Tuesday 20 September 2016

Hindu Dharam Darshan 8

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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वैदिक युग

मैं अपने हिन्दू पाठकों को बतलाना चाहता हूँ कि 
कम बुरा इस्लाम, अधिक बुरे हिंदुत्व से कुछ बेहतर है. 
यह बात अलग है कि बहु संख्यक की आवाज़ अल्प संख्यक पर भारी पड रही है 
मगर सत्य की आवाज़ दबी हुई जब उभरती है तो हर तरफ सन्नाटा छा जाता है .
इसका जीता जगता सुबूत यह है कि हमेशा की तरह आज भी कम बुरा इस्लाम, 
हिन्दुओं को अपनी तरफ खींच रहा है, 
अल्ला रखखा रहमान से लेकर शक्ति कपूर तक सैकड़ों संवेदन शील लोग देखे जा सकते हैं , 
जबकि कोई अदना मुसलमान भी नहीं मिलेगा 
जो इस्लाम के आगे हिंदुत्व को पसंद करके हिन्दू बन गया हो .
कुछ मुख़्तसर सी बातें देखी - - -
एक अल्लाह की पूजा और बेशुमार भगवानो की पूजा ? 
कौन आकर्षित करता है अवाम को ? 
ऐसी ही बहुत सी समाजी बुराइयाँ मुसलमानों में कम है, हिन्दुओं से . 
मसलन शराब और दूसरे नशा .
त्योहारों को ही लीजिए, दीपावली आई तो रौशनी कर के बिजली घर को आफत में डाल दिय जाता है , 
पटाखे से जान माल और पर्यावरण को नुकसान, 
जुवा खेलना भी इसका महूरत है .
होली को खुद हिन्दुओं में संजीदा हिन्दू पसंद नहीं करते . 
अंधेर है कि होली में अमर्यादित गालियां गई जाती हैं , 
रंग गुलाल को नाक से फांका जाता है .
दर्शन और स्नान के नाम पर पंडों की दासता .
इन तमाम बुराइयों से मुसलमान अलग नज़र आता है. 
अपने त्योहारों को भी पाक साफ़ रखता है और कोई पंडा बंधन नहीं .
फिर एक बार वैदिक युगीन हिंदुत्व के हाथों में सत्ता आ गई है. 
हिंदुत्व का दबाव जितना बढेगा, इस्लाम को भारत में उतना ही फलने फूलने का अवसर मिलेगा. 
कहीं ऐसा न हो कि संघ परिवार का सपना देखते ही देखते चकना चूर हो जाए 
कि कोई समाजी इन्कलाब आए और भारत का नक्शा ही बदल जाए .
नेहरु का हिदोस्तान सही दिशा में जा रहा था, 
धर्म रहित मर्यादाएं विकसित हो रही थीं . 
याद नहीं कि हमने कभी उनको या उनके साथियों को टीका लगा देखा हो , 
आज सारी की सारी सरकारी मिशनरी टीका और बिंदिया से सुसज्जित दिखाई देती हैं . 
समाजी मुजरिम मंत्री बने नफरत फैला रहे हैं ,

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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