Tuesday 18 October 2016

Hindu Dharam Darshan 16

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
****************

हिंदुत्व का बंजर भविष्य 

अरब के असभ्य कबीलाई बददू  आज भी अपनी पुरानी खसलतों के मालिक हैं .
इनकी फितरत में जन्मा इस्लाम बहुत से अपने कबीलाई रंग ढ़ंग रखता है. 
लड़ाई झगडे, लूट मार, जंग जदाल इनकी खू हुवा करती है. 
यह समझते हैं कि इनकी बहादुरी, 
इन्हीं तलवार बाजियों के दम पर कायम रहती है. 
अगर अपने इस रवय्ये को यह छोड़ दें तो एक दिन गुलाम बन जाएँगे. 
गुलामी को यह मौत से बदतर समझते हैं. 
इनकी फितरत क़ब्ल इस्लाम हजारों साल पहले से लेकर आज ताक कायम है. 
इनको अपनों के मर जाने का कोई ग़म नहीं होता, 
तीन दिन से ज्यादह किसी की मौत का शोक मनाना इनमें हराम होता है.
इनमें नस्ल अफजाई की भी बला की कूवत होती है. 
दर्जन भर बच्चे पैदा करना इनकी आम औसत है. 
बस खुश हाली और इक्तेदार दरकर है, 
जिसके लिए वह हर वक़्त आमादा ए जंग रहते हैं. 
अलकायदा, जैश ए मुहम्मद, हुर्रियत, तालिबान और ISIS तक, 
इनके वर्तमान के नमूने हैं.  

इसके बर अक्स हम बर्र सगीर के लोग अरबियों के उलटी फितरत के हुवा करते हैं . हर हाल में अम्न और अहिंसा पसंद होते हैं. 
मार लो, काट लो, लतया लो, घुसया लो, दास बना लो, दासियाँ बना लो, 
मुंह में थुकवा लो, हम हर हाल में जिंदा रहना चाहते हैं. 
इसका नया रूप सहिष्णुता है.
यह मुसलमान कहे जाने वाले हमारी उन बहन बेटियों की संताने हैं, 
जिन्हें हमारे अहिंसक पूर्वजों ने मुस्लिम लडाको को समर्पित कर दिया था. 
यह सब दोगले हैं हिन्दू कायरता और अरबी वह्शत  का मुरक्कब. 
यह शाका हारी, मांसा हारी हो गए अपने मातृ पूर्वजों के करण, 
जंग जू हो गए अपने पितृ पूर्वजों के कारण. 
इनकी खेती बड़ी ज़रखेज़ होती है. 
यह मुट्ठी भर दोगले जिस ज़मीन पर छिड़क दिए जाएं, 
देखते ही देखते हरी भरी फसल बन जाते हैं. 
यह अपनी तान के तंबू तानते हुए दो दो पकिस्तान बना लेते हैं.  
इंशा अल्लाह भारत में भी एक दिन इनका तम्बू तन जाएगा. 
हिन्दू कुश की हिन्दू कुशी करते हुए भारत को यह  हिन्दुस्तान बन लेंगे. 
भारत योगी भूमि, स्वामी भूमि, साधु और साधुवी भूमि, ब्रहम चर्य भूमि बनते बनते एक दिन हिंदुत्व की बंजर भूमि बन जाएगी. 

*****


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment