जाए. जिस मखलूक के मुंह इस दुन्या में ही तेरी जिहालत ने बिगड़ दिए हों, उनका क़यामत पर कौन देखने वाला होगा? वहां को तो तू खुद गरजी और नफ्सी नफ्सी के फ्रेम में जड़ता है. इस मुहम्मदी अल्लाह की जालसाजी से तो कोई हक़ ही मुसलामानों को बचा सकता है।
''इरशाद होगा कि तुम बरसों के शुमार से किस क़दर मुद्दत ज़मीन पर रहे होगे? दोजखी जवाब दें गे कि एक दिन या इससे भी कम रहे होंगे गिनने वालों से पूछ लीजिए इरशाद होगा तुम थोड़े ही मुद्दत रहे, क्या खूब होता कि तुम समझते होते. हाँ तो क्या तुमने ये ख़याल किया कि हमने तुम को यूं ही मोह्मिल पैदा कर दिया और ये कि तुम हमारे पास नहीं ले जाओगे? सो अल्लाह बहुत आली शान है और अर्श ए अज़ीम का मालिक है.सूरह मओमेनून २३- पारा-१८ -आयत (१११-११६)मुसलामानों आपका अल्लाह एक ज़ालिम बाप की तरह है जिसने औलादें पैदा कीं कि उन पर हुक्मरानी करेगा, मनमानी करेगा, सितम ढाएगा, मरेगा पीटेगा, जलाएगा और तरह तरह के मज़ालिम करेगा। हर वक़्त उसके खौफ में मुब्तिला रहो, इसके अलावा काम धाम, मेहनत मशकक़त के इरशादात हैं कहीं? दुन्या के ऐसो-आराम तो काफिरों को उधार दिए रहता है और तुमको ऊपर के वादों में फँसाए रहता है. ऐसा तो नहीं कि तुम्हारा अल्लाह और उसका रसूल दीगर कौमों के एजेंट हों? इसी तरह मनुवाद बर्रे सगीर के आदिवासियों, अछूतों और दलितों के लिए पूर्व जन्म का लेखा जोखा बतला कर सदियों से सवर्णों को दास बनाए हुवे है. आप का अल्लाह आपका पुनर जन्म की हालत में रखता है और उनका ईश्वर उनको पूर्व जन्म कि डोरी में बंधे हुए है. दोनों के धर्म गुरू अपने वर्तमान को उज्जवल किए हुए हैं।
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
'' हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी'' का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
(चौथी किस्त )
लौकिक और फितरी सत्य ही, बिना किसी संकोच के सत्य है। अलौकिक या गैर फितरी सत्य पूरा का पूरा असत्य है। धर्म और मज़हब की आस्था और अक़ीदा कल्पित मन गठंत का रूप मात्र हैं। इस रूप पर अगर कोई व्यक्तिगत रूप में विश्वास करे तो करे, इसमें उसका नफा और नुकसान है, मगर इसे प्रसार और प्रचार बना कर आर्थिक साधन बनाए तो ये जुर्म के दायरे में आता है. व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था व्यक्ति तक सीमित रहे तो उसे इसकी आज़ादी है, मगर दूसरों में प्रवाहित किया जाय तो आस्थावान दुष्ट और साजिशी है. ऐसे धूर्तों को जेल की सलाखों के अन्दर होना चाहिए. देश का ऐसा संविधान बने कि सिने-बलूगत और प्रौढ़ता तक बच्चों को कोई धार्मिक या दृष्टि कौणिक यहाँ तक कि विषय विशेष की तालीम देने पर प्रतिबंध हो ताकि व्यस्क होने पर वह अपना हक सुरक्षित पाए. हमारा समाज ठीक इसके उल्टा है. बच्चों के बालिग होने तक उसको हिन्दू और मुसलमान बना देता है. यह तरबियत और संस्कार उसके हक में ज़ह्र है. मुसलमानों को इसकी ताकीद है कि बच्चा अगर कलिमा गो ना हुवा तो माँ बाप को जहन्नम में दाखिल कर दिया जायगा. इस कौम की पामाली इस नाकिस अकीदे के तहत भी है।
'' और तुम सब उसी के पास ले जाओगे जो जलाता है और मारता है और उसी के अख्तियार में है दिन का घटना बढ़ना. सो क्या तुम नहीं समझते?''सूरह मओमेनून २३- पारा-१८ -आयत (८०)यकीनी तौर पर कहा जा सकता है कि इस आयत का खालिक नशेडी रहा होगा. अपने रब को ऐसे रुसवा करना मुहम्मद को ही शोभा देता है. क्यूं कि वह मुतलक जाहिल थे और तलवार की नोक से उनकी बातें कुरआन बन गई हैं. देखिए कि ये नशीली आयतें कब तक कौम को अपने बस में किए रहती. खालिक कभी अपने मखलूक को जलाता है न मरता है.
