Sunday 12 October 2014

Ibraheem

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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झलकी नंबर 5
इब्राहीम

बुत परस्तों में से ख़ुदा ने इब्राहीम को चुना और इन्हें सिर्फ एक पूज्य को मानने हुक्म दिया , इन पर कृपा दृष्टि रखने का वादा किया।  इब्राहीम के बाप तेराह (आज़र बुत तराश ) ने अपने बेटे इब्राहीम को खुल्दिया (दमिश्क़) से पर देश जाने का मशविरह दिया करता था।  एक दिन इब्राहीम बाप की बात मानता हुवा अपनी पत्नी सारा और भतीजे लूत को लेकर वतन से बाहर प्रवास कर गया। 
वह इस सफ़र में परेशान हुवा , यहाँ तक की फ़ाक़ों की नौबत आ गई , तब इसने मिस्र की राह पकड़ी।  इसकी बीवी सारा ख़ूब सूरत थी जिसका इसे ख़तरा महसूस हुवा।  ग़रज़ इसने अपनी बीवी को अपनी बहन बना कर मिस्र के बादशाह की ख़िदमत में हाज़िर हुवा।  फ़राउन (बादशाह ) को सारा पसंद आ गई।  उसको बादशाह ने अपने हरम में ले लिया , मगर इस अमल से वह गुनहगार हुवा।  ख़ुदा ने इस अज़ाब नाज़िल कर दिया। फ़राउन ने इब्राहीम को खूब खरी खोटी सुनाई और सारा को माल असबाब देकर अपने हरम से रुखसत किया। 
मिस्र से बाहर निकल कर इब्राहिम एक गांव में अपनी बीवी और भतीजे के साथ बस गया और पशु पालन का व्योसाय अख्तियार किया।  इस व्योसाय में वह फला फूला। 
वह समय भी आ गया कि जब इब्राहीम और लूत में अनबन हो गई। दोनों में अलगाव इस तरह हुवा कि दोनों मौजूद जगह को छोड़ कर भिन्न दिशाओं में दूर दूर जाकर बसें।  माल इस तरह बटा कि सफ़ेद भेड़ें एक ने ले लीं और काली दूसरे ने ले लीं। 
थोड़े दिन बीते कि इब्राहीम को पता चला कि उसके भतीजे लूत को राजा ने क़ैद कर लिया है।  वह अपने ३१८ साथियों के साथ लूत को आज़ाद कराने के लिए चल पड़ा। उसने राजा पर धावा बोल कर लूत को रिहा कराया। 
ख़ुदा इब्राहीम पर बहुत मेहरबान था।  इसको आने वाली नस्लों का मूरिसे-आला (मूल-पुरुष )बनाने का वादा किया। 
मगर इब्राहीम तो निःसंतान था , उसने खुदा से फ़रियाद किया कि " मैं तो निःसंतान हूँ , मूरिसे-आला कैसे बन सकता हूँ ? मेरा वारिस दमिश्क़ का कोई रिश्ते दार ही बन सकता है या फिर मेरे नौकर-चाकर।"
  खुदा ने इसको हुक्म दिया कि आसमान पर तारे गिन , जितने तारे हैं , उतने ही तेरी नस्लों में अफ़राद होंगे। फिर खुदा ने इब्राहीम की नस्लों को फरात नदी के आस-पास बड़ी ज़मीन देने का वादा किया। 


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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