Saturday 10 December 2016

Hindu Dharam Darshan 28

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

*************


राम नाम  

ISIS और दूसरी इस्लामी तंजीमों के मानव समाज पर ज़ुल्म व् सितम देख कर बजरंग दल को हिंदुत्व का जोश आया कि वह भी इन की नकल में प्रतीक आत्मक मुजाहिरा करें, 
कि वह भी उनकी तरह मानवता के और खास कर मुसलमानों के दुश्मन हो सकते है . 
हालांकि इनका प्रदर्शन राम लीला के लीला जैसा हास्य स्पद है . 
मदारियों की शोब्दा बाज़ी की तरह . 
बजरंग दल का कमांडर अक्सर मनुवादी स्वर्ण होता है , बाकी फौजी दलित और गरीब होते हैं . 
वह स्वर्ण इन दलितों को पूर्व तथा कथित वानर सेना आज तक बनाने में सफल है . 
वह इन्हीं में से एक को हनुमान बना देते हैं जो अपना सीना चीर कर दलितों को दिखलाता है कि उसके भीतर छत्रीय राम का वास है .
विनय कटिहार , कल्याण सिंह , राम विलास पासवान और उदिति नारायण जैसे सुविधा भोगी हर समाज में देखे जा सकते हैं . यह मौजूदा मनुवाद के हनुमान हैं .
12% मनुवादियों ने बाकी मानव जाति को राक्षस, पिशाच, वानर, शुद्र, अछूत जैसे नाम देकर इनके साथ अमानवीय बर्ताव किया है . इन्हीं में से जिन लोगों ने दासता स्वीकार करके इनके अत्याचार में शाना बशाना हुए और इनके लिए अपनी जान आगे कर दि उनको हनुमान बना कर उनकी बिरादरी के लिए पूजनीय बना दिया .
राम के आगे हाथ जोड़ कर घुटने टेके हनुमान देखे जा सकते हैं शूर वीरों के लिए, 
जिनकी दूसरी तस्वीर होती है सीना फाड़ कर राम सीता की, 
जो आस्था और प्रेम को दर्शाती है, 
उनके दास साथियों के लिए . 
यही नहीं मौक़ा पड़ने पर यह ब्रह्मण भी हनुमान पूजा में शामिल हो जाते हैं मगर उनको अपने घाट पर पानी के लिए फटकने नहीं देते . किस क़दर धूर्तता होती है इनके दिमाग़ में. 
जहाँ मजबूर होकर यह दमित सर उठाते हैं, 
तो मनुवाद इनको माओ वादी या नक्सली कह कर दमन करती है .
दमितों के सब से बड़े दुश्मन यही मुसलसल बनाए जाने वाले हनुमान होते हैं . यह अपने ताक़त का प्रदर्शन कभी मुसलमानों पर करते हैं तो कभी ईसाइयों पर जोकि अस्ल में दलित और दमित ही होते हैं मगर मनुवाद से छुटकारा लेकर धर्म बदल लेते है .
कितनी मज़बूत घेरा बंदी है मनुवाद की .   

  *****


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment