Monday 3 July 2017

Soorah Hamzah 104

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह  हो म ज़ह १०४  - पारा ३०
(वैलुल्ले  कुल्ले होमा ज़तिल लोमाज़ते) 

अल्लाह को मानने से पहले उसे जानने की ज़रुरत है. इसके लिए हमें अपने दिमाग को रौशन करना पड़ेगा. इस धरती पर जितने भी रहमान और भगवन है, सब हजरते इंसान के दिमागों के गढ़े हुए हैं. क़ुदरत और फ़ितरत इनके हथियार हैं और इनके खालिक़ ए मशकूक की बरकत इनका ज़रीआ मुआश. इन खुदा फरोशों से दूर रहकर ही हम सच के आशना हो सकते हैं. फ़ितरत ने हमें सिर्फ़ खाम मॉल दिया है और इसे शक्ल देने के लिए औज़ार दिए हैं . . .
हाथ पैर, कान नाक, मुँह और दिल ओ दिमाग और सब से आखीर मरहला, जब हम शक्ल मुकम्मल कर लेते हैं तो फिनिशिग के लिए दिए हैं,
ज़मीर नुमा पालिश.
इस तरह हम ज़िन्दगी के तमाम मुआमले तराश सकते हैं और फिनिशिंग तक ला सकते हैं. इस ज़मीन को ही जन्नत बना सकते हैं. हमें अपने दिलो- दिमाग की हालत ठीक करना है, जिस पर रूहानियत ग़ालिब है. 

अल्लाह की आग की सिफ़त मुलाहिजा हो, दुन्या की तमाम आग अल्लाह की नहीं है?

"बड़ी खराबी है ऐसे शख्स के लिए जो पसे पुश्त ऐब निकलने वाला हो.
रू दर रू तअने देने वाला हो, जो माल जमा करता हो और इसे बार बार गिनता हो.
वह ख्याल करता है, उसका माल उसके पास सदा रहेगा.
हरगिज़ नहीं! वह शख्स ऐसी आग में डाला जाएगा,
जिसमें जो कुछ पड़े वह इसको तोड़ फोड़ दे.
और आपको मअलूम है कि वह तोड़ फोड़ करने वाली आग कैसी है?
वह अल्लाह की आग है जो सुलगाई गई है, जो दिलों तक पहुँचेगी,
वह इन पर बंद कर दी जाएगी.
वह लोग आग के बड़े बड़े सुतूनों में होंगे."
सूरह हो म ज़ह १०४ - पारा ३०-आयत (१-९)

नमाज़ियो !
अपने अक़ीदों को मानो,
मगर ज़रूरी है कि इसे जानो भी.
अल्लाह जैसी हस्ती आजिज़ है, उन लोगों से जो उसे , उसकी अन देखी सूरत और ऊँट पटाँग बातों को मानने को तैयार नहीं,
आखिर इसके लिए क्या मुंकिन नहीं है कि वह मुजस्सिम अपने बन्दों के सामने आ जाए?
और अपने वजूद का सुबूत दे,
जिन बन्दों की किस्मत में उसने जन्नत लिख रखी हैं, उनके हाथों में छलकता जाम थमा दे,
उनके लिए बैज़ा जैसी बड़ी बड़ी आँखों वाली गोरी गोरी हूरों की परेड करा दे.
क़ुरआन कहता है अल्लाह और उसके रसूल को मानो तो मरने के बाद जन्नत की पूरी फिल्म दिखलाई जाएगी,
तो इस फिल्म का ट्रेलर दिखलाना उसके लिए क्या मुश्किल खड़ी करता है,
वह ऐसा करदे तो उसके बाद कौन कमबख्त काफ़िर बचेगा?
मगर अल्लाह के लिए ये सब कर पाना मुमकिन नहीं,
अफ़सोस तुम्हारे लिए कितना आसान है, इस खयाली अल्लाह को बगैर सोचे विचारे मान लेते हो.
इसे जानो,
जागो! मुसलमानों जागो!!



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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