Tuesday 7 March 2017

Hindu Dharm Darshan 47



तारिक़ फ़तह

एक अधूरा आलिम जो अपनी अधूरी मालूमात के बाईस कई ग़लत दावे पेश करता है और अपने क़याम ए हिदोस्तान के लिए इतिहास के उलटे रूप को दिखाने का प्रयास करता है. 
उसकी दलीलों में इसकी महत्त्व काँक्षा साफ़ नज़र आती है.
दुन्या की बद तरीन कौम यहूदियों को अमन पसंद बतलाते हुए फ़तह कहता है कि यहूदियों ने एक भी जंग नहीं लड़ी है, 
जिस से मालूम पड़ता है कि फ़तह ने तौरेत (Old Testament) को खोल कर देखा भी नहीं जहाँ जहाँ मूसा, मिस्र से फ़रार होने के बाद 
दुन्या पर ज़ुल्म की दास्ताने स्थापित करता है, 
यहूदियों का यह जंगी सिलसिला ४०० सालों दाऊद काल तक कायम रहता है. 
यहूदी तो अपने सिवा दीगर मानव जाति को अपना ग़ुलाम मानते हैं, 
भारतीय ब्रह्मणों की तरह.
तारिक़ को भारत का खुला इतिहास भी नज़र नहीं आता जहाँ 5000 सालों से मनुवाद इंसानियत का खून करता चला आ रहा है. 
उसको नज़र आते हैं इन मनु वादियों पर हमला करने वाले और इस से मानव जाति को मुक्त कराने वाले हमला वर. 
डरपोक तारिक़ इस्लामी अल्लाह और रसूल का दामन भी नहीं छोड़ता कि इस में उसकी खैर नहीं. 
वह इस्लाम की पनाह में रहते हुए ही मुसलमानों की बखिया उधेड़ता है. 
जबकि ज़रुरत इस बात की है कि इस्लाम और हिंदुत्व के ज़हर को समझा जाए न कि मानव जाति को घेरा जाए. 
मानव जाति तो हमेशा नज़रियात का शिकार होती हैं. 
मुल्लाओं ने तारिक़ के प्रोग्राम 
फ़तेह का फ़तवा 
को नाम दिया है 
फतह का फ़ितना. 
जोकि एकदम सही है.
इसका संचालन ज़ी टीवी कर रहा है 
जो अपने आप में एक बे ईमान और पक्ष पाती चैनल है.

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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