Thursday 9 October 2014

Nooh

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है।  पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं।  दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 
क़ुरआन के झूट - - - 
और तौरेती सदाक़त  


झलकियाँ - - -

झलकी नंबर 3 


आदम की औलादें 
हव्वा हामला हुई और पहले आदमी को जन्म हुवा नाम रख्खा गया काईन (क़ाबील )फिर इसके बाद इसका छोटा भाई हाबील हुवा।  काबील किसान बना और हाबिल चरवाहा। काईन से ख़ुदा खुश न था क्योंकि  वह अपने छोटे भाई से बैर रखता था।  एक रोज़ काइन ने हाबिल  को मौत के घाट उतार दिया।  काइन से ख़ुदा बहुत नाराज़ हुवा और ज़मीन पर परीशान हाल ज़िन्दगी जीने की बददुआ दे दी।  
तीसरा बेटा जो सेत हुवा जिसे हव्वा ने हाबिल का दूसरा जन्म माना यही आदम  वारिस हुवा। 
काईन अदन के पूरब मुल्क नोद रहने लगा , उसकी कई औलादें हुईं जोकि चारो तरफ़ फैल गईं। उन्होंने मुख़्तलिफ़ पेशे अख़्तियार किए, पेशे के एतबार से इनकी बिरादरी बनीं और नाम बना। हाबिल के बाद भी आदम की कई बेटे और बेटियां हुईं।  आदम ने ९६० साल की उम्र पाई। 
आदम का नस्ली सिलसिला नूह तक 
१ आदम २ सेत ३ ऐनवस  ४ कैनान ५ महलहल ६ यारीद ७ हनूक ८ मतूशला ९ लमयक १० नूह। 
इस्लाम ने आदम हव्वा और इनकी अवलादों की मिट्टी पिलीद कर रखी है , कहता है हव्वा को हर सुब्ह लड़का पैदा होता और हर शाम लड़की और उन दोनों की शादियाँ हो जातीं यानी यह अख़लाक़ी जुर्म रवा था, जिसे सुन कर आज की जवाँ नस्ल गुमराह हो सकती है। 
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झलकी नंबर 4

नूह 
नूह का दौर आते आते लोगों में बुराइयां ज़्यादा बढ़ गई थीं। काइन की औलादें आदम की औलादें कही जाने लगी थीं और और सेत की औलादें खुदा की। आदमी में बुराइयाँ बढ़ गई थीं।  खुदा बेराह रवी पर चलने वाले आदमियों से रंजीदा हुवा और तमाम मख्लूक़ को फ़ना करने का फैसला किया , मगर खुदा को नूह पसंद था , इस लिए नूह को सात दिनों का मौक़ा दिया कि वह एक कश्ती बना ले। 
खुदा ने कश्ती की तामीर के बारे में अपनी हिदायत दिया कि कश्ती ३०० हाथ लंबी हो , ५० हाथ चौड़ी और तीस हाथ ऊंची हों। कश्ती में पाक साफ़ जानवरों के चार चार जोड़े और नापाक जानवरों के एक एक जोड़े रखे और इनकी खुराक भी। खुदा बहुत दुखी था फिर भी नूह और इसके परिवार को कश्ती में रखने को राज़ी हो गया बाकियों को फ़ना कर देने पर आमादा था। 
चालीस दिनों तक ऐसी बारिश हुई कि जैसे आसमान के फाटक खुल गए हों। इतनी बारिश हुई कि पहाड़ों का कहीं अता पता न रहा। इसके बाद तूफ़ान ख़त्म हुवा। नूह और उसके परिवार से साथ साथ तमाम जीव कश्ती से बाहर निकले। खुदा ने इन्हें धरती पर फूलने फलने की दुआ दी।  नूह  ने एक बेदी (इबादत गाह) बनाई और कुछ परिंदों की भेँट चढ़ा कर खुदा का शुक्र गुज़ार हुवा। खुदा ने इसे पसंद   किया और अहद  किया कि इसके बाद आदमियों के कारन धरती पर किसी  को बददुआ नहीं दूँगा और कभी भी तमाम मख्लूक़ को तबाह नहीं करूँगा।  खुदा ने आदमज़ादों को धरती पर फूलने फलने का आशीर्वाद दिया। 
नूह की तीन औलादें थीं - - - सेम , हाम और यीफियत 
नूह को नशे के आलम में हाम के बेटे कनान ने देख लिया जिसकी वजह से नूह बहुत नाराज़ हुवा और इसे बददुआ दी कि हाम की औलादें अपने दोनों भाइयों की औलादों की ग़ुलामी करेंगी। 
तौरैत बतलाती है कि ख़ुदा आदमियों को फ़ना होने की बद दुवा दी थी और कुरआन कहता है नूह ने ही अपनी उम्मत को बद दुवा दी थी। 
नूह से इब्राहीम तक की नस्लों का शजरा 
१- नूह २-सेम ३-अर्पिशद ४-सीलः ५-यबीर ६- पीलीग ७-रऊ ८-सरोगः ९-नाहोर १०-तेराह (आज़र ) ११-इब्राहीम।   

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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