मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरात्तुत तौबा ९
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सूरात्तुत तौबा ९
बुजदिलान इस्लाम,
इस्लाम की सड़ी गली लाश को नोच नोच कर खाने वाले यह गिद्ध सच्चाई से इस कद्र हरासां हैं कि बौखलाहट में सरकार से सिफारिश कर रहे हैं कि तसलीमा नसरीन को मुल्क बदर किया जाए. यह हराम ख़ोर जिनकी गिज़ा ईमान दारी है, जिसे खाकर पी कर और अपनी गलाज़त में मिला कर यह फारिग हो जाते हैं. यह समझते हैं कि तसलीमा नसरीन को हिदोस्तान से निकलवा हर बेफिक्र हो जाएँगे कि इन्हों ने सच्चाई को दफ़्न कर दिया. कोई भी इनमें मर्द नहीं कि तसलीमा नसरीन की किसी बातका का दलील के साथ जवाब दे सके.
इनका कुरान कहता है - - -
"काफिरों को जहाँ पाओ मारो, बाँधो, मत छोड़ो जब तक कि इस्लाम को न अपनाएं."
"औरतें तुम्हारी खेतियाँ है, इनमे जहाँ से चाहो जाओ."
"इनको समझाओ बुझाओ, लतियाओ जुतियाओ फिर भी न मानें तो इनको अंधरी कोठरी में बंद कट दो, हत्ता कि वह मर जाएँ."
"काफ़िर की औरतें बच्चे मिन जुमला काफ़िर होते हैं, यह अगर शब् खून में मारे जाएँ तो कोई गुनाह नहीं."
इन जैसे सैकड़ों इंसानियत दुश्मन पैगाम इन जहानामी ओलिमा को इनका अल्लाह देता है.
ईमान के सौदागरों को जवाब
ऊपर उर्दू अख़बार की कापी पेस्ट चस्पाँ है जिससे मेरे मज़ामीन के ख़िलाफ़ मुस्लिम अवाम को इस्लाम के नाम पर उकसाया गया है. उन हराम खोरों और ईमान फरोशों को उर्दू में मैंने जवाब दिया है जिसकी नक़ल हिंदी पाठकों के नज़र है.
आप लोगों ने गालिबन मेरे बारे में ही रोजनामा इन्किलाब में खबर दे कर भोले भाले मुस्लिम अवाम को गुमराह करने की कोशिश की है जो अन्बियाय अव्वलीन और अन्बियाय आख्रीन का सबक नादान मखलूक को पढ़ाता है - - -
दुन्या रवाँ मिर्रीख पर और आपका ये दरसे-दीन,
अववलिनो, आखरीनो, काफरीनो, मोमनीन .
आप मेरी तहरीर और तहरीक की एक झलक भी मुस्लिम अवाम को दिखला नहीं सकते कि बकौल आपके गुनाहगार हो जाने का डर लाहक है. दर पर्दा आपको डर है कि इसे पढ़ कर कहीं मुस्लमान बेदार न हो जाएँ.
तुम ईमान और इस्लाम को बहुत दिनों तक ज़रीआ मुआश बनाए नहीं रख सकते, अब ये नामुमकिन है कि सदाक़त की आवाज़ को दबाए रख सको. तुम हुकूमत और अदालत का दरवाज़ा खटखटाने जा रहे हो; मेरी सदाक़त को पढ़ कर कोई भी दानिश वर जज तुमलो दस जूते खाने की सजा ही सुना सकता है. तुम वेब साइट्स को बंद करावगे? बचकाना और बेहूदा बात करते हो. यह पाकिस्तान नहीं है जहाँ तालिबानों की चलती है.
तुम्हारे लिए मेरा मश्विरह यह है कि अवाम को मेरी तहरीर का जवाब तहरीर से दो. मगर तुम्हारे दीन में इतना दम ही नहीं है कि सच के सामने टिक सके. हमेशा की तरह तुम मुस्लिम अवाम को सड़क पर उतारने की धमकी दे रहे. इससे किया होगा सौ पचास बे कुसूर मुसलमान पुलिस की गोली से मौत के घाट उतर जाएँगे. तुम्हारे लिए कुछ दिनों की हलुवा पूरी और पक्की हो जायगी. मगर अब अवाम होशियार हो रहे हैं, तुम्हारे जादू का असर ख़त्म हो रहा है.
मै तसलीमा नसरीन नहीं हूँ कि जो बेघर है गरीब, मैं हिन्दुस्तानी हूँ , यहीं रहकर हमेशा अपने नादान भाइयों को राह दिखलाता रहूँगा.
मैं एक मोमिन हूँ जिसका मसलक है ईमान, तुम मुलिम हो जो इस्लाम को तस्लीम किए हुए है. फ़ासिक़ कुरान जो कहता है वही तुम्हारी राह है.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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