Tuesday 6 September 2016

HIndu Dharm Darshan 4

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.


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हिन्दू धर्म दर्शन 

ब्रह्मा विष्णु महेश 
दूसरी  किस्त 

विष्णु भगवान् के बारे में मेरी मालूमात अधूरी है , जितना सुना सुनाया मिला वही बहुत है .
विष्णु महाराज का वजूद भी अजीब व् गरीब है , ग्रन्थ रचना कार ब्राह्मणों ने इन्हें समुद्र से बरामद किया . 
मेरा कयास है कि यह भी आर्यन का आयातित तुक्का है कि इनकी हस्ती पानी सैलाब और कश्ती से है , यह हो सकते हैं आर्यन पूर्वज नूह जिन्हें मुसलमान नूह लैहस्सलाम कहते है , समुद्र उत्पत्ति विष्णु हों .
"वैष्णव जन तो उनको कहिए जो पैर परे जाने रे " 
यह कौन थे ? दुन्या के दुःख दर्द जानने वाले ?? 
शाश्त्र तो विष्णु को ब्रह्मा के शरीर अंगों को स्थापित और संचालित करने का काम दिया गया बतलाते हैं  जिसके अंतर्गत चार मानव जातियां विष्णु ने संचालित कीं -
ब्रह्मण - - - जो ब्रह्मा के मुख से पैदा हुवे और धरती लोक के परमेश्वर बने .
क्षत्रीय - - - ब्रह्मा के बाहों से निर्मित हुए जिनको कर्तव्य स्वरूप ब्राह्मणों  का संरक्षण का काम मिला . यह प्रतापी राजा और महा राजा हुवा करते मगर होते बरहमन दास .
वेश्य - - - तीसरे दर्जे के मानुस हुए . इनको बस इतना ही समझे जैसे चीटियों में मजदूर चीटियाँ होती हैं . यह ब्रह्मा के जांघों से निर्मित हुए अतः ब्राह्मणों और क्षत्रीयों की सेवा दौड़ दौड़ कर किय करें और अपने जंघा धर्म का पालन करें.
चौथे शूद्र - - - तीनों वर्गों की सेवा और 
सेवा का मेवा के नाम पर ? 
इनका ही जूठन खाएँ 
वह भी मिटटी के बर्तनों में , 
वह भी जो साबूत न हों , टूटे फूटे हुए हों .

विसतार मनु स्मृति में देखें , रोंगटे खडे कर देने वाले अत्याचार .




जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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