Tuesday 21 July 2015

Soorah Nisa 4 Part 2 (16-34)

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह निसाँअ ४ चौथा पारा  
2- किस्त 

"और जो मर्द बेहयाई का अमल करें, उनको तुम अज़ीयत पहुँचाओ और अगर वह तौबा कर लें तो अल्लाह मुआफ़ करने वाला है." (१६)
मर्द अल्लाह है, उसके तमाम एक लाख चौबीस हज़ार पैगम्बर मर्द. लगता है औरत इंसानी मख्लूक़ से अलग होती है. मर्द को इसका मालिक और हाकिम बनाया है,मरदूद अल्लाह ने. 
औरत को तडपा तडपा कर मार डालने की राय देता है और मर्द को बहरहाल मुआफ़ कर देने की रज़ा मंदी देता है.
 
"तुम पर हराम की गईं तुम्हारी माएँ और तुम्हारी बेटियां और तुम्हारी बहनें और तुम्हारी फूफियाँ और तुम्हारी खालाएं और भतीज्याँ और भान्जियाँ . तुम्हारी वह माएँ जिन्हों ने तुम्हें दूध पिलाया होऔर तुम्हारी वह बहनें जो दूध पीने की वजह से हैं, तुम्हारी बीवियों की माएँ और तुम्हारी बीवियों की बेटियां जो तुम्हारी परवरिश में रहती हों, उन बीवियों से जिनके साथ तुमने सोहबत की हो और तुम्हारी बेटियों की बेटियां और दो सगी बहनें" (२३)
ऐसा लगता है कि माएँ किसी ज़माने में अरब के कुछ क़बीलों में हलाल हुवा करती थीं कि मुहम्मद इसको आज से हराम कर रहे हैं.
शराब पहले हलाल थी हम्ज़ा और अली कि मामूली सी रंजिश के बिना पर, अली के हक़ में शराब रातो रात हराम हो गई थी. 
इसी तरह अहमक रसूल फर्द पर उसकी माँ, बहनें , बेटियाँ और दीगर मोहतरम और अज़ीज़ तर रिश्तों को हराम कर रहा है. खुद इन गन्दग्यों तक समा जाने के नतीजे का यह अहकाम हैं जिन पर जाने वाला दूसरों को रोकता है. सूरह अहज़ाब में देखेंगे कि कैसे इस गलीज़ ने अपने गोद ली हुई औलाद की बीवी से जिंसी तअल्लुक़ क़ायम किया.
मुहम्मद की कोई बहन नहीं थी, वर्ना मुसलमानों के लिए वह इसे भी हलाल कर जाते जैसे कि फुफेरी बहन ज़ैनब को अपने बेटे से ब्याह कर फिर उस पर डोरे डाले और रंगे हाथों पकडे जाने पर एलन किया कि ज़ैनब का निकाह मेरे साथ हो चुका है, अल्लाह ने निकाह पढाया और जिब्रील ने गवाही दी.
जिन रिश्तों को हलाल और हराम के खानों में डाला है उसका कोई जवाज़ भी नहीं बतलाया. दो सगी बहने क्यूँ हराम हुईं जब कि बेहतर होता कई हालत में बनिस्बत इसके कि कोई गैर हो.
मोहम्मद ने जिन रिश्तों को हराम किया है वह तो अफ्रीका के क़बीलों का मुखिया भी फर्द पर हराम किए हुए था और है.

"मर्द हाकिम हैं औरतो पर , इस सबब से कि अल्लाह ने बअजों को बअजों पर फ़ज़ीलत दी है. और जो औरतें ऐसी हों कि उनकी बद दिमाग़ी का एहतेमाल हो तो उनको ज़बानी नसीहत करो और इनको लेटने की जगह पर तनहा छोड़ दो और उनको मारो, फिर वह तुम्हारी इताअत शुरू कर दें तो उनको बहाना मत ढूंढो."(३४)
मुहम्मदी अल्लाह के ज़ुल्म ओ सितम , सदियों से मुसलमान औरतें झेल रही हैं . वह इसके खिलाफ आवाज़ भी बुलंद नहीं कर सकतीं क्यूँ कि मर्द ताक़त वर है जो अल्लाह के कानून के सहारे उसे ज़ेर किए रहता है. 
सिन्फ ए नाजुक कुदरत के बख्से हुए इनाम में सरे फेहरिश्त है, इसके अस्मत का जितना एहतराम किया जाए, उतनी ही ज़िदगी मसरूर होती है.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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