'' आप कह दीजिए ये ज़मीन और जो इसपे रहते है, ये किसके हैं, अगर तुम को कुछ खबर है , वह ज़रूर कहेंगे कि अल्लाह के , उनसे कह दीजए कि फिर क्यूँ नहीं गौर करते. और आप ये भी कहिए कि वह सात आसमानों का मालिक और आला अर्श का मालिक कौन है, वह ज़रूर जवाब देंगे कि अल्लाह का सब है आप कहिए कि फिर डरते क्यूं नहीं."सूरह मओमेनून २३- पारा-१८ -आयत (८५-८७)मुहम्मद की बातों पर गौर करो जो कि अल्लाह की ज़ात से वाबिस्ता हैं और जो आज तक राज़ बना हुवा हैं. जहाँ तक इल्म इंसानी पहुंची है, ये खबर देती है कि आसमान तो एक ही है, सात आसमान अकली गद्दा है. ज़मीन जिसको बार बार कुरआन एक बतलाता है वह लाखों है, हमारी इस ज़मीन से हजारों गुना बड़ी. जितने तारे आसमान पर दिखाई देते हैं सब ज़मीन ही हैं. मुहम्मद कह रहे हैं कि अगर अल्लाह को मान रहे हो तो उसके रसूल को क्यूँ नहीं? खुद को ज़बरदस्ती अल्लाह का रसूल मनवाने वाले ये थोड़ी सी अक्ल की बात भी तो करते. उनको मानने का मतलब हुवा कि उनकी उम्मियत को माना जाय जोकि नस्ल ए इंसानी के साथ जब्र करने के बराबर होगा।
वह काफ़िर खुद इन आयतों में गवाह हैं कि वह सभी हाँ भर रहे हैं कि सब का मालिक अल्लाह है, हुज्जत है उनके मशविरे से उससे डरो, वह तो ऐसा नहीं कहता, आप कहते हैं कि अगर उससे डरते हो तो मुझ से डरो।
''सो जिस शख्स का पल्ला भारी, सो ऐसे लोग कामयाब होंगे और जिसका पल्ला हल्का होगा सो ये वह लोग होंगे जिन्हों ने अपना नुकसान कर लिया और हमेशा जहन्नम में रहेंगे. इनके चेहरों को आग झुलसाती होगी और इसमें इनके मुंह बिगड़े हुए होंगे. क्यूँ? क्या तुम को हमारी आयतें पढ़ कर सुनाई नहीं जाया करती थीं? और तुम इनको झुटलाया करते थे. वह कहेंगे ऐ हमारे रब ! हमारी बद बखती ने हमें घेर लिया. था और हम गुमराह लोग थे. ऐ हमारे रब हमको इसमें से निकाल लीजिए. फिर अगर दोबारा करें तो बे शक हम पूरे गुनाह गार होंगे . इरशाद होगा कि इस में रांदे हुए पड़े रहो और मुझ से बात न करो.''सूरह मओमेनून २३- पारा-१८ -आयत (१०२-१०८)साजिशी अल्लाह ही पल्लों को हल्का और भारी किए हुए है. अल्लाह की आयतों में कहीं कौड़ी भर भी दम है? कि जिसको झुटलाया न जाए. जिस मखलूक के मुंह इस दुन्या में ही तेरी जिहालत ने बिगड़ दिए हों, उनका क़यामत पर कौन देखने वाला होगा? वहां को तो तू खुद गरजी और नफ्सी नफ्सी के फ्रेम में जड़ता है. इस मुहम्मदी अल्लाह की जालसाजी से तो कोई हक़ ही मुसलामानों को बचा सकता है।
''इरशाद होगा कि तुम बरसों के शुमार से किस क़दर मुद्दत ज़मीन पर रहे होगे? दोजखी जवाब दें गे कि एक दिन या इससे भी कम रहे होंगे गिनने वालों से पूछ लीजिए इरशाद होगा तुम थोड़े ही मुद्दत रहे, क्या खूब होता कि तुम समझते होते. हाँ तो क्या तुमने ये ख़याल किया कि हमने तुम को यूं ही मोह्मिल पैदा कर दिया और ये कि तुम हमारे पास नहीं ले जाओगे? सो अल्लाह बहुत आली शान है और अर्श ए अज़ीम का मालिक है.सूरह मओमेनून २३- पारा-१८ -आयत (१११-११६)मुसलामानों आपका अल्लाह एक ज़ालिम बाप की तरह है जिसने औलादें पैदा कीं कि उन पर हुक्मरानी करेगा, मनमानी करेगा, सितम ढाएगा, मरेगा पीटेगा, जलाएगा और तरह तरह के मज़ालिम करेगा। हर वक़्त उसके खौफ में मुब्तिला रहो, इसके अलावा काम धाम, मेहनत मशकक़त के इरशादात हैं कहीं? दुन्या के ऐसो-आराम तो काफिरों को उधार दिए रहता है और तुमको ऊपर के वादों में फँसाए रहता है. ऐसा तो नहीं कि तुम्हारा अल्लाह और उसका रसूल दीगर कौमों के एजेंट हों? इसी तरह मनुवाद बर्रे सगीर के आदिवासियों, अछूतों और दलितों के लिए पूर्व जन्म का लेखा जोखा बतला कर सदियों से सवर्णों को दास बनाए हुवे है. आप का अल्लाह आपका पुनर जन्म की हालत में रखता है और उनका ईश्वर उनको पूर्व जन्म कि डोरी में बंधे हुए है. दोनों के धर्म गुरू अपने वर्तमान को उज्जवल किए हुए हैं।
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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