Tuesday 15 November 2016

Hindu Dharam Darshan 24

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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एक कहानी, नाना के ज़ुबानी 

महमूद गजनवी सोमनाथ को जब सोलवहीं बार लूट पाट करके वापस गजनी पहुंचा तो उसकी बीवी ने दरयाफ्त किया कि हमला कैसा रहा ? 
महमूद ने जवाब दिया बदस्तूर पहले जैसा, 
जितनी दौलत चाही महंत ने दे दिया. कोई हमला, न खून खराबा. 
बीवी बोली - - - गोया वसूली करके चले आए ?
यानी बुतों को उनके हाथ बेच कर चले आए? 
महमूद ने पूछा, कहना क्या चाहती हो ? 
बीवी बोली बुरा तो नहीं मानेंगे ? 
नहीं कह भी डालो. महमूद बोला 
बीवी बोली क़यामत के रोज़ अल्लाह तअला तुमको 
महमूद बुत फरोश के नाम से जब पुकारेगा तो कैसा लगेगा? 
महमूद ने गैरत से आँखें झुका लीं. 
दूसरे रोज़ सुबह अपन सत्तरह घुड सवारों को लिया और सोमनाथ को कूच कर दिया . इस बार भी महंत जी फिरौती लिए खड़े थे, 
महमूद ने तलवार की नोक से नजराने की थाली को हवा में उडा दिया. 
पुजारी समेत मंदिर का पूरा अमला सोमदेव के सामने दंडवत होकर लेट गया  
कि कोई चमत्कार कर दो महाराज ! 
उनको विश्वाश था कि यवण भस्म हो जाएँगे. 
मंदिर के सैकड़ों रक्षकों ने लुटेरों से मुकाबिला करने का साहस नहीं किया . 
महमूद के सिर्फ 17 सिपाहियों ने मंदिर को तहेस नहेस कर के खजाने तक पहुँचने में कामयाबी हासिल की. 
खज़ाना देख कर उनकी आँखें खैरा हो गईं. 
सोना चाँदी हीरे जवाहरात का अंबार. 
महमूद ने ऊँट गाड़ी तलाश किया और सोमनाथ की अकूत दौलत ऊंटों पर लाद कर गजनी ले गया. 
महमूद गजनी पहुँच कर सब से पहले अपनी बीवी के आँचल पर दो रिकातें नमाज़ शुकराना अदा किया. 
महमूद सोमनाथ के कुछ अवशेष भी साथ ले गया जो आज भी गजनी मी एक मस्जिद में प्रवेश द्वार के जीनों में लगे हुए हैं .
नाना की ज़बान से यह कहानी, 
इस वजेह से दोहराने की ज़रुरत पड़ी कि हमारे हिंदू मित्र मनन और चितन करें 
कि मंदिरों की मानसिकता क्या होती है? 
सैकड़ों सालों बाद आज भी कोई फर्क नहीं पड़ा. 
आज भी भारत की मंदिरों में बेशुमार दौलत निष्क्रीय पड़ी हुई है . 
लोगों का अनुमान है कि भारत सरकार के पास इतना सोना नहीं है, 
जितना भारत के मंदिरों में जाम पड़ा हुवा है. 
कौन भगवन है ? इस दौलत को वह क्या करेगा ?  
यह मनु विधान की एक व्योवस्था है जो उनको महफूज़ और मज़बूत किए हुए है.
महमूदों की सुल्तानी गई, अरबी बद्दुओं की लूट पाट का दौर भी गया, 
मनुवाद और शुद्र वाद अपनी जगह पर कायम हैं.
अब भारत को एक माओत्ज़े तुंग की ज़रुरत है 
जो इन मठा धीशों का काम तमाम करके देश की 40% आबादी को 
गरीबी रेखा से निकाल कर भारत का भाग्य बदले .        




जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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