मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान
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वेद दर्शन - - -6 खेद है कि यह वेद है .
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हे इंद्र जो लोग स्वयं यज्ञ नहीं करते अथवा यज्ञ करने वालों का विरोध करते हैं,
वह पीछे की ओर मुंह हरके भाग रहे हैं.
हे इंद्र ! तुम हरि नमक घोड़ों के स्वामी, युद्ध में पीठ न दिखलाने वाले तथा उग्र हो.
यज्ञ न करने वालों को तुमने स्वर्ग आकाश तथा धरती से भगा दिया है.
(ऋग वेद प्रथम मंडल सूक्त 33)(5)
पंडितों ने वेद श्लोक को रहस्य मय औए पवित्र बनाने के लिए इन का दुश्मन खुद बना रख्खा है. और यह दुश्मन है शुद्र, शुद्र अगर इन निरर्थक श्लोकों को सुन ले तो उसके कानों में पिघला हुवा शीशा पिला दिया जाए. इसके आलावा वह जानते थे कि इन दरिद्रों के पास है ही क्या कि यह हमारी यजमानी करें ? इनको तो मन्त्रों में लूट लेने की अर्जी देवताओं को दी जाती है.
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हे अश्वनी कुमारो ! हमें तीन बर धन प्रदान करो. हमारे देव संबंधी य ज्ञ में तीन बार आओ.तीन बार हमारी बुद्दी की रक्षा करो तीन बार हमारे सौभग्य की रक्षा करो. हमें तीन बार अन्न दो. तुम्हारे तीन पहिए वाले रथ पर सूर्य पुत्री सवार है.
(ऋग वेद प्रथम मंडल सूक्त 34 )(5)
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )
इस सूक्त के बारहों श्लोक में तीन तीन की रट लगाईं हुई है.
मूल संस्कृत वरशन भी पोस्ट किया करें।
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