Sunday 5 October 2014

Aadam

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है।  पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं।  दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी कक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 
क़ुरआन के झूट - - - 
और तौरेती सदाक़त  
झलकियाँ - - -

झलकी नंबर २ 
आदम  
आदम अदन के बाग़ीचे में तनहा रहा करता था जिसको ख़ुदा ने इस तरह बनाया था कि मिटटी का एक पुतला बनाया और इसके नाक में फूँक मार दी , इसके बाद वह जानदार हो गया , 
इसके बाद अदन के शादाब बाग़ में आदम की तन्हाई दूर करने के लिए इसको बेहोश किया और इसकी एक पसली निकाल  कर उस पर गोश्त चढ़ा कर एक औरत बनाया, 
गोया इस तरह ख़ुदा ने उसे पत्नी का सुख दिया।
अदन के बाग़ में तमाम फलों के पेड़ थे जिसमे से कुछ फलों को खाने पर दोनों पर बंदिश लगाई।  
एक रोज़ एक सांप ने औरत यानी हव्वा को बहका कर इसे खिला दिया।  
बस कि सारा मुआमला बिगड़ गया। दोनों सो कर उठे तो इनकी मासूमियत ख़त्म हो चुकी थी और ज़ेहनों में अच्छे बुरे की तमीज़ आ चुकी थी।  
इन्हें पहली बार एहसास हुवा कि वह नंगे हैं , दोनों दौड़ कर गए और अपने जिस्मों को इंजीर के पत्तों से ढका। 
इस वाक़ए से ख़ुदा को ख़दशा हुवा कि बाग़े-अदन में रहकर कहीं यह लोग इस फल को न खा लें जिसको खाने से मेरी तरह अमर न हो जाएं। इस लिए इन दोनों को बाग़े-अदन  निकाल बाहर कर दिया और बाग़े-अदन को आग की लपटों से घेरा-बंदी कर दी। 
ख़ुदा ने कहा जाओ अपने हुक्म उदूली की सज़ा भुगतो और ज़मीन पे अपनी रोज़ी रोटी तलाश करो। 
 सांप को ख़ुदा ने बद दुआ दी कि तू इंसान और हैवान की नज़रों में हमेशा ज़लील रहेगा, पेट के बल चलेगा , कुचला जायगा और ख़ाक फांकेगा।  
ख़ुदा ने औरत ज़ात को भी बद दुआ दिया कि दौरान हमल तेरा दर्द बढ़ा दिया  जायगा।  तू हमेशा मर्दों के मातहत रहेगी। 

आदम दुन्या का पहला इंसान नहीं 
आदम दुन्या का पहला इंसान हो ही नहीं सकता , न इसे साइंस मानती है और न ही  इंसानी इतिहास।  तौरेत ख़ुद इस सच्चाई की अनजाने में गवाह है।  
आदम की पहली औलाद काईन ने अपने भाई को क़त्ल कर दिया था , तब ख़ुदा ने इसे सख्त सज़ा दी। इस पर काईन ने ख़ुदा से अपील की कि 
जो सज़ा तू ने मुझे दिया है वह मेरी क़ूवते-बर्दाश्त से बाहर है।  अब मुझे तेरे सामने मुंह छिपाना पडेगा। 
ख़ुदा ने कहा ऐसा नहीं !
जो काईन को मारेगा उसको सात गुना सज़ा मिलेगी (तौरेत ४१४ - १ )
तब ज़मीन पर दैत्य भी रहते थे , यह दौर ए क़दीम के ताक़त वर और मशहूर बहादर लोग थे। (तौरेत ४-६-१ )
इन दोनों तौरेती आयतों से साबित होता है कि आदम से पहले भी इंसानी आबादी बकस्रत हुवा करती थी। ख़ुदा के कायनात साज़ी से पहले ही दुन्या इंसानी आबादी से भरी हुई थी। 
क़ुरआन में मुहम्मद ने आदम और हव्वा की कहानी अपने ढंग से ही गढ़ी है। अदन की बाघ की जगह जन्नत , साँप की जगह शैतान और फल की जगह गन्दुम वग़ैरा वगैरा। 

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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