मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
सूरह नबा ७८ - पारा ३०
यह तीसवाँ और कुरआन का आखिरी पारा है. इसमें सूरतें ज़्यादः तर छोटी छोटी हैं जो नमाजियों को नमाज़ में ज्यादह तर काम आती हैं. बच्चों को जब कुरआन शुरू कराई जाती है तो यही पारा पहला हो जाता है. इसमें ७८से लेकर ११४ सूरतें हैं जिनको (ऊपर ब्रेकेट में लिखे) उनके नाम से पहचान जा सकता है कि नमाज़ों में आप कौन सी सूरत पढ़ रहे हैं और खासकर याद रखें कि क्या पढ़ रहे हैं.
अल्लाह कहता है - - -"ये लोग किस चीज़ का हल दरयाफ्त करते हैं,
उस बड़े वाकिए का जिसका ये इख्तेलाफ करते हैं ,
हरगिज़ ऐसा नहीं, इनको अभी मालूम हवा जाता है,(दोबारा)हरगिज़ ऐसा नहीं, इनको अभी मालूम हुवा जाता है,
क्या हमने ज़मीन को फर्श और पहाड़ को मेखें नहीं बनाईं?
और हमने ही तुमको जोड़ा जोड़ा बनाया,
और हमने ही तुम्हारे सोने को राहत की चीज़ बनाया.
और हमने ही रात को पर्दा की चीज़ बनाया,
और हमने ही दिन को मुआश का वक़्त बनाया,
और हम ही ने तुम्हारे ऊपर सात मज़बूत आसमान बनाए,
और रौशन चराग बनाया,
और हम ही ने पानी भरे बादलों से कसरत से पानी बरसाया,
ताकि हम पानी के ज़रीया गल्ला और सब्जी और गुंजान बाग पैदा करें.
बेशक फैसले के दिन का मुअय्यन वक़्त है."सूरह नबा ७८ - पारा ३० आयत (१-१७)" हमने हर चीज़ को लिख कर ज़ब्त कर रखा है, सो मज़ा चक्खो हम तुम्हारी सजा बढ़ाते जाएगे {काफिरों से अल्लाह का वादा}अल्लाह से डरने वालों के लिए बेशक कामयाबी है यानी बाग और अंगूर और नव ख्वास्ता नव उम्र औरतें और लबालब भरे हुए जाम ए शराब. वहाँ न कोई बेहूदः बातें सुनेंगे और न झूट. ये काम बदला मिलेगा जो काफी इनआम होगा रब की तरफ से."सूरह नबा ७८ - पारा ३० आयत (२७-३६)
उस बड़े वाकिए का जिसका ये इख्तेलाफ करते हैं ,
हरगिज़ ऐसा नहीं, इनको अभी मालूम हवा जाता है,(दोबारा)हरगिज़ ऐसा नहीं, इनको अभी मालूम हुवा जाता है,
क्या हमने ज़मीन को फर्श और पहाड़ को मेखें नहीं बनाईं?
और हमने ही तुमको जोड़ा जोड़ा बनाया,
और हमने ही तुम्हारे सोने को राहत की चीज़ बनाया.
और हमने ही रात को पर्दा की चीज़ बनाया,
और हमने ही दिन को मुआश का वक़्त बनाया,
और हम ही ने तुम्हारे ऊपर सात मज़बूत आसमान बनाए,
और रौशन चराग बनाया,
और हम ही ने पानी भरे बादलों से कसरत से पानी बरसाया,
ताकि हम पानी के ज़रीया गल्ला और सब्जी और गुंजान बाग पैदा करें.
बेशक फैसले के दिन का मुअय्यन वक़्त है."सूरह नबा ७८ - पारा ३० आयत (१-१७)" हमने हर चीज़ को लिख कर ज़ब्त कर रखा है, सो मज़ा चक्खो हम तुम्हारी सजा बढ़ाते जाएगे {काफिरों से अल्लाह का वादा}अल्लाह से डरने वालों के लिए बेशक कामयाबी है यानी बाग और अंगूर और नव ख्वास्ता नव उम्र औरतें और लबालब भरे हुए जाम ए शराब. वहाँ न कोई बेहूदः बातें सुनेंगे और न झूट. ये काम बदला मिलेगा जो काफी इनआम होगा रब की तरफ से."सूरह नबा ७८ - पारा ३० आयत (२७-३६)
हक़ीक़त ये है कि तुम्हारी धरती गोल है जिसे तुम टी वी पर हर रोज़ कायनात में गर्दिश करते हुए देख सकते हो. ज़मीन अपने गोद में पहाड़ और समंदर कैसे लिए हुए है, इसे तुम अपने बच्चे से पूछ सकते हो अगर वह तालीम जदीद ले रहा हो, वर्ना अगर वह मदरसे का पामाल तालिब इल्म है तो तुम्हारी अगली नस्ल भी ज़ाया गई.
तुम अगर थोड़े से तालीम याफ्ता हो या तुम में फ़िक्र की कुछ अलामत है तो इन आयतों वाली नमाज़ पढ़ ही नहीं सकते.
ईसाई भो मुसलमानों की तरह ही धरती को गोल न मान कर समतल मानते थे, मगर चार सौ साल पहले आलिम ए फल्कियात, गैलेलिओ के इन्किशाफ़ के बाद , हुज्जत करते हुए वह ज़मीन को गोल मानने लगे हैं.
क्या तुम चार सौ साल और लोगे सच को सच मानने के लिए? 'इसमें पहाड़ों के खूटे ठुके हुए हैं ताकि ये तुमको लेकर हिले दुले न' जैसी जिहालत भरी नमाज़ कब तक पढ़ते रहोगे?
रह गई ज़मीन पर कुदरत की बख्शी हुई नेमतें, तो इसको कौन बेवकूफ नहीं मानता. ये किसी छुपे हुए फ़नकार की तखलीक है, उसे खुदा, ईश्वर या गाड कोई भी नाम दो मागर इसे कुरानी अल्लाह का नाम नहीं दिया जा सकता क्यूंकि वह कठ मुल्ला है.
इसके अलावा तुम पूरा यकीन कर सकते हो कि तुमको मरने के बाद कोई सज़ा या जज़ा नहीं है.
ज़िन्दगी खुद एक आजार भरी सौगात है, मौत इसका अंजाम है.
मरने के बाद कोई सजा, कोई ताकत ऐसी नहीं जो तुम पर थोपे.
न ही हूर परियों के लिए तुम्हारी राल टपके, इन आयतों से नजात पाओ तो तुम्हारी जोरू ही तुम्हारी हूर परी है.
मुहम्मद इस लिए तुमको डराते हैं कि तुम इनको कम ओ बेश खुदा की तरह मानते हो.
मुहम्मद इस लिए तुमको डराते हैं कि तुम इनको कम ओ बेश खुदा की तरह मानते हो.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
जो कुरान कहता है हक है ।क्या सूरज को रोशन चिराग नही बताया गया है
ReplyDeleteजो कुरान कहता है हक है ।क्या सूरज को रोशन चिराग नही बताया गया है
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