Thursday 30 October 2014

Ishaq

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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इस्हाक़ (आइशक़) 

क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है।  पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं।  दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 
क़ुरआन के झूट - - - 
और तौरेती सदाक़त  
झलकियाँ - - -

खुदा एक बार फिर इब्राहीम और उसकी नस्लों पर इन्तेहाई दरजा मेहरबान रहने का वादा किया। उसने उसको अपने दीन पर पाबन्द रहने का हुक्म दिया। खुदा ने इब्राहीम का नाम बदल कर अब्रहाम कर दिया और सारे का नाम बदल कर सारा कर दिया 
खुदा ने बूढी सारा से भी एक औलाद होने की खुश खबरी दी। 
 अब्रहाम को इस्माईल की फ़िक्र ज़्यादा थी , खुदा ने इसके दिल की बात जान लिया और कहा , 
मैं इस्माईल को भी दुआ देता हूँ कि उसकी नस्ल अफ़ज़ाई होगी मगर सारा के बेटे इस्हाक़ पर मेरी नज़र-ए-करम ज़्यादा होगी। 
खुदा ने अपना वादा पूरा किया , नब्बे साल की उम्र में सारा ने इस्हाक़ को जन्म दिया। आठवें दिन खुदा के निज़ाम के तहत इसका खतना हुवा। 
जब इसका का दूध छुड़ाया गया तो इब्राहीम ने एक बड़ी दावत करके खुशियाँ मनाई।  
एक रात खुदा ने इब्राहीम को ख्वाब में इस्हाक़ की क़ुरबानी का हुक्म दिया। दूसरे दिन इब्राहीम अपने बेटे इस्हाक़ को लेकर , देखे हुए ख्वाब के मुताबिक़ उस पहाड़ी पर चल पड़ा जहाँ पर खुदा ने इसहाक़ की क़ुरबानी मांगी थी। 
तीन दिन के सफर के बाद इब्राहीम उस पहाड़ी पर पहुँचा। उसने यहाँ पर एक बेदी बनाई और उस पर लकड़ी रखी , फिर इस्हाक़ के हाथ-पाँव बांध कर छुरा उठाया ही था कि निदा आई - - -
"बच्चे पर कोई ज़र्ब न आए "
वह रुक गया। उसने देखा कि एक मेमना सामने खड़ा था जिसकी सीगें झाड़ियों में फंसी हुई थीं। मेमने को झाड़ियों से छुड़ा कर उसने उसकी क़ुरबानी दी और इस्हाक़ को घर लाया। 



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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